लेख

किसानों को कौतुक का दान देनेवाला ‘प्रकाश’

कृषि व किसान को मैं सर्वश्रेष्ठ धन निर्माता समझता हूं, ऐसा कहनेवाले देश के प्रथम कृषि मंत्री व शिक्षा महर्षि डॉ. पंजाबराव उर्फ भाउसाहब देशमुख के अमरावती जिले में काली मिट्टी की सेवा करते हुए अनाज के रूप में मोती उगानेवाले किसानों को प्रति वर्ष जनसहयोग के जरिये शाबासी व प्रशंसा की थाप देनेवाले कार्यकर्ता का नाम है प्रकाश साबले.
अमरावती जिले में प्रति वर्ष 21 मई को राजीव गांधी कृषिरत्न पुरस्कार दिया जाता है. जिसका इंतजार पूरे सालभर किसानोें द्वारा किया जाता है. किसी भी तरह की बडी राशिवाले इनाम और किसी भी तरह का कोई भौतिक फायदा नहीेें रहनेवाले इस पुरस्कार के जरिये कौतुक की थाप खुद को मिले, इस हेतु जिले के किसानों में अच्छी-खासी स्पर्धा भी देखी जाती है और जिले का हर किसान चाहता है कि, यह पुरस्कार उसे ही मिले.
वस्तुत: प्रकाश साबले खुद एक किसान है. साथ ही सामाजिक कामों व राजनीति में भी सक्रिय है. ऐसे में वे हमेशा ही खेती-किसानी के साथ-साथ किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयासरत रहते है और अपने समाजसेवी स्वभाव के चलते उन्होंने प्रतिवर्ष यह पुरस्कार देने की परंपरा को शुरू किया.
वर्ष 2007 में शुरू हुए इस पुरस्कार के पीछे कम खर्चवाली व बिना कर्जवाली खेती करने हेतु किसानों को प्रोत्साहित करना सबसे मुख्य उद्देश्य था. वर्ष 2007 में बेहद छोटे व प्राथमिक स्तर पर हुए कार्यक्रम के जरिये वितरित किया गया यह पुरस्कार आज समूचे जिले में ख्यातीप्राप्त है और अब भव्य-दिव्य स्तर पर यह पुरस्कार समारोह आयोजीत किया जाता है. जय जवान-जय किसान के साथ ही जय विज्ञान का उद्घोष करनेवाले और भारत को अत्याधुनिक तकनीकी ज्ञान के क्षेत्र में आगे ले जानेवाले पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर प्रतिवर्ष 21 मई को यह पुरस्कार दिया जाता है. विगत 13 वर्षों के दौरान आज तक इस पुरस्कार हेतु 1 हजार 320 प्रस्ताव चयन समिती को प्राप्त हुए. जिसमें से कुल 182 किसानों को यह पुरस्कार दिया गया. जिसमें तुअर, आम, कपास, फुल, संतरा, साग-सब्जी, अमरूद उत्पादक महिला व पुरूष किसानों के साथ ही कृषि विशेषज्ञों का भी समावेश रहा. इससे प्रेरणा मिलने के चलते कई किसानों ने राज्यस्तरीय कृषि पुरस्कार भी प्राप्त किया. जिसके तहत हाल ही में अमरावती जिले की नीता सावदे नामक महिला किसान को जीजामाता कृषि भूषण पुरस्कार प्राप्त हुआ है.
इस पुरस्कार हेतु प्रतिवर्ष 10 मई तक आवेदन आमंत्रित किये जाते है. जिसके पश्चात चयन समिती द्वारा प्रस्ताव भेजनेवाले प्रत्येक किसान के खेत को प्रत्यक्ष भेंट देते हुए उनकी खेती-किसानी का मुआयना किया जाता है. इस कार्य में अमरावती जिला सोयाबीन उत्पादक शेतकरी संघ नामक 3 हजार किसान सदस्य रहनेवाली संस्था की प्रकाश साबले को सहायता मिलती है. विशेष उल्लेखनीय है कि, खुद प्रकाश साबले ही इस संस्था के अध्यक्ष भी है. इस पुरस्कार के तहत कम खर्च में अधिक उत्पादन लेनेवाले किसानों को शाल, श्रीफल व स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया जाता है. सबसे खास बात यह है कि, इस पूरे आयोेजन के लिए प्रकाश साबले द्वारा किसी भी तरह की कोई सरकारी सहायता नहीं ली जाती, बल्कि वे जनसहयोग के जरिये इस पुरस्कार वितरण समारोह का आयोेजन करते हुए अधिक से अधिक किसानों तक पुरस्कार प्राप्त किसानों के श्रम की कहानी पहुंचाते है. खुद 70 एकड की खेती करनेवाले प्रकाश साबले के मुताबिक जो लोग खेती को घाटे का सौदा बताते है, वे हकीकत में खुद आलसी होते है. साबले के मुताबिक उन्होंने खुद प्रति एकड 11 क्विंटल सोयाबीन व तुअर आंतर फसल पध्दति से उपजाई है. अत: खेती-किसानी में लाभ पाने के लिए कडी मेहनत करना पडता है.
बहुत बडे पध्दति पर आयोजन की कोई जगमगाहट नहीं, प्रसिध्दी की कोई चाहत नहीं, बल्कि नई पीढी को खेती-किसानी के संस्कारों के साथ जोडे रखने का आग्रह है. ऐसा कहनेवाले प्रकाश साबले के मुताबिक नई पीढी ने अपने हाथ में कॉपी व पेन लेकर पूरा नियोजन करते हुए खेती-किसानी करना चाहिए तथा देश व दुनिया में होनेवाले नये-नये संशोधनों को आत्मसात करते हुए खेती-किसानी के लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा भी लेना चाहिए. तब कहीं जाकर खेती-किसानी आगे भी जीवित रहेगी और इसमें फायदा भी दिखाई देगा.
खेती करने और किसान होने को बेहद अभिमानास्पद बतानेवाले प्रकाश साबले 80 फीसद सामाजिक कार्यों व 20 फीसद राजनीति पर भरोसा रखते है. साथ ही उन्हें देखकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा कही गई बात याद आती है. जिसमें पं. नेहरू ने कहा था कि, वे संस्कृति के तौर पर केवल एक ही संस्कृति को जानते है, जिसका नाम कृषि संस्कृति है. इसके साथ ही तेज व भीषण गर्मी तथा चिलचिलाती धूप के बीच काली मिट्टी में पसीना बहाकर अनाज के मोती उगानेवाले किसानों को कौतुक का दान करनेवाला यह ‘प्रकाश’ आश्वासक दिखाई देता है. जिसके द्वारा आयोजीत किये जानेवाले पुरस्कार वितरण समारोह की राष्ट्र एवं राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हो चुकी है.
-सोमेश्वर गावंडे
म्हैसपुर

 

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