कररहित हो आम बजट
इस वर्ष बजट में नये कर न लगाए जाए तथा पुराने कर संबंधी मामलों को निपटाया जाए ताकि राजस्व में वृध्दि हो सके. यह मशविरा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के वित्त विशेषज्ञाेंं ने दिया है. निश्चित रूप से बीते वर्ष में कोरोना संक्रमण के कारण जो आर्थिक अनुशेष बढा है. उसे देखते हुए नये आम बजट में करो को न लादना ही श्रेयकर रहेगा. क्योंकि लोगों के समक्ष इतने संकट निर्माण हुए है कि उन्हें नये करो का सामना कर पाना कठिन होगा. बजट में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अधिक प्रावधान किया जाना भी जरूरी है. हालाकि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में कोरोना संकट के दौरान जिस तरह आत्मनिर्भरता का परिचय दिया है. उससे स्पष्ट है कि देश में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को निपटना ज्यादा कठिन नहीं रहेगा. जिस समय कोरोना का संक्रमण हुआ था. उस समय देश के पास न तो पर्याप्त अस्पताल थे और न ही पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर थे. इसके अलावा पीपीई कीट, मास्क, सैनिटाइजर सहित अनेक वस्तुओं की उपलब्धता सीमित थी. लेकिन देशवासियों के प्रयास एवं सरकार के प्रोत्साहन के चलते सभी वस्तुओं के मामले में भारत आत्मनिर्भर हो गया है. यहां तक की कोरोना की वैक्सीन का भी निर्माण कर लिया गया है तथा उसका उपयोग भी आरंभ हो रहा है. निश्चित रूप से इस सफलता से देशवासियों में अनेक आशाए जागी है. जिसके कारण वे भी अब अपने स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दे रहे है. इससे आनेवाले समय में जनस्वास्थ्य के लिए किसी को कोई कठिनाई नहीं होगी. व्यापार क्षेत्र धीरे धीरे गतिमान हो रहा है. ऐसे में आवश्यक है कि व्यापार क्षेत्र को विशेष रियायत दी जाए ताकि वे अपने कारोबार को बढावा दे सके. आम तौर पर पाया जाता है कि व्यापारी को अलग-अलग मामलो में कर अदा करने पडते है. जिससे उन्हें व्यवसाय में संतुलन बनाए रखना कठिन रहता है. इतना ही नही कर अदा न करने पर संबंधित विभाग की ओर से जो जुर्माना लादा जाता है वह भी व्यापारियों के लिए समस्या बन जाती है. इसलिए यदि इस बार का बजट कर मुक्त रखा जाता है तो अनेक लोगों को इसकी राहत मिलेगी.
वित्त वर्ष 2019 की आकडेवारी के अनुसार करीब 9.5 लाख करोड रूपये रकम कर के मामलो में अटकी हुई है. इसमें 4.5 लाख रूपये कारर्पोरेट कर तथा 3.97 लाख करोड रूपये आयकर के बाकी है. जब इतनी सारी राशि बकाया पडी हुई है तब नये कर लगाने की बजाय इन राशियो को ही वसूल करने में अपनी उर्जा का अपव्यय करना चाहिए तभी बजट का संतुलन बना रह सकता है. यदि बकाया राशि की वसूली हो जाती है तो बजट में काफी सुधार हो सकता है. अत: सरकार को चाहिए कि बकाया कर राशि के मामलो को यथाशीघ्र सुलझाया जाए. इससे सरकारी तिजोरी में पर्याप्त राशि जमा हो सकती है जो जनकल्याण के काम में आ सकती है. इसके लिए प्रबल इच्छाशक्ति भी अति आवश्यक है. जिन लोगों पर कर की राशि बकाया है. उनके खिलाफ न केवल कार्रवाई की जाए. बल्कि उस राशि का उपयोग देश के विकास कार्यो में भी किया जाना चाहिए.
स्वास्थ्य के साथ विद्यार्थियों की पढाई का भी नुकसान वर्ष 2020 में हुआ. उसे भी दूर करने के लिए शिक्षा क्षेत्र में भी अनेक आवश्यक सुविधा देना जरूरी है. ऑनलाईन पढाई से अनेक छात्र जुडे है. लेकिन हर कोई इस पढाई को हासिल नहीं कर पाया. इसलिए उन्हें योग्य सुविधा देना आवश्यक है. इसके लिए या तो वर्तमान में जो पढाई जारी है. उसे सुचारू रखा जाए व जिन छात्रों के पास ऑनलाइन शिक्षा के लिए सरकार की ओर से योग्य मोबाइल विद्यार्थियों को उपलब्ध कराए जाए ताकि वे अपनी शिक्षा हासिल कर सके. इस वर्ष व्यापार हो या नौकरी पेशा व्यक्ति हो सभी को कठिनाई का सामना करना पडा है. लेकिन अब इसमें काफी सुधार किया जा सकता है.
कुल मिलाकर कोरोना के संंक्रमण के कारण पूरे देश में अनेक लोगों पर संकट आए है. फिर भी वे अपना हौसला कायम रखे हुए है. खासकर व्यापार क्षेत्र को बीते वर्ष में अनेक समस्याएं सामने आयी है. अब व्यापार में बाधा न हो इस बात का भी ख्याल रखा जाना चाहिए. हालाकि अनलॉक प्रक्रिया के तहत व्यवहार चलता रहा. लेकिन व्यवहार की गति में बाधा उत्पन्न होती रही है. ऐसे में नये रूप से जब हर कोई अपने कार्य मेंं जुट गया है तब सरकार को चाहिए कि नये बजट में सभी को करमुक्त किया जाए. इससे व्यापार व्यवसाय को गति मिलेगी तथा कोरोना संकट के कारण जो लोग रोजगार से वंचित हुए है. उन्हें रोजगार भी मिल सकेगा. निश्चित रूप से नया बजट चुनौतीपूर्ण रहेगा. जिसमें एक ओर राजस्व जमा करने का लक्ष्य है. वहीं पर नये कर नहीं लादने की भी आवश्यकता प्रतिपादित की जा रही है. सरकार को सभी द़ृष्टि से विचार कर योग्य निर्णय लेना चाहिए.