उत्तम वक्ता, सशक्त लेखक, मराठी के प्रगाढ अभ्यासक, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, अखिल भारतीय किसान मोर्चा के महासचिव, विदर्भ की बुलंद आवाज, संघ के संस्कारों में तैयार हुए राजनीतिज्ञ, जन आंदोलन के बादशाह, किसान आंदोलनों के वरिष्ठ नेतृत्व एवं पूर्व विधायक अरूण अडसड एक तरह से विदर्भ क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के सबसे महत्वपूर्ण आधारस्तंभ है. अमरावती जिले के धामणगांव रेल्वे विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक, विदर्भ वैधानिक विकास महामंडल के अध्यक्ष, विधान परिषद के सदस्य तथा विधानसभ में विरोधी पक्ष उपनेता के तौर पर काम कर चुके अरूणभाऊ अडसड आज भी पहले की तरह बेहद सहज व सामान्य है. आम लोगों की नजर में एक राजा की हैसियत रखनेवाले अरूणभाऊ अडसड किसी भी तरह का मिथ्याभियान न रखते हुए बेहद सामान्य रहते है और आतिथ्यशिलता उनकी सबसे बडी विशेषता है. जिसका आस्वाद बडे-बडे राजनीतिक धुरंधरों के साथ ही आम लोगों ने भी लिया है.
अपने जबर्दस्त वक्तृत्व कौशल्य तथा भेदक पत्रकारिता के लिए विख्यात अरूणभाऊ अपने व्यक्तिगत जीवन में स्नेह एवं वात्सल्य की मूर्ति है और उनका जीवन त्याग व संघर्ष का जीवंत इतिहास है. अरूणभाऊ अडसड ने ही विदर्भ के सभी जिलों में सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी को मजबूत किया और सभी क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं की फौज तैयार करते हुए पार्टी के उम्मीदवारों को विजय हासिल करवायी. जिसकी वजह से आज विदर्भ क्षेत्र में पार्टी के अच्छे दिन आये है. जिनमें अरूणभाऊ अडसड का योगदान सबसे महत्वपूर्ण रहा.
स्व. सुमतीताई सुकलीकर, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख, गंगाधरराव फडणवीस, प्रमोद महाजन व गोपीनाथ मुंडे जैसे वरिष्ठ व दिग्गज नेताओं के सहवास में उनके राजनीतिक सफर का प्रारंभ हुआ था. साथ ही मौजूदा केेंद्रीय गृह मंत्री अमीत शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवाणी के साथ उनके बेहद नजदिकी संबंध है.
संघर्ष व आंदोलन अरूणभाऊ अडसड का स्थायी भाव है तथा जनता के लिए संघर्ष करते हुए उन्होंने जेल की यात्रा भी की है. विधानसभा व विधान परिषद में किसानों व विदर्भ की समस्या तथा विकास पर अरूणभाऊ पूरी शिद्दत के साथ अपने विचार रखते आये है. साथ ही उन्होंने विदर्भ क्षेत्र में संघ व भाजपा अंतर्गत वजनदार सेवाभावी व निस्वार्थ सहयोगियों की शक्तिशाली कतार खडी की और समाज के समक्ष एक आदर्श स्वयंसेवक का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए विदर्भ क्षेत्र में भाजपा को सफलता के शिखर पर पहुंचाया. अरूणभाऊ अडसड को एक तरह से धैर्य, शौर्य, साहस, सत्य, त्याग, सिध्दांत तथा निष्कलंक व निष्कांचन राजनीति का मूर्तिमंत प्रतीक कहा जा सकता है.
तमाम विपरित हालात से जूझते हुए और स्वनिर्मित इतिहास के आकाश में प्रक्षेपित हुए हिमालय की तरह अरूणभाऊ अडसड आज भी निश्चल और अडिग है. आज उनकी जितनी आयु है, उससे कही अधिक संख्या उनके द्वारा तैयार किये गये योध्दाओें की है. जिसमें से आज कोई विधायक है, कोई सांसद है, कोई नगराध्यक्ष है, कोई नगरसेवक है, कोई मंत्री है, तो कोई पार्टी का जिलाध्यक्ष या शहराध्यक्ष है. विदर्भ सहित समूचे महाराष्ट्र में कहीं पर भी जाने पर अरूणभाऊ अडसड द्वारा उपकृत किये गये सैंकडों लोग मिलते है. मजदूर, किसान, विद्यार्थी, शिक्षक जैसे विभिन्न घटकों के लिए अरूणभाऊ हमेशा लडते रहे. जाति व पंथ तथा धर्म व संप्रदायों में विभाजीत लोगों के बीच रहने के बावजूद वे खुद इस विकार से हमेशा दूर रहे और वे सही अर्थों में भीतर और बाहर से सच्चे सेक्यूलर है.
अरूणभाऊ एक बेहतरीन कलाकार, खिलाडी व रसिक रहने के साथ ही प्रवचनकार व कवि भी है तथा उनका ‘प्रसाद सर्वेश्वरांचा’ नामक भजन संग्रह व कविता संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है. उन्हें शुध्द अंत:करणवाला स्फटिक की तरह पारदर्शी व्यक्तित्व कहा जा सकता है. भाजपा और विदर्भ पर पूरी निष्ठा रखनेवाले अरूणभाऊ केवल राजनीतिक नेता के तौर पर ही अपनी पहचान बनाकर नहीं रूके, बल्कि उन्होंने कर्ता सुधारक के रूप में भी काफी बडा कार्य किया है. समाजशास्त्रीय सर्जरी करते हुए लोगों का समूल उच्चाटन करनेवाले एक सर्जन के तौर पर किये गये उनके कार्यों को अनदेखा नहीं किया जा सकता. किसी भी जाति व धर्म तथा पार्टी का भेद न रखते हुए संकटकाल के दौरान एक कुटुंब प्रमुख के रूप में अपनी नैतिक जिम्मेदारी उठाने हेतु अरूणभाऊ हमेशा तत्पर रहते है. आज 1 जुलाई को अरूणभाऊ का जन्मदिवस है. इस उपलक्ष्य में ईश्वर चरणों में यहीं प्रार्थना है कि, वे स्वस्थ व दीर्घायू रहने के साथ ही सुखी, आनंदी व यशस्वी हो.
– किशोर करांगले
मो. 9922201261