लेख

केवल लॉकडाउन ही विकल्प नहीं

देश मे कोरोना के लिए हॉटस्पॉट बने १० जिलो में से ८ जिले महाराष्ट्र के होने के कारण लोगों में चिंता बढ़ी है. इसके चलते सरकार ने महाराष्ट्र में लॉकडाउन जारी करने की तैयारी जारी है. इस बारे में मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने सभी संबंधित विभागों को लॉकडाउन की तैयारी में तत्पर रहने को कहा है. जाहीर है संक्रमण तीव्र गति से बढ़ रहा है. इसके चलते अति आवश्यक है कि लोगों का आपसी संपर्क दूर किया जाए. हालाकि बीते दिनों कुछ शहरों में लॉकडाउन लगाया गया था. लेकिन उन शहरों मेंं भी लॉकडाउन के बावजूद बीमारी का संक्रमण कम नहीं हो पाया. बीमारी के आंकडे दिनों दिन बढ़ रहे है. इस पर रोक लगाने के लिए लॉकडाउन का विकल्प ही एकमात्र विकल्प है. बेशक सामाजिक नागरिक इस लॉकडाउन को लेकर गंभीर नहीं है. लेकिन जिन लोगों को इस बीमारी का संक्रमण हो रहा है. उनकी हालत हर कोई जानता है. ऐसे में लॉकडाउन रोकने के लिए हर नागरिक को तीन सूत्रीय कार्यक्रम पर अमल करना होगा. जिसमें बार-बार हाथ धोना, मास्क, सामाजिक दूरी को विशेष प्रधानता देनी पड़ेगी. इससे बीमारी को रोका जा सकता है. लॉकडाउन को लेकर भले ही सरकार गंभीर है. लेकिन सरकार के घटक दलों मेंं लॉकडाउन के प्रति विरोध में है. उनका मानना है कि लॉकडाउन यह रोजगार का विकल्प नहीं बन सकता. इसीलिए घटकदल राष्ट्रवादी कांंग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी की ओर से लॉकडाउन में एक मतभेद व्यक्त किया जा रहा है. स्पष्ट है कि लॉकडाउन से अर्थचक्र गड़बड़ा सकता है. बीते वर्ष मार्च माह में लॉकडाउन आरंभ किया गया था जो करीब मई माह तक जारी रहा. जून के बाद बिगन अगेन प्रक्रिया आरंभ हुई.इससे सभी क्षेत्रों में कारोबार उठाव पर आने लगा. लेकिन अब फरवरी माह से रूग्णों की संख्या बढने के कारण फिर से लॉकडाउन की प्रक्रिया आरंभ की गई. निश्चित रूप से इससे व्यवसाय पर भारी असर हुआ है. अनेक कर्मचारियों के रोजगार गये है. अत: अनेक राजनीतिक दल लॉकडाउन के खिलाफ है. हालाकि उनका यह कहना अवश्य है कि सरकार लॉकडाउन की बजाय हर किसी को टीकाकरण अभियान से जोड़ दिया जाए. जब बीमारी का प्रतिबंधक टीका उपलब्ध है तो उसमें कोताई नहीं की जानी चाहिए. कोरोना का संक्रमण आरंभ होने के बाद से करीब जून माह से बाजारों में रौनक दिखाई देने लगी थी. इससे जो लोग पिछले लॉकडाउन में परेशान हो गये थे. वे नहीं चाहते कि अब फिर से लॉकडाउन रहे.
इस बारे में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने अपने बयान में कहा है कि केवल बंगलों में बैठकर जनहितकारी निर्णय नहीं लिए जा सकते है. जनता की परेशानी समझने के लिए जनता की राय भी जरूरी है. राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन की तैयारी पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि लॉकडाउन कोई बीमारी का प्रकल्प नहीं हो सकता. यदि सरकार को लॉकडाउन लगाना ही है तो लोगों की आवश्यकता की वस्तुएं उपलब्ध कराए. यदि ऐसा किया जाता है तो लॉकडाउन में कोई आपत्ति नहीं है तो आज देश में करोड़ो लोग रोज कमाना रोज खाना की स्थिति से गुजर रहे है. इस हालत में उनका यदि रोजगार छिन जाता है तो निश्चित रूप से उन्हें भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए सरकार लॉकडाउन की विकल्प की बजाय अन्य विकल्प खोजे. आरंभ में यह बात कही जा रही थी कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं. अब वैक्सिन निकल गई है. वैक्सिन का हर किसी को लाभ मिले. इस दृष्टि से यह वैक्सिन सब के लिए मुहैया कराई जानी चाहिए जिससे बीमारी के संक्रमण को रोका जा सकता है.अनेक उद्योजक अपने खर्चे पर कर्मचारियों का वैक्सिनेशन करने के लिए तैयार है, ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह लॉकडाउन जैसे कदम उठाने की बजाय हर किसी को चाहिए कि वे योग्य सावधानी बरते. सरकार चाहे तो कोरोना रखने संबंधी प्रतिबंधक उपायों को और कडा कर सकती है. क्योंकि एक वर्ष तक लगातार कोरोना संक्रमण के भय से कोई भी कार्य प्रभावी ढंग से आरंभ नहीं हो पाया है. दुकानदार स्टॉक इसलिए नहीं रख रहे है कि कहीं फिर से कोरोना के कारण लॉकडाउन की स्थिति नहीं आए. इसी तरह उपभोक्ता भी केवल जरूरत की चीजें ही खरीद रहा है. जरूरत के अलावा अन्य वस्तुओं को खरीदने के लिए उसे सोचना पड़ रहा है. क्यों कि यदि लॉकडाउन जैसी स्थिति आती है तो उस हालत में उसे घर चलने के लिए कुछ तो आधार लगेगा.
कुल मिलाकर लॉकडाउन से भले ही बीमारी को नियंत्रण पाने की कोशिश की जा सकती है लेकिन यह एकमात्र विकल्प नहीं हो सकता है. क्योंकि अर्थचक्र का जारी रहना भी जरूरी है. आज देश में विशेषकर महाराष्ट्र में हजारों लोग रोज की आजीविका पर ही निर्भर है. यदि यहां उन्हें रूकना पड जाये तो उनकी जटिलताए बढ़ सकती है. इसलिए जरूरी है कि सरकार लॉकडाउन से पूर्व कई बार विचार करे. लॉकडाउन के बिना कोरोना का संक्रमण कडक निर्बंध के साथ रोका जा सकता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण जिन लोगों पर भूखमरी की नौबत आयेगी तो भूखमरी से मौत को नहीं रोका जा सकेगा. इसलिए लॉकडाउन यह कोरोना का विलकल्प नहीं है. बेशक नियमों में कडाई की जाए पर लॉकडाउन से बचा जाए. बीमारी का सबसे अच्छा विकल्प वैक्सिन है. इसे हर किसी के लिए उपलब्ध कराया जाना जरूरी है.

Related Articles

Back to top button