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परसों मकर संक्रांति, जान लीजिए दान-धर्म का फल

विक्रम संवत 2080 तथा शालिवाहन शके 1945 पिंगल नाम संवत्सर, उत्तरायण, शिशिर्ऋतु, पौष शुक्ल पंचमी तिथी यानि उत्तररात्रि (सोमवार सुबह) 2 बजे 4 मिनट. सूर्य का मकर राशि में सूर्य के साथ प्रवेश रविवार की रात यानि सोमवार की सुबह 02 बजकर 40 मिनट. पर होगा. इस मकर संक्रांति का पुण्यकाल सोमवार है 15 जनवरी 2024 को सूर्योदय से सूर्यास्त तक सभी धार्मिक कार्य, दान आदि करना चाहिए( मकर संक्रांति के प्रवेश से पूरे वर्ष का शुभाशुभ फल न जानने की परम्परा है . सन् 2024 में संक्रांति अश्व पर सवार होकर धोबी के घर में प्रवेश कर रही हैं.) वारनाम घोरा होने से अल्पसंख्यक व आदिवासी वर्ग के लिए सरकार द्वारा कोई अतिरिक्त लाभ या सुविधाएँ प्रदान की जायेगी . नक्षत्रनाम महोदरी होने से असामाजिक तत्वों लूटपाट व चोरी की घटनाओं से जनता परेशान रहेगी . संक्रांति प्रवेश काल के समय विष्टि करण रहेगा . जिससे संक्रांति का वाहन घोड़ा एवं उपवाहन सिंह बनेगा . ब्राह्मण जाति की यह संक्रांति शरीर पर मार्जारमद ( बिलाव का पसीना ) का लेप लगाकर काले रंग के वस्त्र एवं दूर्वा की माला धारण कर हाथ में भाला ( बरछी ) नामक शस्त्र लेकर पत्र के बर्तन में खिचड़ी का भोजन करती हुई , बैठी हुई स्थिति में तथा वृद्धावस्था में रात्रि में तृतीय याम में प्रवेश कर रही है . जिससे फिल्मी जगत व मार्केटिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों को अशुभ फल अधिक प्राप्त होंगे . साथ ही उपरोक्त सभी वाहन , अस्त्र – शस्त्र व वस्त्र से जुड़े व्यापारियों को भी परिश्रम का लाभ कम मिलेगा . शुभफलों में वृद्धि के लिए संक्रांति प्रवेशकाल के समय बैठे नहीं रहना चाहिए . यह संक्रांति 15 मुहूर्त्ती बनने से धान्यादि के भावों में तेजी – आयेगी.
शुक्ल पक्ष में होने के कारण चोर, नास्तिक तथा दुष्ट बुद्धि के लोग पीड़ित होते हैं. संक्रांति का वाहन घोड़ा होने से घोड़ों पर रोग आएंगे और कष्टकारी योग बनेंगे. दूर्वा कम हो जाएगी. उत्तरी राज्यों में युद्ध की स्थिति रहेगी. उपवाहन सिंह होने से वर्षा जल से महंगाई में अच्छी कमी आएगी. पहाड़ी इलाकों के लोगों को परेशानी होगी. संक्रांति ने काला कपड़ा पहना है इसलिए काला कपड़ा महंगा हो जाएगा और इसे बेचने वालों को परेशानी होगी. यह उत्तर दिशा के लोगों के लिए शुभ तथा दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम दिशा के लोगों के लिए कष्टकारी होता है. इस दिन गंगा स्नान, पूजा, जप-तप और दान करने का विधान है. शास्त्रों में निहित है कि मकर संक्रांति तिथि पर सूर्य देव उत्तरायण होते हैं. यह समय देवताओं के लिए दिन का होता है. इस दौरान प्रकाश में वृद्धि होती है. धार्मिक मत है कि मकर संक्रांति तिथि पर स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है.मान्यता है कि मकर संक्रान्ति से सूर्य के उत्तरायण होने पर देवताओं का सूर्योदय होता है और दैत्यों का सूर्यास्त होने पर उनकी रात्रि प्रारंभ हो जाती है. उत्तरायण में दिन बडे़ और रातें छोटी होती हैं. दरअसल, सूर्य नारायण बारह राशियों में एक -एक माह विराजते हैं, जब भास्कर देव कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक,और धनु राशि में रहते हैं तो इस काल को दक्षिणायन कहते हैं. इसके बाद सूर्य नारायण मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में क्रमशः एक-एक माह रहते हैं.
संक्रांति पर्व के दौरान किए जाने वाले दान – नया बर्तन, तांबा पीतल का बर्तन (तिल और घी से भरा हुआ और उस पर सूर्य की छवि रखी हुई) भोजन, कपड़े, तिल के बीज, गुड़, गाय का चारा, ऊनी कपड़े, गर्म कपड़े, घी, भूमि, गाय , दो दीपक, दो दर्पण, अगरबत्ती, अनाज से भरे कटोरे, खिचड़ी, हल्दी, नारियल आदि दान देना चाहिए.
टिप:- किसी ने पूछा कि मकर संक्रान्ति पहले तो 14 जनवरी को होती थी , अब 15 को क्यों हो गई?
पहले वर्षमानों को जानें-
वर्ष :-
(1). नाक्षत्र (सम्पात वर्ष ):- यह पृथ्वी द्वारा सूर्य की एक परिक्रमा में लगा समय 365दिन6घंटे9मिनट10सेकंड
365.256 दिन.
यह भारतीय पद्धति है
(2). सायन वर्ष :- सूर्य का वसन्त विषुव से पुनः उसी बिन्दु पर आने में लगा समय.
365.242 दिन
365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 45 सेकंड
(3). कैलेण्डर वर्ष :- यह वर्ष की औसत अवधि है. 365.24दिन
365 दिन 5 घंटे 49 मिनट 12 सेकंड
यह योरोपीय ढंग है
(ग्रेगोरिअन कैलेण्डर का वर्ष छोटा है, इसी कारण संक्रान्तियाँ आगे सरकती प्रतीत हो रही हैं)
प्रत्येक 72 वर्ष में ग्रेगरी केलेण्डर में एक -एक दिन आगे होती चली जायेगी संक्रान्ति..
– पंडित करण गोपाल पुरोहित (शर्मा )
पत्ता :-विलास नगर गल्ली नंबर 2 हनुमान मंदिर के पास अमरावती मो.9049451525, 8669165178

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