लेख

हर क्षेत्र में माहेश्वरी समाज ने बनायी अपनी धाक

व्यापार-व्यवसाय, सेवा, धर्म कार्य एवं संस्कारों में है अग्रणी

* श्री महेश भगवान उत्पत्ति दिवस पर विशेष
ऐसा बेहद कम ही होता है कि, किसी समुदाय या समाज द्वारा अपने वंशावली का उत्पत्ति दिवस मनाया जाता है. आम तौर पर सभी समाजों द्वारा अपने आराध्य या प्रवर्तक का जयंति महोत्सव ही मनाया जाता है. परंतू ऋषियों के शाप से निष्प्राण हुए खडेलसूर के 72 क्षत्रिय उमरावों को ईसा पूर्व सन 3133 युधिष्ट संवत जेष्ठ शुक्ल की नवमी के दिन श्री महेश भगवान व माता पार्वती की कृपा और वरदान से शापमुक्त होकर नया जीवन मिला और इसी दिन से माहेश्वरी नामक नये वंश की उत्पत्ति या स्थापना हुई. जिसके बाद नये वंश में परावर्तित होने से 72 क्षत्रिय उमरावों का क्षत्रिय धर्म छूट गया और वे माहेश्वरी वंश में शामिल होकर वाणिज्य कर्म की ओर प्रवृत्त हुए. व्यापार-व्यवसाय के कर्म में समर्पित रहनेवाले माहेश्वरी वंशियों ने अपनी व्यवहार कुशलता, विनम्रता, उद्यमशिलता और मेहनती वृत्ति के दम पर समूचे विश्व में अपनी अलग पहचान स्थापित की और आज देश सहित दुनिया का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां पर माहेश्वरी समाज की धाक व मौजूदगी न हो.
आज देश की अर्थव्यवस्था में माहेश्वरी वंश से ही वास्ता रखनेवाले बिडला, बियाणी, सोमाणी जैसे प्रमुख नाम सबसे बडे औद्योगिक घराने है और माहेश्वरी समाज बंधु ही देश में आज तक परंपरागत व्यवसायों को जीवित रखे हुए है. साथ ही बदलते वक्त के साथ आधुनिकता को भी अंगीकार किया जा रहा है. केवल व्यापार व्यवसाय ही नहीं, बल्कि समाजसेवा, धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में माहेश्वरी समाजबंधुओं ने उल्लेखनीय सफलताएं व उपलब्धियां हासिल की है.
यूं तो माहेश्वरी समाज का देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान उल्लेखनीय व अमूल्य तो है ही, लेकिन स्थानीय स्तर पर भी इस समाज ने हमेशा अपने आप को हर तरह के कामोें में सबसे आगे ही रखा है. फिर चाहे वह व्यापार क्षेत्र हो, उद्योग क्षेत्र हो, चिकित्सा क्षेत्र हो, शिक्षा क्षेत्र हो, या फिर समाजसेवा का क्षेत्र हो, अमरावती शहर व जिले के साथ ही समूचे विदर्भ क्षेत्र में अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए विख्यात ब्रिजलाल बियाणी शिक्षा संस्था द्वारा संचालित बियाणी महाविद्यालय, नारायणदास लढ्ढा हाईस्कुल, गणेशदास राठी शिक्षा संस्था द्वारा संचालित केशरबाई लाहोटी वाणिज्य महाविद्यालय व गणेशदास राठी विद्यालय, शिवणगांव के लढ्ढा परिवार द्वारा स्थापित महाविद्यालय, तखतमल होमिओ कॉलेज के साथ-साथ माहेश्वरी समाजबंधुओं की संस्थाओं द्वारा संचालित कई शिक्षा संस्थाओं से हजारों छात्रों ने शिक्षा प्राप्त करते हुए अपने जीवन को सफल बनाया है. सबसे उल्लेखनीय बात है कि, विगत अनेक वर्षों से सफलतापूर्वक संचालित हो रही इन संस्थाओं पर आज तक भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं लगे है.
