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प्रदूषण का बढ़ता साम्राज्य

हवा की शुध्दता कायम रखने के लिए पर्यावरण विभाग की ओर से कुछ मापदंड निर्धारित किए गये हैे०. लेकिन पाया जा रहा है कि अनेक शहरों में इन मापदंडों की अव्हेलना होने के कारण वहां प्रदूषण का प्रमाण बढा है. देश में प्रदूषण के मामले मेंं दिल्ली का प्रथम स्थान है. राजधानी दिल्ली ने प्रदूषण की सीमा पार कर दी है. जिसके कारण दिल्ली में सामान्य जीवन भी प्रभावित हो रहा है. इसी तरह उत्तर प्रदेश, हरियाना पंजाब, उत्तराखंड से घिरे दिल्ली राज्य में प्रदूषण का स्तर बढता ही जा रहा है. दिल्ली में प्रदूषण का स्तर ५०० से १००० तक है. अब प्रदूषण का फैलाव अन्य प्रांतों में भी होने लगा है. महाराष्ट्र के १८ शहर में अधिक प्रमाण में प्रदूषण पाया गया है. चंद्रपुर, पुणे, प्रदूषण के मामले में सबसे आगे है. वहीं पर औरंगाबाद, जालना, लातुर भी प्रदूषित पाए गये है. प्रदूषण के प्रभाव से अकोला, अमरावती, औरंगाबाद, बदलापुर, जलगांव, जालना, कोल्हापुर, नागपुर, मुंबई, नाशिक, नागपुर, सांगली में भी प्रदूषण पाया जा रहा है.
प्रदूषण यह किसी क्षेत्र विशेष की समस्या नहीं है. जहां भी पर्यावरण प्रभावित हुआ है. प्रदूषण ने अपना कब्जा आसानी से जमा लिया है. स्पष्ट है कि प्रदूषण व मात देनी है तो पर्यावरण संवर्धन को विशेष महत्व देना होगा. वर्तमान में जिस तरह पेड़ की कटाई हो रही है. उससे पर्यावरण का संकट मंडराने लगा है. देशभर में वृक्ष संपदा इतनी भरपूर थी कि ऑक्सीजन के लिए लोगों को कही जाना नहीं पड़ सकता है.
लेकिन अब बढ़ते शहरीकरण के कारण वृक्ष संपदा नष्ट होने लगी है व प्रदूषण को अपना प्रभाव जमाने का मौका मिल जाता है. महाराष्ट्र के १८
शहरों में प्रदूषण ने अपना प्रभाव कायम किया है. यदि इसे नहीं रोका गया तो आनेवाले समय में स्थिति और भी जटिल हो जायेगी. एक तो पर्यावरण संवर्धन की दिशा में कार्य नहीं रहे है. वहीं पर ध्वनि प्रदूषण , वायु प्रदूषण आदि का वातावरण पर प्रभाव पड़ रहा है. इसलिए जरूरी है कि पर्यावरण संवर्धन को प्राथमिकता दी जाए ताकि आनेवाले समय में प्रदूषण के बढते प्रभाव को रोका जा सके.
कुल मिलाकर आरंभिक दौर में सीमित शहरों में ही प्रदूषण का बुरा प्रभाव था. लेकिन अब इसका क्षेत्र दिनों दिन बढ रहा है. इसलिए जरूरी है कि बढते प्रदूषण पर ध्यान दिया जाए. साथ ही पर्यावरण संवर्धन की दिशा में कार्य किया जाए. पर्यावरण को विकसित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से व्यापक कदम उठाना जरूरी है. महाराष्ट्र जैसे राज्य में इस दिशा में कार्य करना आवश्यक हो गया है. इसलिए यहां पर्यावरण को विकसित करने का कार्य तेजी होना चाहिए. हालाकि सरकार ने प्रदूषण की समस्या को समझते हुए अनेक प्रयास आरंभ कर दिए है. हर वर्ष ५ जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण अभी इस दिशा में कार्य नहीं हो पाया है. अब संक्रमण की लहर कुछ हद तक कमजोर हुई है.लेकिन पर्यावरण के लिए अभी भी प्रयास करना आवश्यक है. ऐसा करने पर भी प्रदूषण की समस्या से निजात मिल सकता है. प्रतिवर्ष होनेवाले पौधारोपण आदि को गति देना अति आवश्यक हो गया है. इसके लिए सरकार को योग्य नीति भी बनाना जरूरी है. जिन शहरो में प्रदूषण का संक्रमण बढ रहा है वहां पर विशेष रूप से पर्यावरण संवर्धन को महत्व देना जरूरी है.

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