लेख

‘मर्यादा पुरूषोत्तम श्री रामनवमी मर्यादा में रहकर मनाए

स्वामी जितेन्द्रनाथ महाराज के कथन

भारतवर्ष में मनाया जानेवाला पवित्र दिन श्री राम नवमी हर वर्ष हम सभी ध्ाूमधाम से मनाते है. परंतु इस वर्ष इस उत्सव को सार्वजनिक तौर पर नहीं मना सकते, ऐसी स्थिति बन गई है.
वर्ष 2021 को कोरोना महामारी की दूसरी लहर चल रही है. संपूर्ण देश उसकी चपेट में आता दिखाई दे रहा हैे. जनता सरकार सभी व्यवस्थाएं और प्रतिष्ठान इससे जूझ रहे है. कई नागरिको की मृत्यु होना, कितने ही परिवार का आहात होना, अपाहिज होना तथा रोज कमाई करनेवाले गरीबों की रोजी रोटी पर असर होना ऐसे अनगिनत प्रश्न खड़े हो गये है. जब विज्ञान और बुध्दि स्तभित हो जाती है, तब मनुष्य के सामने आशा और विश्वाास का जागरण होता है. अपने आस्था और श्रध्दा को वो जगाता है. भगवान श्रीराम हम सभी के आस्था और श्रध्दा के केन्द्र है.
वे आराम कल्पवृक्षनाम अर्थात सबको स्वस्थता प्रदान करनेवाले है. हम प्रार्थना भी करते है, ‘पातु रामो अखिलं वपु’ श्रीराम सबके शरीर की रक्षा करे,
आज भगवान रामजी के चरणों में सबके स्वास्थ्य और शरीर की रक्षा के लिए हम सभी को हृदयपूर्वक प्रार्थना करने की आवश्यकता है. हर वर्ष धर्म के साक्षात स्वरूप इस नाते हम रामनवमी के दिन बड़ी-बड़ी शोभायात्राएं निकालते है, लेकिन आज में आप सभी राम भक्तों का आह्वान करता हूॅ कि श्रीराम मर्यादा पुरूषोत्तम है. वे समय और मर्यादा की व धर्म की सीख भी देते है. आज के समय का धर्म है ‘लॉकडाउन का पालन करना’ सभी के स्वास्थ्य की चिंता करना, सभी को मदद करना, स्वयं की सुरक्षा करना और कोरोना महामारी को परास्त करना इस वर्ष श्रीराम नवमी का त्यौहार अपने अपने घरों में संपन्न करना यही मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की महापूजा होगी. हम सभी ने अपने परिवार में ही श्रीराम विग्रह प्रतिमा का पूजन करना चाहिए. घर में ही राम नाम संकीर्तन आरती प्रशादी आदि संपन्न करना चाहिए. आज की संपूर्ण आराधना सभी कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य सुधार के लिए समर्पित करना चाहिए.
यदि हम देश व परिवारों को स्वस्थ एवं सुरक्षित रखेंगे तो हम अगले वर्ष सभी त्यौहार धूमधाम से मनायेंगे. ऐसा ही विचार रमजान के रोजे रखते समय भारत प्रेमी मुस्लिम बांधव भी करेंगे, ऐसा मैं आवाहन करता हूू. सभी को श्रीराम नवमी की शुभकामनाएं प्रदान करते हुए, आईये शासन, सरकार,समाज और देश को साथ करे, स्वस्थ रहे.
– जितेन्द्रनाथ महाराज

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