शहर सहित जिले के व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में तो माहेश्वरी समाजबंधुओं का हमेशा से अच्छा-खासा दबदबा व वर्चस्व रहा ही है. शहर में रहनेवाले मूंधडा परिवार ने खेती के साथ-साथ मंगल वस्त्रालय के जरिये रिटेल कपडा व्यवसाय में अपनी पहचान बनाई. वहीं दाढी-पेढी गांव निवासी लढ्ढा परिवार ने उद्योग के क्षेत्र में अपनी धाक जमायी. करीब चार दशक पूर्व श्रीनिवास लढ्ढा ने शहर में रिफाईनरी लगाई थी, जो आज भी सफलतापूर्वक काम कर रही है. इसी तरह शंकरलाल राठी परिवार ने एस. आर. ब्रदर्स के नाम से फिल्म व्यवसाय में अपनी अच्छी-खासी पहचान बनाई, जो इतनी मजबूत थी कि, राठी परिवार के बुलावे पर फिल्म जगत की बडी से बडी हस्ती अमरावती आ जाती थी. इसके साथ ही जुगलकिशोर सिकची, कासट और लढ्ढा परिवार ने भी फिल्म व्यवसाय में अपना एक अलग मुकाम हासिल किया. उधर तेल एवं दाल उद्योग में जयकिसन भैय्या, विष्णु मालपाणी व सुनील मालपाणी, राजेश डागा, विठ्ठलसेठ राठी, द्वारकाप्रसाद भंसाली, बोदुलाल सोनी, रामकिशोर सोमाणी, अशोक मोहता, स्वस्तिक ब्रॅण्डवाले काकाणी सहित कई माहेश्वरी परिवारों ने शहर के उद्योग जगत को नया आयाम दिया. पुष्करसेठ डागा के सुपुत्र राजेश व कमलेश डागा ने घरेलू गैस वितरण के अपने पारंपारिक व्यवसाय के साथ-साथ कई दशक पूर्व मेडिकल क्षेत्र के लिए डिस्पोजेबल मास्क, सिटोझ तथा हैण्डग्लब्ज इत्यादी उत्पादों का उत्पादन शुरू करते हुए शहर के उद्योग क्षेत्र को देश ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक अलग पहचान दी. इसके साथ ही डागा परिवार ने भवन निर्माण के क्षेत्र में भी सफलतापूर्वक कार्य किया. जिसके चलते डागा परिवार द्वारा निर्मित इमारतें आज शहर में सम्मानित रिहाईश की पहचान बन चुकी है.
इसके अलावा भी शहर के आर्थिक जगत में माहेश्वरी समाज के अनगिनत नाम है. फाईनान्स के क्षेत्र में गोविंददास दम्माणी, सुभाष राठी, डॉ. राजेंद्र कलंत्री व संजय डागा जैसे नामों ने अपना प्रभुत्व जमाया है. वहीं कपास के कारोबार में तिवसा जिन के राठी परिवार तथा कमल राठी ‘भगवान’ ने अपनी अलग पहचान बनायी. ख्यातनाम भूविकास व बिल्डर रहे स्व. प्रवीण मालू ने तो शहर में रियल ईस्टेट कारोबार की दिशा ही बदल दी और इस कारोबार को नई उंचाई पर ले जाकर नई पहचान दिलाई. वहीं ऑटोमोबाईल क्षेत्र में गोपाल पनपालिया, अनिल नावंदर, टीटीआर ग्रुप के गोपाल राठी, गिरनार होंडा के चांडक, होंडा के जुगलकिशोर गट्टाणी, इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में मुरली इलेक्ट्रॉनिक के कलंत्री परिवार का नाम लिया जा सकता है. इन सभी ने अपनी मेहनत के दम पर शून्य से विश्व का निर्माण किया है.
