कोरोना के साथ ही नयी जानलेवा बीमारी का संकट ’
विगत वर्षभर से मकोविड-19 (कोरोना) ’ बीमारी ने हाहाकार मचाने के साथ ही कोविड-19 की दूसरी लहर में कोविड मरीजों को वायरस के साथ ही अब एक घातक इन्फेक्शन का सामना करना पड़ रहा है. और इस कारण लोगों मेंं भय का वातावरण निर्माण हुआ है.म म्युकरमायकॉसीस ’ यह इस बीमारी का नाम होकर गत दो माह से इसके भरपूर मरीज शहर में दिखाई दे रहे हैं. कोरोना से ठीक हुए मरीजों में दुर्मिल और जानलेवा फंगल इन्फेक्शन दिखाई देने लगा है.
म्युकरमायकॉसीस – यह एक घातक फंगल इन्फेक्शन है. इससे पूर्व मधुमेह के मरीज, किमोथेरपी मरीज व प्रत्यारोपण के मरीजों में यह बीमारी कम पैमाने में देखने मिलती थी. गत दो माह में अमरावती में मधुमेह के व कोविड हुए मरीजों में यह बीमारी दिखाई दे रही है.
सिम्टम्स – मरीजों में सिर दर्द, आंखों में दर्द, आंखें लाल होना, पैरालिसिस. म्युकरमायकासीस यह फंगल इन्फेक्शन नाक और मुंह से शरीर में पहुंचता है. कभी-कभी वह आंख से होकर दिमाग तक पहुंचता है. यह फंगल रक्त धमनियों को ब्लॉक करता है और पेशियों को नष्ट करते है. इससे पॅरालिसिस भी हो सकता है. हाल की घड़ी में चार से पांच मरीज म्युकरमायकॉसीस के पाये गये हैं. म्युकरमायकॉसीस मरीज का उपचार कराते समय एक टीम काम करती है, जिसमें मॅक्सीलोफेशियल सर्जन,इएनटी, इन्टेनवाइस केअर युनिट एंड न्युरॉलाजिस्ट की जरुरत होती है. म्युकरमायकॉसीस का उपचार मुख्य रुप से चार से पांच सप्ताह लेना पड़ता है.
म्युकरमायकॉसीस के पेशंट को शारीरिक बीमारी के साथ ही आर्थिक तनाव का सामना करना पड़ता है. क्योंकि कोविड-19 के ट्रीटमेंट में पहले ही आर्थिक रुप से कमजोर होने के कारण और बाद में म्युकरमायकॉसीस के चार से पांच सप्ताह की ट्रीटमेंट लेनी पड़ती है. इन सभी का विचार करते हुए कोविड के मरीज व मधुमेह के मरीजों को जागरुक रहना जरुरी है. मधुमेह वाले मरीजों को अपनी शुगर लेवल को नियंत्रण में रखना अति आवश्यक है. खासतौर पर वे पेशंट जो घर पर उपचार ले रहे हैं. हॉस्पीटल में समय-समय पर शुगर मॉनिटरींग की जाती है, लेकिन घर में रहने वाले मरीजों को अपने जांच करते हुए शुगर नियंत्रित रखना जरुरी है और प्रत्येक डायबेटिक पेशंट को टीकाकरण करना आवश्यक है. इसके साथ ही ओरल हायजीन मैंटेन करना जरुरी है.
कोविड का उपचार लेते समय पेशंट जब आयसीयू में होता है, तब पेशंट का ओरल फ्लोरा मेंटेन नहीं रहता.इसलिए भी फंगल इन्फेक्शन हो सकता है. इस कारण ओरल फ्लोरा मेन्टेन रखना जरुरी है. म्युकरमायकॉसीस के मरीजों में से 30 से 40 प्रतिशत मरीज अपने प्राण गंवाते हैं, इस कारण समय पर व योग्य उपचार होने अत्यंत जरुरी है.
आज की स्थिति में कोरोना बाबत लोगों को अधिक जानकारी है. लेकिन कोरोना होने के पश्चात जो अन्य समस्याएं आती है, इसके लिये अब भी जागरुकता नहीं इस लेख का मुख्य उद्देश्य यही है कि हम इस बाबत जागरुक होकर म्युकरमायकॉसीस नियंत्रण में लाये.
– डॉ. सिकंदर अडवाणी (कंसल्टंट न्यूरोलॉजिस्ट)
रेडियन्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड रिहॅबिलिटेशन सेंटर अमरावती