रोजगार निर्मिति की चुनौती
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने एक बयान मेंं कहा है कि अधिकाधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना यह देश के सामने सबसे बडी चुनौती है. उसके लिए अधिक उद्यमशीलता निर्माण होनी चाहिए. उद्यमशीलता के बिना रोजगार निर्मिति संभव नहीं है. यदि रोजगार के अवसर उपलब्ध होते है तो निर्धनता व भूखमरी को रोका जा सकता है. केन्द्रीय मंत्री का यह कथन अत्यंत महत्वपूर्ण है. क्योंकि कोरोना संंक्रमण के बाद से जारी लॉकडाउन व अनेक प्रतिबंधों के कारण देशभर में लाखों लोग बेरोजगार हो गये. क्योंकि यह संक्रमण तीव्रता से न फैले इसलिए लोगोंं को सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए कार्य करने के लिए अनेक कर्मचारियों को घर बैठना पडा. पहले लॉकडाउन के समय अनेक लोगों ने रोजगार के अभाव में अपने गांव में पलायन किया. इसी तरह अनेक प्रतिष्ठान व उपक्रम कोरोना संक्रमण के कारण प्रभावित हुए है. जिसके चलते प्रतिष्ठानों में अनेक कर्मचारियों को निवृत्त किया गया. ऐसे में बेरोजगारी बडे पैमाने पर बढने लगी. आज लाखों लोग रोजगार के अभाव में परेशान है. जिससे उनका जीवन जटिल हो गया है. रोजगार की स्थिति फिर से सामान्य करने के लिए सरकार को नये उपक्रम आरंभ करने होंगे. लोग उपक्रम आरंभ करने के पक्ष में भी है. लेकिन शासकीय यंत्रणा की ओर से जारी किए जानेवाले जुर्माने व कडक निर्बंध के चलते कोई भी व्यापारी व्यापार में अधिक रिस्क लेने को तैयार नहीं. हर किसी को डर है कि वे यदि अपनी कोरोना संक्रमण का भय न रहे. इस द़ृष्टि से हर किसी को प्रयास करना होगा. यदि उद्यमशीलता को वृध्दिगत करना है तो प्रशासन को चाहिए कि वे अनावश्यक रूपसे लगाये गये कडे निर्बंधों के प्रति ढिलाई बरते. आज किसी भी प्रतिष्ठान के मालिक को दुकान आरंभ करने व बंद करने के बीच हर समय स्थानीय निकायों, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन की ओर से कार्रवाई का भय बना रहता है. इसलिए उद्यमशीलता को गति नहीं मिल पा रही है.
अब तक लॉकडाउन का सिलसिला जारी था. जो जून माह तक जारी रहा. जून माह के बाद अनलॉक प्रक्रिया आरंभ हुई है. निश्चित रूप से सभी व्यवहार सुचारू किए जा रहे है. लेकिन कार्रवाई का डर भी लोगों में बसा हुआ है. हाल ही में 4 बजे तक दुकानें जारी रखने संबंधी छूट दी गई थी. कुछ प्रतिष्ठान वस्तुएं अंदर रखने का कार्य कर रहे थे कि दुपहिया पर सवार पुलिस कर्मी ने पुलिस थाना आने का निर्देश दिया. वहां कुछ कागजातों पर लिखा पढी के बाद सभी दुकानदारों को छोड दिया गया है. इस तरह यदि निर्बधों का सिलसिला जारी रहेगा तो इससे कोई भी उद्योजक कारोबार को विकसित करने के लिए योग्य कदम नहीं उठा पायेगा. इसके लिए कुछ लचीलापन भी जरूरी है. केवल कडी कार्रवाई से ही सभी कार्य नहीं होते.
रोजगार निर्मिति यह समय की मांग है. यदि रोजगार के अवसर बढ जाते है तो अनेक लोग जो बेरोजगारी के कारण मुफलिसी के दौर से गुजर रहे है उन्हें राहत मिल सकती है. इसलिए जरूरी है कि निर्बंधों में भी कुछ लचीलापन रखा जाए ताकि दुकानदारों, व्यवसायियों तथा उद्योजको को जोखिम लेना आसान हो सके व बार बार लॉकडाउन जैसी स्थितियां नहीं निर्माण होगी. इस बात की भी शाश्वती मिलना आवश्यक है.
कुल मिलाकर यह सच है कि देश में रोजगार के अवसर निर्माण करना अति आवश्यक हो गया है. अनेक लोग जो रोजगाविहिन हो गये है. उन्हें रोजगार का आधार मिलना चाहिए. साथ ही जिन क्षेत्रों से रोजगारों की निर्मिति हो सकती है उन्हें प्रोत्साहन देना भी जरूरी है. इस कार्य के लिए सरकार को समन्वयित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है. बेशक कोरोना संक्रमण का खतरा भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है. इसलिए कुछ सावधानियां अति आवश्यक है. लेकिन सावधानी के नाम पर ज्यादती न हो इसका भी ध्यान रखा जाना जरूरी है. यदि ऐसा किया जाता है तो निश्चित रूप से पूरे देश की स्थिति पूर्ववत हो सकती है.