चिकित्सा के क्षेत्र में भी माहेश्वरी समाज का अच्छा-खासा वर्चस्व रहा. करीब छह दशकपूर्व डॉ. सत्यनारायण कासट, डॉ. ठाकुरदास राठी, डॉ. रामदेव सिकची, डॉ. मोतीलाल राठी तथा डॉ. गणेश बूब भी सरकारी अस्पतालों के बाद सबसे अधिक मरीजों को देखा करते थे और इनन सभी आधूनिक धन्वन्तरीयों ने चिकित्सा के क्षेत्र में सेवाकार्य के तौर पर अपनाया था. जिसकी वजह से उनके कार्यों को आज तक याद किया जाता है. वहीं इसके बाद अगली पीढी में डॉ. श्रीगोपाल राठी, डॉ. लाहोटी, डॉ. मुरली बूब, डॉ. लक्ष्मीकांत राठी, डॉ. श्याम राठी डॉ. हेमंत मुरके ने चिकित्सकीय सेवा की कमान संभाली. जिनके द्वारा संचालित मल्टीस्पेशालीटी अस्पताल आज स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आधारस्तंभ बने हुए है. इसके साथ ही अब युवा पीढी से डॉ. प्रसन्न राठी, डॉ. कुशल झंवर, डॉ. कौस्तुभ सारडा व डॉ. निरज मुरके जैसे युवा चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे है. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, डॉ. श्रीकांत राठी द्वारा आज भी मात्र 100 रूपये में ओपीडी करते हुए अपनी सेवा दी जा रही है. एलोपैथी चिकित्सा के अलावा होमिओपैथी के क्षेत्र में डॉ. रामगोपाल तापडिया ने अपनी सबसे अलग पहचान बनायी. वहीं होमिओपैथी के साथ-साथ प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. कमलकिशोर नावंदर ने उल्लेखनीय कार्य किया.
इसके अलावा विधि व न्यायदान के क्षेत्र में भी माहेश्वरी समाज के कई नामों ने उल्लेखनीय कार्य किया. जिसके तहत एड. जुगलकिशोर सिकची, ख्यातनाम आयकर सलाहकार एड. आर. बी. अटल, एड. अशोक राठी, एड. जेमिनी कासट, एड. जुगलकिशोर गिलडा, एड. सतीश सारडा, एड. राजेश मूंधडा जैसे कई नामों ने विधि व न्यायिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया. वहीं चार्टर्ड अकाउंटंसी के क्षेत्र में भी माहेश्वरी समाज का ही सबसे अधिक वर्चस्व है. इसमें से सीए राजेश चांडक ने अपने प्रोफेशन के साथ-साथ जेसीस संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे सर्वोच्च पद को भी विभूषित किया. इन सबके साथ ही सरकारी ठेकेदारी, कपडा, लोहा, सिमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, निर्माण सामग्री व दवा व्यापार के क्षेत्र में भी माहेश्वरी समाज की पकड सबसे मजबूत है.
व्यापार-व्यवसाय सहित विभिन्न कार्यक्षेत्रों में अपनी सशक्त उपस्थिति रखनेवाले माहेश्वरी समाजबंधुओं द्वारा समाजसेवा एवं सामाजिक कामों में भी अपनी अच्छी-खासी दखल रखी जाती है. आज शहर की अधिकांश धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारियों में माहेश्वरी समाज बंधुओं का समावेश है. साथ ही शहर में गौरक्षण व मोक्षधाम जैसी संस्था का भी शानदार संचालन करने में माहेश्वरी समाज बंधुओं का अमूल्य योगदान है. इसके अलावा लॉयन्स क्लब, रोटरी क्लब, जेसीस क्लब, जायन्टस् क्लब जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर कार्य करनेवाली सामाजिक संस्थाओं में भी माहेश्वरी समाज बंधु ही सबसे अधिक सक्रिय रहते है और सामाजिक कामों में अपना योगदान देते है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, क्षेत्र चाहे कोई भी हो, उसमें अपना योगदान देने हेतु माहेश्वरी समाज सबसे आगे रहता है.

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