संक्रमितों की बढ़ती संख्या
कोरोना का संक्रमण (Corona infection) अब अमरावती में तीव्र नजर आ रहा है. आरंभिक दौर में यहां सीमित संख्या में संक्रमित पाए जा रहे थे. वहां यह आंकड़ा बढ़कर औसतन १०० से ऊपर रोजाना होने लगा है. इसको लेकर जहां हर कोई चिंतित है वहीं पर प्रशासन की ओर से नागरिको को कोरोना से बचाव के लिए सभी आवश्यक उपाय करने को कहा जा रहा है. यह भी माना जा रहा है कि अनलॉक प्रक्रिया के तहत बाजारों में जैसे-जैसे भीड़ बढ़ रही है बीमारी की हालत भी तीव्र होने लगी है. निश्चित रूप से यह बीमारी संक्रामक होने के कारण योग्य रूप से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होने पर (When social distancing is not followed) मास्क का उपयोग न किए जाने के साथ-साथ अन्य आवश्यक निर्देशों को अनदेखा करने से तीव्र रूप धारण कर रही है. इन कारणों के अलावा प्रशासन की कुछ कमियां भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है. हाल ही में सुकली कंपोस्ट डेपो पर पीपीई कीट व दस्ताने फेंके गये थे. बायोमेडिकल वेस्ट (Biomedical waste) तथा कोविड अस्पताल में इस्तेमाल की गई पीपीई कीट को खुले में फेंका जाना बीमारी को और भी बढऩे के लिए पोषक साबित हो सकता है. इस बारे में ग्रामीणों ने शिकायत भी की है. जिस पर मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे ने जांच के आदेश दिए है. इस तरह अनेक स्थानों पर पान व चाय की टपरियां खुल गई है. इससे अनेक स्थानों पर लोगों का जमघट चाय पीते हुए दिखाई देता है. ऐसे में सोशल डिस्टेसिंग के पालन की धज्जियां उड़ रही है. जरूरी है कि प्रशासन इस बारे में चिंतन कर अनावश्यक रूप से जहां भीड़ जमा होती है वहां पर कार्रवाई करे. इन दिनों बरसात जारी रहने के कारण जगह-जगह पानी जमा हो गया है. साथ ही सड़कों पर गढ्ढे बढऩे लगे है. जिससे यातायात की परेशानी के अलावा शहरवासियों को राह चलना भी कई स्थानों पर कठिन हो रहा हैे. खुले मैदानों में गाजरघास का फैलाव होने के कारण अनेक किटाणु सक्रिय हो गये है. जिसमें मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियां भी पंख फैलाने लगी है. इस तरह की बीमारियां हर वर्ष आती है. लेकिन निरंतर छिड़काव के चलते जीवाणुओं को नष्ट किया जाता है. इन दिनों शहर के अनेक प्रभागों मेें गंदगी का आलम है. बात यहां तक बढ़ गई है कि एक प्रभाग के नागरिको ने गंदगी साफ न किए जाने का आरोप लगाते हुए महानगरपालिका के परिसर में (On the premises of the municipality) ही कचरा लाकर फेंका. इसके अलावा छिड़काव आदि की प्रक्रिया को अभी गति नहीं दी गई है. लोगों में एक भ्रम है कि किसी भी अस्पताल में उपचार के लिए जाए तो कहीं उन्हें कोरोना पॉजिटीव न दिखा दिया जाए. इस भय से कई लोग उपचार से भी घबराने लगे है. इस हालत में कोरोना की तरह मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारी का भी खतरा तीव्र हो गया है. नागरिको का मानना है कि यदि सचमुच में बीमारी का संक्रमण तीव्र है तो हर बस्तियों में छिड़काव एवं सैनेटाइजर करने की प्रक्रिया तीव्र कर देनी चाहिए ताकि विषाणुओं को फैलने से रोका जा सके. इसी तरह सफाई व्यवस्था पर भी पूरा ध्यान दिया जाए. इससे बीमारियों को रोका जा सकता है. लेकिन प्रशासन की ओर से इस दिशा में व्यापक प्रयास अभी आरंभ नहीं किए गये है. जब बीमारियों का संक्रमण तीव्र हो तो प्रशासन का भी दायित्व है कि वह शहर की सफाई, बढ़ते विषाणुओं को रोकने के लिए छिड़काव की गति तीव्र करे.
बीमारी चाहे जो भी हो उस पर नियंत्रण पाने के लिए प्रशासन व नागरिको को मिलजुलकर ठोस कदम उठाना चाहिए (Administration and citizens should take concrete steps together). जहां नागरिको को सरकार द्वारा कोरोना से बचाव के लिए जारी दिशा निर्देशों का पालन करना आवश्यक है. वहीं प्रशासन को भी अपना तंत्र प्रभावी रूप से अमल में लाना चाहिए. यदि ऐसा किया जाता है तो जीवाणुओं को विकसित होने का अवसर नहीं मिलेगा व आम लोगों पर बीमारियों का संक्रमण भी नहीं हो पायेगा. जरूरी है कि इस बात को अमल में लाया जाए. अनलॉक प्रक्रिया के तहत शहर में लगभग सभी मामलों में प्रतिबंध दूर करने का कार्य जारी है. अनेक दुकानों को अब नियमित कर दिया गया है. इसी तरह शुक्रवार की शाम से सोमवार की सुबह ७ बजे तक कफ्र्यू भी हटा दिया गया है जिसके चलते शनिवार को बाजार में भरपूर खरीददारी हुई. खासकर महालक्ष्मी का पर्व हर किसी परिवार में मनाया जाता है. अनेक स्थानों पर महालक्ष्मी की स्थापना की जाती है. स्थापित महालक्ष्मी के दर्शन के लिए भक्तगण एक-दूसरे के यहां जाते है. इस हालत में जरूरी है कि नागरिक स्वयं की सुरक्षा स्वयं करे. किसी भी आयोजन में भीड़ नहीं होने देना चाहिए. कोरोना से बचाव के जो मार्गदर्शन किया गया है. उसके अनुसार बचाव की दृष्टि से नागरिको को आगे आना होगा.
कुल मिलाकर कोरोना का संक्रमण तीव्र हो गया है. इसी के साथ अनेक लोग मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों के भी शिकार हो रहे है. इसके लिए जरूरी है कि प्रशासन शहर में व्याप्त गंदगी को नष्ट करने के लिए तत्काल प्रबंध करे. हर बस्तियों में जंतु नाशक सैनिटायजर का भी छिड़काव किया जाना चाहिए. इससे अन्य जीवाणुओं को पनपने का अवसर नहीं मिलेगा. जन स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए जितना जिम्मेदार नागरिको को माना जाता है. उतना ही जिम्मेदार प्रशासन (Responsible administration) भी अपने आपको महसूस करे. गंदगी पर रोक लगाने के साथ-साथ सफाई व्यवस्था को गतिशील करना आवश्यक है. जिस तरह कंपोस्ट डेपो पर पीपीई कीट फेंके गये पाए गये थे. उसकी पुनरावृत्ति न हो इस ओर भी ध्यान देना जरूरी है. अभिप्राय यह कि बीमारी के संक्रमण काल में जहां लोगों को स्वयं जागृत होकर अपना बचाव करना जरूरी है. वहीं पर प्रशासन की ओर से भी सफाई व्यवस्था छिड़काव का योग्य ढंग से पालन होना चाहिए.