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उत्कृष्ट शिक्षक डॉ. प्रशांत विघे : समर्पित व्यक्तिमत्व

संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ की ओर से इस वर्ष का उत्कृष्ठ शिक्षक पुरस्कार डॉ. प्रशांत विघे को घोषित किया गया है. महाराष्ट्र दिन के अवसर पर 1 मई को यह पुरस्कार वितरण कार्यक्रम संपन्न हो रहा है. शिक्षण व्यवस्था के प्रति समर्पित रहने वाले एक योग्य व्यक्ति का सम्मान के रुप में उनका कार्यो का परिचय कर रहा हुं.

डॉ. भाऊसाहेब पंजाबराव देशमुख ने लोक विद्यापीठ की संकल्प रख हर तबके के विद्यार्थियों को शिक्षा के प्रवाह में लाने की कोशिश की. शिवाजी शिक्षण संस्था की स्थापना कर विदर्भ के सामान्य किसान परिवार के अनेक विद्यार्थियों को शिक्षा के प्रवाह में लाया. जिसके कारण बहुत से लोग उच्च पद पर पहुंचे. सभी समाजसुधारकों ने शिक्षा की गंगा गांवों तक पहुंचाने का प्रयास किया. आज जो कुछ शिक्षित वर्ग हमें दिखते है, उसके पीछे महापुरुषों का प्रयास है. इन हजारों पढे- लिखे व उच्च पद पर पहुंचे विद्यार्थियों में से एक विद्यार्थी यानी डॉ. प्रशांत विघे. अमरावती जिले के मोर्शी तालुका का दापुरी यह छोटा सा गांव सामान्य किसान के परिवार में आकर आगे प्राध्यापक बने.समर्पित शिक्षको में से उनके अमरावती विद्यापीठ परिक्षेत्र में नावलौकिक है. वही भ्रष्चार के संदर्भ में उनके व्दारा उठाए गए कदम उनके व्दारा किए गए काम महत्व के है. जिसके कारण शिक्षण क्षेत्र जैसे पवित्र क्षेत्र में बढे भारी भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है. संविधान की धारा को पढते समय इस धारा का इस्तेमाल आम नागरिकों के हित के लिए हो, ऐसी अपेक्षा करना कुछ गलत नहीं है. प्रशांत विघे ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए इसी संविधान कानून का इस्तेमाल किया. संविधान के अभ्यासक के रुप में उनके व्दारा किए गए कार्य प्रशंसनीय साबित हुए. कोई भी शिक्षक कक्षा में औपचारिक शिक्षा नहीं देता बल्कि विद्यार्थियों को जीवन जीने की राह दिखाता है. महाविद्यालय में रासेयो के कार्यक्रम अधिकारी मतलब जीवित मूर्ती बनाने वाला कलाकार होता है. अपने कुशल हाथों से विद्यार्थियों के वयक्तिमत्व का विकास बनाने के लिए प्राध्यापक रहते हुए रासेयो का कार्यक्रम अधिकारी के रुप में किए गए कार्य के कारण सैकडो विद्यार्थी सकारात्मक वृत्ती के कृतीशील युवक के रुप में महाविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर बाहर निकलना. प्राध्यापक की समाज को यही सबसे बडी देन है. विचार व विवेक विद्यार्थी बनाने इस उद्देश्य से प्रयत्न करने वाले शिक्षकों के कारण सच्चे अर्थ में समाज की प्रगति होती है. प्रशांत विघे ऐसे ही समर्पित शिक्षकों में से एक है. यह सम्मान की बात है. उन्होनें उनके शिक्षक के पेशे में 25 से ज्यादा पुस्तक का लेखन किया है. 50 से ज्यादा शोधनिबंध प्रकाशित किया है. मगर इस शैक्षणिक दृष्टी को प्रगल्भ किया, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है. वे जब सामान्य किसान के परिवार से आए, उसी सामान्य परिस्थिती से आने वाले विद्यार्थियों को राज्यशास्त्र का हुनर देते हुए राज्यव्यवस्था व समाज व्यवस्था के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टीकोण का निर्माण विद्यार्थियों में बनाया यह भी महत्वपूर्ण है. विद्यार्थियों ने स्पर्धा परीक्षा के लिए मानसिक दृष्टी तैयार करना, संशोधन के लिए प्रवृत्त करना, वक्तृत्व या वादविवाद स्पर्धा के लिए विद्यार्थी सक्रिय करना. राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से समाज के प्रति सजग बनाना ही कार्य विद्यार्थी का व समाज के भविष्य के लिए महत्व का रहता है. प्रशांत विघे ने यह कार्य सामाजिक भावना से किया. जिसके कारण उनको उत्कृष्ठ शिक्षक पुरस्कार प्रदान किया जाना यह बहुत ही महत्व की बात है. भावी भविष्य के लिए उनको शुभेच्छा.
डॉ.प्रवीण बनसोड
नेहरू महाविद्यालय, नेरपरसोपंत, जि यवतमाल
9423425129

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