कोरोना टीका की बढी विश्वसनीयता

कोरोना टीका के दूसरे चरण में 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों एवं गंभीर बीमारियों से पीडित 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीका लगाया जा रहा है. पहले चरण में कुछ लोगों ने इस टीका को लेकर संदेह व्यक्त किया था. उनका कहना था कि, पहले प्रधानमंत्री स्वयं यह टीका लगवाये. सोमवार को प्रधानमंत्री ने राजधानी के एम्स में टीका लगवाकर सभी संदेहो पर विराम लगा दिया है. अब विरोधको को यह कहने के लिए जगह नहीं रही कि, प्रधानमंत्री सर्वप्रथम यह टीका लगवाये. केवल प्रधानमंत्री ही नहीं बिहार के मुख्यमंत्री नितीशकुमार, राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार सहित अन्य लोगों ने टीका लगवाया. जाहिर है देश को कोरोना मुक्त करवाना है, तो इस तरह के टीके समूचे देशवासियों को लगवाना चाहिए. सरकारी स्तर पर यह प्रयास भी जारी है कि, हर किसी को यह टीका उपलब्ध करवाया जाए. सरकारी अस्पतालों में यह टीका नि:शुल्क दिया जा रहा है. जबकि निजी अस्पतालों में टीके के लिए 250 रुपए की राशी अदा करनी पडेगी. निश्चित रुप से यह टीका लोगों को उपलब्ध इसलिए सरकार की ओर से व्यापक प्रबंध किये गये हैं. जिसका जनसामान्य लाभ उठा रहा है.
प्रधानमंत्री द्बारा टीका लगवाये जाने से कोरोना टीका के विश्वसनीयता बढी है. वर्तमान में अनेक शहरों में कोरोना संक्रमण हो रहा है. जिसके चलते वहां के नागरिकों को कोरोना टेस्ट का आवाहन किया जा रहा है. लेकिन अब कोरोना वैक्सीन आ चुका है. जाहीर है प्रशासन की ओर से यह टीके दिये जाएगे. ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि, जिन लोगों ने टीका ले लिया है, उन्हें टेस्ट की अनिवार्यता से अलग रखे. यदि ऐसा किया जाता है, तो इसकी विश्वसनीयता और भी बढ जाएगी. क्योंकि यह टीका बीमारी से बचाव करने में सक्षम है. इस बात को जनजन तक फैलाना भी आवश्यक है. बेशक यह माना जा रहा है कि, टीके के बावजूद भी कोरोना संक्रमित कर सकता है. इसके चलते हर किसी को कोरोना टेस्ट की जानी चाहिए. लेकिन बेहतर यह रहेंगा वैक्सीन लेने के बाद जिन लोगों को बीमारी के लक्षण दिखाई देते है, उन्हें भले ही टेस्ट की अनिवार्यता से जोडा जा सकता है, लेकिन जिन लोगों ने वैक्सीन हासिल की है, यदि उनमें कोरोना संबंधी लक्षण नहीं पाये जाते, तो उन्हें टेस्ट की अनिवार्यता से मुक्त किया जाए. चाहे, तो वे अपने प्रतिष्ठानों का कोरोना वैक्सीन पाने का प्रमाणपत्र भी रख सकते है. वर्तमान में अनेक व्यापारियों को कोरोना टेस्ट करने को कहा गया है. इस में यदि कुछ व्यापारी जो 60 वर्ष के उपर के है. तो उन्हें इस बात की छूट दी जा सकती है कि, कोरोना वैक्सीन लेने के बाद उन्हें जांच की कोई आवश्यकता नहीं.
कुलमिलाकर कोरोना वैक्सीन का आगमन होने से अनेक लोगों में राहत की सांस ली जा रही है. बुजूर्ग जिन्हे इस बीमारी से ज्यादा खतरा है. उन्हें इससे राहत मिलेगी. यदि लक्षण बीमारी से पूरी तरह बचाव करता है, तो टेस्ट की कोई आवश्यकता ना होकर समूचे व्यापारी वर्ग के लिए वैक्सीन लेना अनिवार्य किया जाए. इससे स्वास्थ्य विभाग पर बढनेवाला तणाव भी कम होगा. जरुरी है कि, वरिष्ठ नागरिकों को वैक्सीन के बाद सर्वसामान्य को भी यह वैक्सीन उपलब्ध कराया जाये, ताकि कोरोना मुक्त भारत की संकल्पना साकार हो सके.