लेख

महंगाई डायन मारत जात है…..

मुसाफिर है हम तो चले जा रहे है,

बडी ही कठीन नगर की डगर है…इस गीत को गुनगुनाते मुस्कुराते मुसाफिर एक बार फिर आपकी सेवा में निकल पडा है शहर की सडकों पर कुछ भुली कुछ बिसरी खबरों को आपको याद दिलाने बताने और कुछ मन की बात सुनाने बात करते है पिछले रविवार की मेहनतकश नारी शक्तियों का शक्ति प्रदर्शन शहर की हर गली मोहल्लों में नजर आया.जहां कई महिलाएं बिचारी अपने दिवाली निमित्त अपने घर की साफ सफाई में जुटी हुई थी. वही उनके पति परमेश्वर भी हाथों में ब्रश-कुचा लेकर रंग रोगन में जुटे हुए नजर आए. वही कई महिलाएं जो ऑफिस वर्क के साथ घर की जिम्मेदारी संभालती है उन नारी शक्तियों को डबल वर्क के साथ ही अपने घर को चमकाने व साथ में लजीज दिवाली स्पेशल पकवान तैयार करने का जिम्मा भी सर पर रहने से डबल जिम्मेदारियों का भार उन पर दिखाई दिया. सोमवार को मुसाफिर इर्विन चौक स्थित पूर्व पालकमंत्री व वर्तमान भाजपा शहर अध्यक्ष, विधायक प्रविण पोटे साहब के ऑफिस के करीब से गुजरा यहां पोटे साहब को उनके जन्मदिन की बधाई देने वालों का काफी लंबा तांता लगा हुआ था. हर किसी के हाथ में फुलों का गुलदस्ता दिखाई पड रहा था. मुसाफिर उस भीड का हिस्सा बन पोटे साहब को बधाई देने पहुंचा. वही मुस्कान, अपनापन व हर किसी का आदर करते हुए विधायक प्रविण पोटे नजर आए.यहां से निकलकर मुसाफिर जिलाधिकारी कार्यालय की तरफ बढ निकला जहां पूर्व सैनिकों व्दारा अमरावती की एनसीसी कैंटिन को पुलगांव के डिपो में स्थानांतरित करने से नाराज होकर जिलाधिकारी के मार्फत राज्य सरकार व केंद्र सरकार के सुरक्षा विभाग को कैंटिन यशा स्थान रखने की मांग कर रहे थे. वहां से निकल मुसाफिर पहुंचा राजकमल स्थित मनपा कार्यालय में यहां पर समावादी पार्टी व्दारा पश्चिम क्षेत्र में फैली गंदगी व कचरे के अंबार को देखने के लिए स्पेशल निमंत्रण पत्रिका तैयार कर मनपा आयुक्त को आमंत्रित करने पहुंचे थे. समाजवादी कार्यकर्ताओ का मनपा आयुक्त से कहना रहा कि जब आयुक्त बुलेट से पुरे शहर सहित बडनेरा में सफाई व्यवस्था देखने के लिए चक्कर काट सकते है तो नाक के नजदिक पश्चिम परिसर में क्यों नहीं..? मुसाफिर यह नजारा देख कर शहर की सडकों के साथ ही नमुना गली व अन्य मोहल्लों के चक्कर काटने लगा. दिवाली पूर्व अपने बच्चों के लिए नये कपडे व अन्य सामाग्री लेने के लिए कई दुकानों में फुल गर्दी नजर आई जहां खडे रहने के लिए जगह भी नहीं, फिर भी लोग दुकानों में एक से बढ़ कर एक कपडों की डिमांड कर रहे थे. मुसाफिर इस दृश्य को निहार कर कुछ मोहल्लों में गुजरा तो पाया कि कुछ अपने घरों की सफाई में जुटे है तो कुछ घरों के भितर से खट्टे-मिठे पकवानों की सौंधी खुशबु मुसाफिर के नाक तक पहुंच रही है जिसे बाद मुसाफिर के मुंह में पानी आ गया. मगर मुसाफिर ने सोचा कि भैय्या यह आपके लिए नहीं बल्कि दिवाली में घर पर आने वाले मेहमानों के