लेख

प्रसन्न व्यक्तित्व के धनी स्व. गणेशराव फरतोडे

शिराला के मूल निवासी व सन 1995 से विश्वनाथ नगर, अमर कॉलोनी में रहने वाले गमेशराव रामरावजी फरतोडे का 6 फरवरी को अल्प बीमारी के चलते निधन हो गया. दस्तूर नगर, अमर कॉलोनी परिसर में विश्वनाथ नगर यह परिसर विश्वनाथ नगर अस्तित्व में आने के बाद स्व. फरतोडे इस परिसर के पहले दूसरे निवासी थे.विश्वनाथ नगर का निर्माण होने के बाद खेत जमीन में ही घर बनाकर उन्होंने यहां पर रहना शुरु किया. मैं सन 2001 में उनके पड़ोस में रहने आया. तब इस व्यक्तित्व को करीब से अनुभव करने का अवसर मुझे मिला. संत श्रेष्ठ श्री गजानन महाराज शेगांव यह उनका श्रद्धास्थान. उनके मूल गांव शिराला में भी श्री गजानन महाराज संस्थान है. यहां प्रति वर्ष प्रकट दिन का उत्सव बड़े पैमाने पर देशमुख परिवार व गांववासी मनाते हैं. ट्रैक्टर से पंगत परोसना यह बात सुनी थी, लेकिन यह बात शिराला में मुझे प्रत्यक्ष अनुभव करने मिली. वह गणेशराव के कारण ही. शिराला के श्री गजानन महाराज उत्सव में जिले के बड़े राजनीतिज्ञ व समाजसेवक उपस्थित रहते हैं. इस कार्यक्रम का संचालन गत अनेक वर्षों से मेरी पत्नी अपर्णा पांडे करती हैं.उन्हें यह जिम्मेदारी गणेशराव के कारण ही मिली.
गणेशराव का व्यक्तित्व व्यापक जनसंग्रह वाला था. विश्वनाथ नगर में निवासी संघ की स्थापना उन्होंने की. नगर में हनुमान जयंती उत्सव कॉलोनी व परिसर के महिला-पुरुषों व बालगोपालों को भोजन का प्रसाद देने हेतु वे स्वयं योगदान, चंदा जमा करने, उत्सव के सभी कामों के नियोजन बनाने इन सभी बातें कॉलोनी के युवक व निवासी विष्णु कांबे,डॉ.शरद जुनघरे,नानोटकर,प्रा.विजय पांडे,गणेश आंबलकर, हिरालाल चांदूरकर, केशव मातले, विजय इंगले, दीपक पाचकवडे, टवलारे काका, विजय महल्ले, माणिक कविटकर, सुधीर गोटे, डॉ. कुर्‍हे, राजाराम यादव, पंकज व आशिष वानखडे, अमर ठाकुर, जयदेव गोंडाणे, हरीमण हरले, गजानन खलोरकर, श्रीधर देशमुख, बाल्या चौधरी आदि के सहयोग से शिस्तबद्ध तरीके से मनाने का मानस उनका रहा. भजन प्रेमी व भजन गान करने वाला उनका व्यक्तित्व. होली यह उत्सव हम कॉलोनी के बच्चों सहित ज्येष्ठों के साथ मनाने का विचार मैने प्रस्तुत किया तब होली व विश्वनाथ नगरी की रंगपंचमी यह एक साथ व सादगीपूर्ण मनाने वे आगे आये. चांदूरकर के घर के सामने शाम को उपरोक्त मंडली की बैठक रहती थी. कॉलोनी में किसी के घर में कोई बीमार हो तो कॉलोनी एक परिवार के समान दिल से मदद करने का प्रयास करती थी. इस बात का जतन आज भी विश्वनाथ नगरवासी करते हैं.
गणेशराव कर्मचारी के रुप में एक वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुए. लेकिन उनका परिचय बड़े पैमाने पर राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में था. परिसर की समस्या रहने पर संध्याताई टिकले, अविनाश मार्डीकर उनके कहने पर समस्याओं का निराकरण आज भी करते हैं. प्रसन्न व्यक्तित्व के धनी व स्वयं की उपस्थिति से दूसरों को आनंद देने वाला व्यक्तित्व हमारे बीच से निकल गए. उनके पश्चात पत्नी नलिनी, बेटी भाग्यश्री, अतुल टाले यह दर्यापुर में रहते हैं व छोटी बेटी लेखा यह मुंबई में नौकरी करती है. तीन भाई, तीन बहनें व बड़ा लोकसंग्रह है. उनका हंसमुख व्यक्तित्व आज ईश्वर के चरणों में लीन हो गया. लेकिन उनकी स्मृति इन नगरवासियों को हमेशा रहेगी. ईश्वर पर नितांत श्रद्धा रहने से उनकी आत्मा को सदगति प्राप्त होगी. मेरी व परिवार की तरफ से उन्हें विनम्र आदरांजलि.
– एड. राजेन्द्र पांडे,
मुधोलकर पेठ, अमरावती.

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