लेख

स्वयं की जगह पुत्री को सामने करनेवाला पिता

भैया साहब ठाकुर की जयंती उपलक्ष्य में

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कठिन समय में दिन रात सहयोग देनेवाले तथा वर्ष 1978 व 1980 ऐसे दो समय तीसरा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करनेवाले व करीब 30-35 विधायको को नेतृत्व कर कांग्रेस में प्रभावी दबाव निर्माण करनेवाले भैया साहब ठाकुर का कार्य अद्बितीय है. वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी बडी पुत्री यानी एड. यशोमती ठाकुर को युवक कांग्रेस के माध्यम से नेतृत्व का अवसर दिया. कांग्रेस में 80 वर्ष तक स्वत: के लिए पद की लालसा करनेवाले नेता हमने देखे है. पर 57 वर्ष के होने के बाद भी उन्होंने यशोमती ठाकुर को अपनी जगह आगे किया.तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व को भी इसका आश्चर्य लगा. उन्होंने इस निर्णय पर पुनर्विचार की याचना भी की. किंतु भैया साहब अपने निर्णय पर कायम रहे. 2004 में उम्र के 30 वर्ष की आयु में एड. यशोमती ठाकुर ने विधानसभा चुनाव लडा. किंतु इस समय 3500 मत से पराजित होना पडा. लेकिन उन्होंने अपने कार्यो की गति को कायम रखा. भैया साहब ठाकुर के मार्गदर्शन में राजनीति से जुडी रही और मतदाताओं से संपर्क किया. इसी दौर में उन्होंने अखिल भारतीय युवक कांग्रेस द्बारा दी गई जिम्मेदारी को भी वहन किया. 2009 में विधानसभा चुनाव लडा. करीब 26 हजार 130 मतो से विजयी हुई. प्रतिनिधित्व मिलने के बाद उन्होंने गांव-गांव में मोझरी विकास प्रारूप, गाडगेबाबा निर्वाण भूमि प्रारूप नांदगांव पेठ एमआयडीसी के लिए करोडो रूपये की अतिरिक्त निधि लाने में सफलता पायी व निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की संकल्पनाओं को साकार करने में सफल रही. 2014 में फिर से विधानसभा चुनाव में उन्हें काफी जटिलता का सामना करना पडा. बावजूद इसके वे 22 हजार मतो से वे विजयी रही और विधायक बनी. स्व. भैयासाहब की इंदिरा गांधी के प्रति निष्ठा सर्वविदित है . जब यशोमती अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की सचिव पद पर नियुक्त हुई तब वे काफी आनंदित थे.भैया साहब ठाकुर के सपनो को यशोमती साकार करेगी, ऐसा हर कोई महसूस कर रहा था. वर्ष 2019 में शिवसेना भाजपा गठबंधन रहने के बाद भी यशोमती ठाकुर ने चुनाव में सफलता की हैट्रीक साध्य की . महायुती की सरकार केबिनेट मंत्री व पालकमंत्री बनी. साथ ही कार्याध्यक्ष के रूप में वे प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सक्षमतापूर्वक संभाल रही है. आज उनके पास सबकुछ है. किंतु उन्हें मार्गदर्शन करनेवाले व समय-समय पर हौसला बढानेवाले पिता उनके साथ नहीं है. इस बात का उन्हें दु:ख है. शाहू, फूले, आंबेडकर विचारधारा वाले इस प्रगत महाराष्ट्र में स्वयं की पुत्री को एक सक्षम नेतृत्व के रूप में उभरता देख हर किसी के मन में भैयासाहब के कार्यो का आदर्श उभर आता है. इसीलिए एड. यशोमती ठाकुर के माध्यम से भैया साहब का नाम चिरस्मरण में रहेगा.
हरिभाउ मोहोड,
अमरावती-मो-9545362883

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