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‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ : नेत्रहीन को नेत्रदान

‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर आगेकूच. अंधकार का घनत्व जितना अधिक होगा उतना ही अधिक महत्व इस आगेकूच को प्राप्त होता है, किंतु यह आगेकूच अचानक रुक गई तो? आज की संध्या के बाद कल का सूर्य ही उदित नहीं हुआ तो? अथवा आंखों की पलकें यदि हमेशा के लिए बंद हो गई तो? संक्षिप्त में अंधेरे में जीना इस बात की कल्पना भी सामान्य मनुष्य को नहीं सुहाती. यहां सामान्य शब्द मैं जानबूझकर उपयोग में ला रही हूं क्योंकि हमारे में से ही असंख्य लोगों ने इस अंधकार को आजन्म अनैच्छिक रुप से स्वीकार कर लिया है और मेरे मतानुसार ऐसे लोग सामान्य नहीं. क्योंकि बेकसूर होते हुए भी प्रकृति द्बारा दी गई विचित्र सजा को भुगतना यह सामान्य मनुष्य के बस की बात नहीं है, इसलिए ये विशेष उसमें भी समाज द्बारा उन्हें दी गई विकलांगता की पहचान. ऐसे लोगों का दु:ख क्या हमने बांटना नहीं चाहिए? उन्हेें अपनत्व का एहसास करना चाहिए. इसलिए हमें एक संवेदनशील व्यक्ति के रुप में यह सबकुछ करना चाहिए और अनेक व्यक्ति, संस्था आज अनेकों का अंधत्व दूर करने के लिए तथा उनका जीवन सुलभ बनाने के लिए काम कर रहे हैं, और उन्हीं में से एक ऐसी ही संस्था अर्थात हरिना फाउंडेशन अमरावती है.
हरिना फाउंडेशन नेत्र चिकित्सा, नेत्र विकार शल्यचिक्रिया, नेत्रदान, नेत्रप्रत्यारोपण, अवयवदान, देहदान आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्यरत है. आज महाराष्ट्र में यह संस्था नेत्रदान कार्यक्रम में पहले क्रमांक पर है. आज हरिना फाउंडेशन द्बारा हरिना नेत्रदान समिति, स्व.मधुसुदन जाजोदिया नेत्र प्रत्यारोपण केंद्र, स्व. मंगलजीभाई पोपट नेत्रालय, चुन्नीलालजी मंत्री अवयवदान समिति, अंबानगरी देहदान समिति के माध्यम से प्रत्यक्ष काम देख रही है और ऐसी इन समाजोपयोगी संस्था में मै विगत 3 वर्षों से कार्यरत हूं, इसका मुझे गर्व है. हरिना फाउंडेशन द्बारा 2010 से अंधत्व निवारण के उद्देश्य को सामने रखकर 10 जून को संस्था द्बारा विश्व नेत्रदान दिवस मनाया जाता है. 2019 में राजकमल चौक में अनेक नागरिकों की उपस्थिति में दीप प्रज्वलन करके यह दिन मनाया गया. इसमें लगभग 80 संस्थाओं ने सहभाग लिया था. इस वर्ष विश्व नेत्रदान दिवस मनाने के लिए हरिना फाउंडेशन एक अनूठी संकल्पना लेकर आ रहा है. जिसमें सभी नागरिक 10 जून को प्रात: 10 बजे 1 मिनिट के लिए अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर अपने दैनंदिन कार्य करेंगे. इस माध्यम से नेत्रहिनों का दु:ख अनुभव करके उनके जीवन के अंधत्व को दूर करने के लिए विश्वभर से लोग आगे आएंगे.
आज मुझे यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि इस वर्ष विश्व नेत्रदान दिन के कार्यक्रम की जवाबदारी हरिना फाउंडेशन ने संयोजिका के रुप में मेरे सुपुर्द की है. इसके लिए मैं फाउंडेशन के अध्यक्ष मनोज राठी के प्रति विशेष आभार प्रगट करती हूं साथ ही मैं धन्यवाद देती हूं मेरे सहयोगी, संयोजन समिति हरिना फाउंडेशन उपाध्यक्ष चंद्रकांत पोपट, मार्गदर्शिका रश्मी नावंदर, नेत्रदान समिति प्रमुख शरद कासट आदि सभी का. हमें समाज को कुछ देना है, यह बात सदैव मेरे मस्तिष्क में अंकित हो चुकी है और वह हमेशा मेरी स्मृति में है. समाजसेवा यह मेरे बिलकुल समीप का प्रिय विषय है. नि:स्वार्थ भावना से की गई सेवा सदैव मुझे आत्मिक संतोष और कुछ सार्थक प्राप्त होने का आनंद देती है. आज स्वयं सिद्ध अभियान का माध्यम हो अथवा हरिना फाउंडेशन. मैं मेरे काम के लिए और आपकी सेवा के लिए सदैव तत्पर हूं. मैं ईश्वर की ऋणी हूं कि उन्होंने मुझे मनुष्य में छिपे जीवित ईश्वर की सेवा करने का अवसर बार-बार प्रदान किया.
आज मैं आप सभी से विनती करती हूं कि, 10 जून को विश्व नेत्रदान दिन के निमित्त प्रात: 10 बजे आप अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर इस अभियान में शामिल हों तथा इस संवेदनशीलता का एक नया विक्रम तैयार करें.
धन्यवाद!
– प्रा. सौ. मोनिका उमक,
संयोजिका, 10 जून विश्व नेत्रदान दिवस समिति

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