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रघुवीर के वृटवक्ष के प्रणेता मंगलभाई पोपट

शून्य से सृष्टि निर्माण करनेवाले मंगलभाई पोपट स्वाद की दुनिया में शहर ही नहीं बल्कि विदर्भ में जाना पहचाना नाम रघुवीर के रूप में देखा जाता है. इस रघुवीर के संस्थापक मंगलभाई पोपट का निधन 15 अप्रैल 2000 को हदयविकार के कारण हो गया, लेकिन अनेकों के दिलों में आज भी मंगलभाई की स्मृति ताजा है. भक्तिधाम में भक्तिभाव से अस्पताल में गरीबों की मदद करते है. समय प्याऊ में पानी बांटते है, सामाजिक रैली, जुलूस आदि में स्वयं काम मांगने वाले गृहस्थ का नाम मंगलभाई जीवनभाई पोपट का हैदराबाद के अपोलो हॉस्पिटल में निधन होने पर उनकी इच्छानुसार अपोलो हॉस्पिटल में उनके नेत्रदान किए गये गुजरात के जामनगर जिले के साथथली गांव में जन्मे मंगलभाई ने 5वीं कक्षा तक शिक्षा ग्रहण की थी. 12 वर्ष की उम्र में ही वे अपने बडे दामाद के साथ लालजी हरजीभाई आढतिया के पास अमरावती आए. दामाद के साथ बडनेरा रोड पश्चात कुछ समय मुंबई के बाद पुन: अमरावती ऐसा प्रवास करते कुछ समय नजूल की जगह पर तो कुछ समय सराफा में पानठेला चलाया. मंगलभाई को क्रिकेट कॉमेन्ट्री का बडा शौक था. उनके वसंत टॉकिज स्थित पानठेेले पर वे ट्रांजिस्टर चलाते थे. स्कोर बोर्ड भी रखते थे. लोगों की भारी भीड जमा होती थी. भारत की जीत होने पर लोग स्कोर बोर्ड, ट्रांजिस्टर एवं मंगलभाई को हार पहनाते थे. एक दो बार भीड पर कंट्रोल करने पुलिस ने ट्रांजिस्टर जब्त किया. पश्चात लोगों ने उसे छुडकार वापस मंगलभाई को सुपुर्द किया. पानठेले पर भीड और उस पर व्यवसाय के कारण उन्हें काफी सफलता मिली. वहां से श्याम चौक में वे आए और चाय की दुकान शुरू की. कॉमेन्ट्री वगैर वहां पर भी थी. चाय की क्वालिटी के कारण नाम व सफलता उन्हें मिलती रही. आगे उनका रघुवीर टी स्टॉल इतना प्रसिध्द हुआ कि चाय नाश्ते के लिए दूर- दूर से लोग उनके यहां आने लगे.

उन्हें व्यवसाय में सहयोग मिलने लगा. राजापेठ पुलिस स्टेशन के पास रघुवीर रिफ्रेशमेंट व वैष्णाची फूल प्रोडक्ट की स्थापना की. श्याम टॉकिज बिल्डिंग में रघुवीर मिठाइयां शुरू हुआ. उनके स्वर्गवास पश्चात भी गाडगेनगर कांति स्वीट, दशहरा मैदान के सामने रघुवीर फूड जोन, सांगली में रघुवीर स्वीट शुरू हुआ. रघुवीर नाम सर्वत्र विख्यात होने लगा. बच्चे बडे होने पर मंगलभाई धार्मिक व सामाजिक काम करने लगे. जलाराम बाप्पा के वे बचपन से ही भक्त रहे. साईनगर स्थित भक्तिधाम वास्तु के लिए उन्होंने काम किया. मणिबाई गुजराती हाईस्कूल गुजराती समाज, लोहानासमाज, बालकृष्ण मंदिर, भाजी बाजार, जलाराम सत्संग मंडल आदि संस्थाओं के माध्यम से उन्होंने अनेक समाजपयोगी कार्य किए. सामान्य रूग्णालय, जिला स्त्री अस्पताल में छांछ, शरबद, फल व नियमित बांटते थे. इर्विन चौक पर विगत अनेक वर्षो से स्व. किशनचंद माखीजा प्याऊ के माध्यम से मरीज व उनके साथियों के लिए सेवांए दे रहे है. इस प्याऊ को शुरू करने मंगलभाई ने बडे पैमाने पर सहयोग किया था. वही सिटी कोतवाली का प्याऊ मंगलभाई पोपट की प्रेरणा से जलाराम सत्संग मंडल ने शुरू किया. मंगलभाई पोपट का 68 वर्ष में स्वर्गवास हो गया. अंतिम दो-ढाई माह के पूर्व तक वे कार्यरत थे. छोटे, बडे, अमीर, गरीब सभी को वे अपने कार्य में शामिल करते थे. डॉ. विजय बख्तार जैसे व्यस्त हदयरोग तज्ञ भी उन्हें मरीज से ज्यादा मेरे अजीज कहकर संबोधित करते थे. संत मोरारी बापू के वे निस्सीम भक्त थे. मोरारी बापू को अमरावती लाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है. मोरारी बापू की बाहर गांव कथा होने पर वे मंगलभाई को बुला लेते थे व मंगलभाई भी वहां पर आयोजन में सहभागी होते थे. एक बार उनके ज्येष्ठ पुत्र दिलीपभाई ने बचपन में बात करने में असमर्थ हुए. तब मंगलभाई ने वीरपुर में जलाराम बाप्पा के जन्मस्थान के मंदिर में जलाराम बाप्पा से मन्नत मांगी कि, जब तक दिलीप बात नहीं करेगा, तब तक में चप्पल इस्तेमाल नहीं करूंगा. तेज धूप में भी 5 वर्ष तक मंगलभाई चप्पल के बगैर घुमे. विविध वैद्यकीय प्रयासों के बाद दिलीपभाई बोलने लगे व मंगलभाई ने चप्पल पहनना शुरू किया. ऐसे इस सच्चे कार्यकर्ता को, गरीबों के लिए दौडकर सामने आनेवाले व्यक्ति को उनके स्मृति दिन पर विनम्र अभिवादन , उनके इस कार्य को उनके चारो बेटे दिलीपभाई , चंद्रकांत भाई, नरेशभाई व नीलेशभाई, प्रियेश भाई, तेजसभाई, मोहितभाई तथा पोपट परिवार खूबी अंजाम दे रहे है. पिता और दादा से मिली विरासत को इन भाईयों ने अपनी सामाजिक गतिविधियों से आगे बढाया. यह मंगलजीभाई के संस्कार ही है. उनकी आनेवाली पीढियां भी उनकेे संस्कारों पर कार्य कर शहर एवं जिले के विकास में योगदान दे, यही मंगल कामना है.
डॉ. गोविंद कासट,
सतीधाम मार्केट, अमरावती.

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