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कवि कुसूमाग्रज का मराठी साहित्य में अमूल्य योगदान

कल मराठी राजभाषा दिन निमित्त

27 फरवरी ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता लेखक, नाटककार, मराठी साहित्यकार वी.वा. शिरवाडकर उर्फ कुसुमाग्रज का जन्मदिन है. इस दिन को मराठी राजभाषा दिन के रुप में मनाया जाता है. कुसुमाग्रज ने मराठी साहित्य में अपना अमूल्य योगदान दिया है. मराठी साहित्य की महानता पहचानने के लिए मराठी भाषा को सम्मान दिए जाने हेतु कुसुमाग्रज ने जीवनभर प्रयास किए. इसलिए उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में मराठी राजभाषा दिन मनाया जाता है. महाराष्ट्र व गोवा राज्य की मराठी अधिकृत राजभाषा है और भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा मराठी है. यह भारत की तीसरी व विश्व की 15वीं भाषा है. मराठी भाषा को प्राचीन परंपरा है. मराठी भाषा में संतों ने भजन, किर्तन, भारुड, पोवाडे आदि की रचना की. हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपती शिवाजी महाराज ने मराठी भाषा व संस्कृति की हमेशा सुरक्षा की. मराठी राजभाषा की संपूर्ण महाराष्ट्र भर में विविध सांस्कृतिक, शैक्षणिक, भाषिक कार्यक्रम व सभी शालाओं, महाविद्यालयों तथा शासकीय कार्यालयों में अनेको उपक्रमों व्दारा मनाया जाता है. अंग्रेजी भाषा का प्रभाव बढने की वजह से मराठी भाषा में बदलाव हो रहा है. मराठी भाषा को टिकाए रखना आवश्यक है और प्रत्येक मराठी भाषिकों का कर्तव्य है रोजाना के व्यवहार में ज्यादा से ज्यादा मराठी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए और मराठी भाषा को समृद्ध करने के लिए प्रयत्न किए जाने चाहिए. किसी भी भाषा की समृद्धी उस भाषा के साहित्य से प्राप्त होती है और उस भाषा का दर्जा बढता है. जिसकी वजह से मराठी भाषा में भी नए दर्जेदार साहित्य की निर्मिती हो जिससे मराठी भाषा को समृद्ध होने में और भी गति प्राप्त होगी.
“लाभले आम्हास भाग्य बोलतो मराठी”
जाहलो खरेच धन्य ऐकतो मराठी !
धर्म, पंथ, जात एक जाणतो मराठी
एवढ्या जगात माय मानतो मराठी !
– सौ. वर्षा वि. दलाल
(शिक्षिका)

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