जानलेवा भ्रष्टाचार
उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद के समीप मुरादनगर में श्मशान की छत ढह जाने से 25 लोगों की मृत्यु हो गई. करीब 55 लाख रूपये की लागत से निर्मित यह दीवार फरवरी माह में पूर्ण हुई थी. एक वर्ष के भीतर ही दीवार व उसकी छत ढह गई. जिसके कारण एक बुजुर्ग के निधन पश्चात उसकी अत्येंष्टि में शामिल करीब 25 लोगों की दबने के कारण मृत्यु हो गई. जबकि अनेक लोग जख्मी हो गये. विशेष यह मृतको मेें अधिकांश युवा शामिल है. जिन लोगों की मृत्यु हुई वे सब एक ही कॉलनी के निवासी थे. एक परिसर से 25 लोगों की शवयात्रा निकलने का यह दृश्य अत्यंत भयावह था. खासकर उनके परिजनों की पीडा का वर्णन नहीं किया जा सकता. दुर्घटना में मृत किसी युवक के नौनिहाल सिसकते नजर आ रहे थे तो अनेक महिलाओं को असमय वैधव्य का शिकार होना पडा. अनेक घरों केे कर्ताधर्ता पुरूष ही असमय काल के शिकार हो गये. इस पीडा के लिए किसे जिम्मेदार माना जाए. उन प्रशासनिक अधिकारियों को जिनकी देखरेख में यह दीवार निर्मित हुई थी. या फिर प्रकृति को इसका दोष दिया जाए. कारण चाहे जो भी हो लेकिन इस घटना ने हर किसी के मन को द्रवित कर दिया. निश्चित रूप से यह घटना हर किसी को सुन्न करनेवाली है. श्मशान यह मनुष्य का अंतिम लक्ष्य है. यही पर जीवन के सभी संस्कारों में से अंत में किया जानेवाला संस्कार होता है. इस बात को हर कोई जानता है कि हर किसी को एक न एक दिन श्मशान में आना है. फिर भी स्वार्थी तत्वों ने पैसों के लालच में गलत कार्य किया. जिसका खामियाजा निर्दोष परिवारों को भुगतना पडा है. गरूडपुराण में स्पष्ट उल्लेख है कि जो मोक्ष के मार्ग में बाधक बनता है उसे घोर नरक में वास करना पडता है. बावजूद इसके भ्रष्टाचारियों को इसका कोई असर नहीं होता तथा वे हर जगह केवल भ्रष्टाचार को ही जीवन का लक्ष्य मानते है तथा अपने गलत कार्यो को अंजाम देते रहते है.
श्मशान की इस दीवार के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार होने का चित्र सामने आ रहा है. टूटी दीवार में स्पष्ट दिखाई देता है कि इसमें सीमेंट की जगह मिट्टी व रेत जुडाई के काम में लायी गई है. 55 लाख की लागत से इसमें आयी है. जबकि इतनी राशि में एक भव्य घर भी निर्माण हो जाता है. लेकिन इस कार्य में केवल पैसा कमाना एकमात्र लक्ष्य रखा गया था.यही कारण है कि निर्माण कार्य में जो साधन सामग्री उपयोग में लायी जानी चाहिए थे वह नहीं लायी गई व निर्माण कच्चा रह गया. फरवरी में दीवार का कार्य पूर्ण होने के बाद एक साल के भीतर ही नष्ट हो गया. जिस समय दीवार गिरी उस समय बरसात आ रही थी तथा एक बुजुर्ग की अंत्येष्टि में शामिल परिवार के सदस्य व इष्टमित्रगण इस दुर्घटना के शिकार हो गये. कहने को तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतको के परिजनों को 2 लाख रूपये देने की घोषणा की है. किंतु जिस घर का मुखिया ही इस घटना का शिकार हो गया है उनका आगे का जीवन कितना कठिन हो जायेगा यह कल्पना भी गलत है. अंत्येष्टि में आमतौर पर बालको को लाया नहीं जाता. वरिष्ठ नागरिको का भी शामिल होना सीमित रहता है. ऐसी हालत में अधिकांश युवक ही अंत्येष्टियों में शामिल होते है. यही कारण है कि दुर्घटना में मृतको में अधिकांश युवक शामिल हुए थे. इस तरह की दुर्घटना यह पहलीबार नहीं हुई है. इसके पूर्व भी अनेक नदियो के पुल, ईमारते गिरने की घटनाए हुई है. किंतु किसी श्मशान की दीवार का निर्माण इतना कमजोर हो कि एक वर्ष के भीतर ही वह ढह जाए यह एक अलग घटना है. प्रशासन ने इस निर्माण कार्य मेें लापरवाही एवं भ्रष्टाचार में लिप्त ठेकेदार, सहायक अभियंता, मुख्य अभियंता सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया है. जरूरी है कि सभी अधिकारियों के खिलाफ कडी कार्रवाई की जाए. बेशक इस घटना को दुर्घटना माना जा रहा है. लेकिन स्वार्थ के लिए लोगों की मौत का जिम्मेदार बननेवालों ने एक तरीके से निर्दोषो की हत्या की है. यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा.
भ्रष्टाचार के खिलाफ अनेक लडाईया लडी जाती है. लेकिन पाया जाता है कि अनेक मामलों में भ्रष्टाचारी या तो मुक्त हो जाते है या फिर सीमित सजा भुगतकर फिर से अपनी भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त हो जाते है, ऐसे लोगों के खिलाफ कडे दंड का प्रावधान होना चाहिए. जब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा कि बनी दीवार में सीमेंट का अत्यल्प उपयोग किया गया है तो दुर्घटना होनी ही थी. इस कार्य में जन सामान्य की भी भूमिका मायने रखती है. यदि कोई भ्रष्ट कार्य हो रहा है तो जन सामान्य को इसकी सूचना पुलिस अधिकारियों को देनी चाहिए. हमें इससे क्या यह भावना कभी कभी उनके ही परिजनों के लिए जानलेवा साबित होती है. श्मशान की दीवार ढहने के पीछे कितने लोग जिम्मेदार है. इसका आकलन किया जाना चाहिए तथा दोषियों को कडे से कडा दंड दिया जाना चाहिए.
कुल मिलाकर श्मशान की दीवार का गिरना अपने आप में एक दु:खद घटना है. विशेषकर इस घटना में अनेक लोगों ने अपनी जान गंवाई है. इसलिए घटना को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. हालाकि उत्तरप्रदेश के योगी सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया है व घटना से जुडे 4 अधिकारियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. उनके खिलाफ अब कडी कार्रवाई की जायेगी. यह मृतको के परिजनों की अपेक्षा है. इसलिए जरूरी है कि प्रशासन इस मामले में कडी कार्रवाई करे.