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जानलेवा साबित हो रही महंगाई

इन दिनों देश में बीमारियों का कहर जारी रहने के चलते हर कोई बीमारियों से बचाव में उलझा हुआ है. इस बीच महंगाई नामक एक और बीमारी ने अपना कहर बरपाना आरंभ कर दिया है. अन्य बीमारियों के वैक्सीन खोजे जा रहे है. किंतु महंगाई को नियंत्रित करनेवाला वैक्सिन अब तक नहीं बन पाया है. इसका परिणाम यह हो रहा है कि गरीब व मध्यमवर्ग के लोगों का जीना कठिन हो गया है. जीवनावश्यक वस्तुओं से लेकर विभिन्न कार्यो में उपयोग आनेवाली वस्तुओं की दरों में भी भारी बढोतरी की गई है. इससे हर किसी का बजट गडबडा गया है. महंगाई का यह क्रम बीते कई दिनों से जारी है. जिसके चलते लोगों के सामने यह प्रश्न उभरने लगा है कि जिए तो जिए कैसे. महंगाई चाहे जितनी बढ जाए सामान्य नागरिक को जीवनावश्यक वस्तुओं को लाना ही पडता है. हालाकि बीते वर्ष लॉकडाउन के कारण रोजगार खोनेवाले लोगों की संख्या अधिक है. कई लोगों को रोजगार मुहैया नहीं हो पाया है. कुछ लोगों को रोजगार के अवसर मिले लेकिन यह कार्य भी संतोषजनक तरीके से नहीं हो पाया है. कहीं कहीं पर श्रमिको को आधे वेतन पर ही काम करना पड रहा है. ऐसे में बढती महंगाई का वे कैसे सामना करे. यह यक्ष प्रश्न निर्माण हो गया है.
महंगाई के क्रम को देखा जाए तो किराणा क्षेत्र में 20 से 25 फीसदी महंगाई बढी है. सोयाबीन तेल जो फरवरी 2020 में 96 रूपये प्रति किलो था. इस वर्ष उसका मूल्य 126 रूपये प्रति किलो है.अनाज की कीमतों में भी भारी आग लगी है. शक्कर करीब 40 रूपये तक पहुंच गई है. गेहूॅ, चावल की दरों में भी इजाफा हुआ है. खाद्य पदार्थो की खरीददारी महंगी होने के साथ साथ भोजन पकाना भी महंगा हो गया है. गत वर्ष फरवरी माह में घरेलू गैस की कीमत 749 रूपये थी. इस वर्ष यह सिलेंडर महंगा होकर 771 रूपये पहुंच गया है. स्पष्ट है सभी वस्तुओं की दरों मे तेजी से इजाफा हो रहा है. इससे जहां ग्राहको को अपनी जेब ढीली करनी पड रही है वही पर कई लोगों के पास बढती महंगाई से निपटने का प्रश्न जटिल हो गया है.
वर्तमान में वाहन हर किसी की आवश्यकता बन गई है. बढते शहरीकरण के कारण परंपरागत वाहनों के जरिए कार्यस्थल पहुंचना कठिन है. ऐसे में वाहनों में इस्तेमाल किया जानेवाला पेट्रोल, डीजल भी महंगा हो गया है. परिणामस्वरूप कई लोगों के सामने वाहनों के उपयोग का संकट निर्माण हो गया है. एक वर्ष पूर्व 80 रूपये के करीब पेट्रोल की दरे थी. लेकिन इस वर्ष 94 रूपये 60 पैसे हो गई है. पेट्रोल बढती दरों से व्यापारिक क्षे त्र के सामने भी समस्या निर्माण होने लगी है. इस तरह सभी क्षेत्र बढती महंगाई के कारण प्र भावित हो रहे है. इस हालत में कोई भी महंगाई कम करने की बात नहीं कर रहा है. जिससे सामान्य व्यक्ति अपने आपको अकेला पा रहा है. इस हालत में जरूरी है कि सरकार बढती महंगाई पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए. अन्यथा आनेवाले दिनों में महंगाई का कहर और भी तीव्र हो सकता है. ऐसे में सामान्य व्यक्ति का जन जीवन जटिल हो गया है. इस बारे में अतिआवश्यक है कि सभी राजनीतिक दल आपस में बैठकर महंगाई पर नियंत्रण लाने की दिशा में कार्य करे. महंगाई के कारण यदि लोगों का जीवन जटिल हो जाता है तो यह भविष्य की दृष्टि से घातक स्थिति है. इसे नियंत्रित करने के लिए हरसंभव प्रयास आवश्यक है. गरीब व मध्यम वर्ग इस महंगाई को नहीं झेल पायेंगे. जिससे उन्हें आत्मघाती कदम भी उठाना पड सकते है. अत: इस महंगाई को रोकने के लिए शासन को योग्य कदम उठाना आवश्यक हो गया है.

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