लिए परोसा जाएगा. मुसाफिर मनमसोस कर आगे निकल पडा. मंगलवार को मुसाफिर सांस्कृतिक भवन पहुंचने के बाद देखा की कई पुज्नीय संतों के मार्गदर्शन में दिसंबर माह में होने वाली शिवमहापुराण की तैयारी के लिए नियोजन बैठक शुरु है. संतानत धर्म को मानने वाले कई नेता सहित संतो के मार्गदर्शन में शिवमहापुराण की जोरों से तैयारियां व जिम्मेदारियां बांटी जा रही है. इस नियोजन बैठक को लेकर नागरिकों में काफी उत्साह व जोश नजर आया. जिम्मेदारियां लेने के लिए संस्कृतिक भवन का सभागृह हाऊस फुल दिखाई पडा. यहां से निकलकर मुसाफिर परेड ग्राऊंड की ओर निकल पडा जहां गमगीन माहौल में पुलिस विभाग के खोजी श्वान को अंतिम बिदाई दी जा रही थी. पुलिस महकमें का पुरा विभाग इस अंतिम बिदाई में सम्मिलीत हुआ. बुधवार को मुसाफिर का सफर फिर शुरु हुआ. हाय तौबा गर्दी, ट्राफिक व वाहनों की कान फाडु कर्कश ध्वनि के कारण मुसाफिर का दिमाग भी चकराने लगा. पंचवटी चौक से इर्विन चौक, मालवीय चौक से जयस्तंभ चौक, शाम चौक से बापट चौक, राजकमल चौक- से प्रभात चौक, चित्रा चौक से इतवारा चौक, कॉटन मार्केट चौक से शेगांव नाका चौक शहर का ऐसा कोई सा मार्ग न हो जहां ट्राफिक की फजीती होती न दिखाई दी हो. हर कोई अपने वाहन को आगे बढाने, जल्दी जाने, कट मारने में मशरुफ नजर आया. वही इन बेतरतीब ट्राफिक को को सुचारु करने के लिए ट्राफिक विभाग के कर्मचारियों के पसीने भी छुटने देखने को मिले. यह नजारा पुरे सप्ताह यानि शनिवार तक चलता रहा. शहर की बेदर्दी ट्राफिक में से बचता बचाता मुसाफिर आगे बढ कर भातकुली तहसील पहुंचा जहां किसानों को न्याय दिलाने के लिए समाज सेवक नितिन कदम सैकडों किसानों के साथ पहुंचे थे. उनकी मांग थी कि अतिवृष्टी में फसल नुकसान ग्रस्त किसानों को सरकार व्दारा घोषित मुआवजा दिया जाए. यहां का काम निपटाकर मुसाफिर राजापेठ स्थित रघुवीर मिठाई की दुकान के सामने से गुजरने पर पता चला कि यहां पर स्पेशल सोने की परतवाली मिठाई जिसे गोल्डन फ्लावर के नाम से प्रसिध्द किया गया है वह मीठा खाने के शौकिन लोगों के लिए तैयार की गयी है. साथ ही विभिन्न तरह के मिष्ठान, पकवान भी यहां तैयार रखे है. वैसे देखा जाए तो इस भागदौड की जिंदगी में अब कम ही लोग अपने घरों पर दिवाली के विशेष पकवान तैयार करते है. वरना बाजारों में तो कई तरह के पकवान ऐसे ही मिल जाते है और लोगों का समय भी बच जाता है. एक बात और वह यह कि महंगाई डायन के वर्चस्व के बाद भी शहर की दुकानों में चाहे कपडे की दुकाने हो या मिष्ठान-पकवान की दुकानें नागरिकों ने खरीदारी के लिए कोई कसर नहीं छोडी. वर्ष का सबसे बडा पर्व होने के चलते शहर की हर दुकानों पर वैसी ही भीड जो कोरोना काल के पहले दिखाई पडती थी अब भी वैसी ही है. शहर में बढी महंगाई को देख मुसाफिर के मुंह से एक बार फिर एक गीत निकल पडा- ‘…..मंहगाई डायन मारत जात है….’ गुरुवार के दिन मुसाफिर ने भी झोला उठाया और निकल पडा अपनी मंजिल की तलाश में देखा की शहर में दिवाली के दिन पुजन हेतु 32 हजार से भी अधिक लक्ष्मीमुर्तियां तैयार कर विक्रय हेतु बाजारों में सजी हुई है. वही इस बार फुल विक्रताओं में भी जोश नजर आया. बाजार में पिछली दफा दशहरा के पर्व पर फुलों की जावक कम होने से कई किसानों व फुल विक्रेताओं को भारी नुकसान झेलना पडा था. मगर इस बार दिवाली को लेकर वे उत्साहि थे कि पिछली बार की कसर निकल जाएगी. साथ ही एक अच्छी खबर पढने को मिली जिसमें आशा वर्करों की सभी मांगो को सरकार ने मान्य करने से आशा वर्कर व गटप्रवर्तकों की कृती समिती ने अपनी हडताल वापस ले ली थी. मगर जिप के सामने बैठे हजारों एनआरएचएम स्वास्थ कर्मचारी अब भी सरकार से नाराज है कि उन्होनें हमारी मांगे क्यों नहीं मानी. वही मुसाफिर ने देखाा की गुरुवार को नांदगांव पेठ के अनेक अतिक्रमणधारी नागरिक अपने घरों को बचाने व दुबारा बसाने के लिए कलेक्टर ऑफिस पर पहुंचे थे. यह वही नागरिक थे जिनका पिछले सप्ताह सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करने के चलते घरों को तोडा गया था. शुक्रवार को पुरे बाजार में धनतेरस की रौनक थी. हर स्वर्णकार की दुकानों सहित दोपहिया वाहन विक्रेताओं में खुशी दिखाई दी. महंगाई के बावजूद भी लोग अपने लिए सोना,चांदी, बर्तन, वाहन खरीद रहे थे. वही इस बार इलेक्ट्रानिक दोपहिया वाहनों की बिक्री भी बढ-चढ कर हुई. पुरे दिन बाजारों में रौनक नजर आई. वही सरकारी महकमें के अधिकारी शहर के विभिन्न स्थानों पर लगे फटाखा दुकानों में दुकानदारों को नियमों का पालन कर फटाखा बेचने की हिदायत देते नजर आए. शनिवार को मुसाफिर अपनी सायकिल के साथ बेदर्दी गर्दी से बचता बचाता गुजर रहा है. कल बडी दिवाली है. मुसाफिर को भी अपने घर आने वाले मेहमानों के लिए कुछ खारा-मिठा व बच्चों के लिए फटाखे लेना है. इस लिए मुसाफिर कुछ गुनगुनाते हुए दुकानों और उसमें रखे सामानों को ताड रहा है. चलों आप भी बोर मत होईए. मुसाफिर को भी इजाजत दिजीए. आपके पत्र और भावनाएं मुसाफिर तक बरोबर पहुंच रही है कि मुसाफिर इससे अच्छा भी लिख सकता है. तो मुसाफिर के लिए दुआएं किजीए की अगली बार भी ऐसी ही खुशियों के साथ हम मिलते रहेगे. मुसाफिर की बाते कैसी लगी हमें जरुर बताए. इसके लिए आपकों दैनिक अमरावती मंडल खापर्डे बगीचा के पते पर मुसाफिर के नाम से पत्र लिखना है. चलों फिर चलते है दिपों के पर्व को खुशगवार बनाने के लिए और उसकी तैयारी करने के लिए तब तक के लिए मुसाफिर को दिजीए इजाजत. अगले सप्ताह फिर मिलते है.और मुसाफिर मन में जो गाना गुनगुना रहा था वह आपकों बताता चलु कि मुसाफिर कौन सा गीत गुनगुना रहा है.यह गीत है सलमान खान अभिनीत फिल्म प्रेम रतन धन पायों का जो मुसाफिर दिवाली के पकवानों को देख-देख कर गुनगुना रहा है- चलो उनको दुआएं देने चले….थोडी चकली-चुडा लेके चले.

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