लेख

महंगा हुआ जीवन

बेशक सरकार की ओर से अनेक विकासात्मक कार्यो के दावे किए जा रहे है. लेकिन इसका न तो सीधा लाभ जनसामान्य को है और न ही विशेष हानि है. जनसामान्य के अपने मुद्दे है. जिसमें वह सरकार से इतनी अपेक्षा अवश्य रखता है कि उसे रोटी कपडा और मकान सामान्य रूप से उपलब्ध हो. वर्तमान में जिस तरह महंगाई की रफ्तार बढ रही है. उसे देखते हुए यह स्पष्ट होने लगा है कि सामान्य व्यक्ति के जीवन से रोटी कपडा मकान जैसी बुनियादी सुविधाए भी दूर हो जायेगी. इन दिनों महंगाई ने अपना कहर बरपाना आरंभ कर दिया है. जिसके चलते सामान्य व्यक्ति का जीवन कठिन हो गया है. अनाज की दरों में बढोतरी के साथ अब खाद्य तेल भी अपने तेवर दिखाने लगा है. वर्तमान में खाद्य तेल की दर 140 रूपये प्रति किलो तक पहुंच गई है. निश्चित रूप से जब खाद्य तेल की दरों में बढोतरी हो रही है तो उससे जुडे सभी पदार्थो में भी बढोतरी होगी. सामान्य व्यक्ति आज की स्थिति में केवल 2 समय का भोजन हासिल करने के लिए जद्दोजहद कर रहा है. बढती महंगाई उसके मुंह का निवाला छीनने का यत्न कर रही है. निश्चित रूप से महंगाई से अनेक परिवारों का जीवन अत्यंत जटिल होता जा रहा है. अनाज की दरे पहले ही उछाल पर है, ऐसे में खाद्य तेल की दरे भी आसमान को छूने लगे तो जन जीवन पर इसका भारी असर होना ही है. केवल खाद्य तेल ही नहीं बल्कि पेट्रोल की दरों में भी बढोतरी हो रही है. पेट्रोल प्रति लीटर 100 रूपये को छूने पर बेताब है. जाहीर है पेट्रोल की दरों में बढोतरी से सभी व्यवस्था चरमरा जायेगी. क्योंकि इससे ट्रांसपोर्ट व्यवसायी पर भी संकट निर्माण हो रहा है. किसी वस्तु का ट्रांसपोर्ट खर्च यदि बढ जाता है तो वस्तुओं की दरों में अपने आप बढोतरी हो जायेगी. बीते कुछ माह में राज्य में रोजगार के संसाधन क कम हुए है. जिसके कारण अनेक लोगों पर बेरोजगारी का संकट मंडरा रहा है. ऐसी हालत में जब लोगों का जीना ही कठिन हुआ है वहां पर महंगाई उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है. विशेष बात यह है कि विभिन्न प्रतिबंधों के कारण सामान्य व्यक्ति बढती महंगाई का विरोध भी नहीं कर पा रहा है. मजबूरी में उसे हर महंगाई को बर्दाश्त करना पड रहा है. लेकिन वह कब तक इस यातना को झेल पायेगा. यह एक यक्ष प्रश्न उभरने लगा है. कोरोना संक्रमण के दौरान सरकार की ओर से जरूरतमंदों को अनाज व अन्य सामग्री सामान्य दरों में देने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन सरकार की ओर से सामान्य दरों पर वस्तुए मिलना कठिन हो गया है तथा उसे रोज नई महंगाई की मार झेलनी पड रही है.
सरकार की ओर से भले ही अनेक विकासात्मक कार्यो का ब्यौरा दिया जा रहा है. देश में जिस तरह महंगाई बढती जा रही है. उसे देखते हुए अब ऐसा लगता है कि महंगाई पर सरकार का भी नियंत्रण नहीं रहा है. देश में अलग-अलग आंदोलन जारी है. जिसके परिप्रेक्ष्य में समूची यंत्रणा उलझी हुई है. राजनीतिक दल कुछ विशेष आंदोलन के प्रति ही अपनी गतिविधिया जारी रखे हुए है. लेकिन जन सामान्य के लिए घातक महंगाई के बारे में कोई चर्चा नहीं कर रहा है. जरूरी है कि इस महंगाई के विषय में सभी राजनीति दलों को एकजुट होकर महंगाई कम करने की दिशा में कार्य करना चाहिए. लेकिन शोकांतिका यह है कि जन सामान्य से जुडे महंगाई के मुद्दे को लेकर हर कोई शांत बैठा है.
महंगाई का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो देश के अनेक परिवारों पर भूखमरी की नौबत आ सकती है. इसलिए जरूरी है कि महंगाई के प्रति स्वयं सरकार एवं राजनीतिक दल ध्यान दे. ताकि सामान्य व्यक्ति का जीवन आसान हो सके. यदि महंगाई का क्रम नही रूकता है तो अनेक लोगों का जीवन संकट में आ जायेगा. शासकीय सेवा के कार्य लोगों को महंगाई के अनुसार महंगाई भत्ता मिलता है लेकिन रोजंदारी पर कार्य करनेवालो को सीमित आय में अपना जीवनयापन करना पडता है. सामान्य व्यक्ति की बहुत ज्यादा अपेक्षाए भी नहीं है. लेकिन बुनियादी आवश्यकताए उससे जुडी हुई है. इसलिए जरूरी है कि महंगाई के प्रति हर कोई ध्यान दे. आज खाद्य तेल की दरों में बढोतरी हुई है. आनेवाले दिनों में अन्य वस्तुए में भी दरवृध्दि होगी, ऐसे में सामान्य व्यक्ति भी अपने आपको घिरा हुआ पायेगा. महंगाई हटने का नाम नहीं. दिनों दिन यह महंगाई बढ रही है, ऐसे में सरकार को स्वयं महंगाई कम करने की दिशा में ध्यान देना आवश्यक है. यदि अभी से महंगाई पर रोक नहीं लगाई गई तो भविष्य में स्थिति और भी जटिल हो जायेगी. अत: सरकार प्राथमिकता से बढती महंगाई पर ध्यान दे. दरों में किस तरह कमी की जा सकती है. इसके लिए सार्थक प्रयास करें.

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