पर्यावरण का जतन समय की मांग
पर्यावरण की सुरक्षा यह आज की सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है. यही कारण है कि हर वर्ष ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण भले ही पर्यावरण संबंधी आयोजन नहीं किए गये. लेकिन लोगों ने पर्यावरण की महत्ता को अपने दिल में संजो कर रखा है. अनेक लोगों ने अपने स्तर पर पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि से अपने घरों में पौधे रोपित करने का कार्य किया है. पर्यावरण के अभाव में आए दिन लोगों को कठिनाई का सामना करना पड रहा है. कोरोना काल में पर्यावरण का महत्व सभी को निकटता से महसूस हुआ. इस समय पाया गया कि ऑक्सीजन समय पर न मिलने के कारण अनेक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडा . हालाकि विगत अनेक वर्षो से यह आशंका जताई जा रही है कि पेड पौधों की कटाई नियंत्रित नहीं की गई तो आनेवाले समय में प्राणवायु मिलना कठिन हो जायेगा. लेकिन इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया गया. बढते शहरीकरण के चलते अनेक वन उपवन नष्ट होते चले गये. जिससे प्राणवायु का मिलना अब कठिन हो गया है. पूरे देश मेंं पर्यावरण का अनुशेष बढने लगा है. यही कारण है कि अनेक शहर प्रदूषण के मामले में खतरनाक साबित हो रहे है. राजधानी दिल्ली में प्रदूषण इस कदर बढा हुआ है कि आम आदमी को सांस लेना कठिन हो गया है.इसके लिए जिम्मेदार हम ही है. यह जानते हुए कि आनेवाले समय में पर्यावरण की रक्षा करना हर किसी के लिए जरूरी हो जायेगा. वर्तमान में जिस तरह बीमारियों का दौर चल रहा है. उसमें पर्यावरण की अहम भूमिका है.
जीवन में पर्यावरण की इतनी आवश्यकता है इस बात का अहसास इस वर्ष कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों ने महसूस किया. अनेक अस्पतालो में ऑक्सीजन न रहने के कारण कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडा. ऐसी हालत में सरकार के सामने भी नई चिंताए उभरने लगी है. इसलिए सरकार की ओर से पर्यावरण संर्वधन की दृष्टि से अनेक संस्थाएं कार्यरत है. सरकार यदि ऐसी संस्थाओं को राजाश्रय प्रदान करे. ताकि संस्थाओं के माध्यम से अधिकाधिक पौधेरोपित किए जाए. इसके लिए सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन दिया जाना अति आवश्यक है.
कुछ वर्ष पूर्व तक अनेक सेवाभावी संस्थाएं शहर के विभिन्न खुले स्थानों पर पौधे रोपित किए जाते रहे है. पर्यावरण के संकट की समस्या को समझते हुए अनेक सेवाभावी संस्थाओं ने पौधोरोपण का कार्य आरंभ किया था. लेकिन विगत दो वर्षो से कोरोना संक्रमण के चलते पर्यावरण दिन को नहीं मनाया जा रहा है. पर्यावरण की समस्या को समझते हुए अनेक जनप्रतिनिधियों को लेकर आम नागरिको ने हर वर्ष पौधारोपण आरंभ किया था. हर वर्ष लाखों की संख्या में पौधे पर्यावरण संवर्धन के लिए सामाजिक संस्था के पदाधिकारियों द्वारा बडे पैमाने पर पौधे लगाए जाते थे. लेकिन वर्तमान में पौधारोपण का कार्य योग्य प्रमाण में नहीं किया गया. इसके लिए कारण भी है कि समूची यंत्रणा का ध्यान बीमारी से संघर्ष करने में लगा हुआ है. लेकिन इस बीमारी को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है. इस कार्य में सामाजिक संस्थाओं का भी योगदान लेना आवश्यक है. पर्यावरण यह किसी व्यक्ति या क्षेत्र विशेष की समस्या नहीं है यह समस्या अब विश्वव्यापी बनती जा रही है. इसके लिए जरूरी है कि पर्यावरण संवर्धन को एक अभियान का रूप दिया जाए. जो लोग अपने आचरण से पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रयत्नशील है. उन्हें समय-समय पर सम्मानित किया जाना चाहिए. ताकि और लोग इससे प्रेरणा ले सके.
पर्यावरण को क्षति पहुंचने के अनेक कारण है. जिसमें मुख्य कारण पेडों की कटाई को माना जा रहा है. पहले सडक के दोनों हरभरे पेड पौधे लहलहाते नजर आते थे. लेकिन पेडों की कटाई का सिलसिला जब से जारी हुआ तब से सडको के आसपास दूर-दूर तक पेड़ पौधे नजर नहीं आते. यही वजह है कि पर्यावरण का संकट दिनों दिन बढ रहा है. पर्यावरण के जतन के लिए सभी लोगों को अब जागरूक होना होगा. प्रदूषण रहित वाहन का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो. इसके लिए यदि रोजमर्रा के जीवन मेें हम छोटे बडे काम के लिए साईकिल का उपयोग करे तो प्रदूषण से बचा जा सकता है. हालाकि वर्तमान गतिशील युग में इस तरह के वाहनों का कोई औचित्य नहीं है. फिर भी अनावश्यक रूप से प्रदूषण ठहरानेवाले वाहनों का उपयोग सीमित किया जा सकता है. इससे पर्यावरण का जतन होगा. बहरहाल पर्यावरण दिन के अवसर पर हर किसी को इस बात का संकल्प लेना जरूरी है कि वे पर्यावरण संवर्धन में अपना योगदान देंंगे. यदि समय रहते हमने पर्यावरण की रक्षा नहीं की तो आनेवाले दिनों में समूची मानवीय सृष्टि खतरे में आ सकती है. इसलिए हर किसी को सजग होना जरूरी है.