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अब अमरीकी वीजा में आसानी

अब भारतीय नागरिकों को अमेरिका जाने के लिए वीजा हासिल करने में लगने वाली देरी से अब मुक्ति मिल जाएगी. अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने वीजा प्रक्रिया के काम में लगने वाली देरी को खत्म करने के लिए कई तरह के कदम उठाने का जो फैसला किया है, वह निश्चित ही राहत भरा है. सबसे बड़ा जो कदम उठाया गया है, वह यह कि एक लाख अतिरिक्त वीजा जारी करने का फैसला किया गया है. जिससे अमरिका जाने की इच्छा रखने वाले भारतीयों को बडी राहत मिलेगी. इसके चलते अमेरिका के लिए वीजा मिलने के लिए उतना ही वक्त लगेगा, जितना कोरोना महामारी से पहले लग रहा था. अभी वीजा के लिए लोगों को आठ सौ चवालीस दिन तक यानी सवा दो साल से भी ज्यादा का इंतजार करना पड़ रहा है.
अगर पर्यटकों को छोड़ दें, तो भारत से नौकरी और पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में छात्र अमेरिका जाते हैं. ऐसे में वीजा के लिए इतना लंबा इंतजार लोगों के लिए नए संकट खड़े कर देता है और लोग अनिश्चितता के भंवर में फंसे रहते हैं. गौरतलब है कि कोरोना महामारी की वजह से अमेरिका ने दूसरे देशों से अपने यहां आने वाले नागरिकों को लेकर सख्त कदम उठाए थे और उन्हें वीजा देना बंद कर दिया था. इसके पीछे एक बड़ा कारण तो यह था ही कि बाहर से आने वाले लोग वहां कोरोना संक्रमण फैलाने का कारण न बनें, साथ ही कोरोना से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचा और बेरोजगारी बढ़ी, उसके मद्देनजर भी लोगों का आना प्रतिबंधित किया गया. अमेरिकी वीजा में होने वाली देरी का मुद्दा कोई नया नहीं है. विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन के साथ समय-समय पर बातचीत में इस मुद्दे को उठाते रहे हैं.
हालांकि वीजा देरी पर अमेरिकी प्रशासन जो तर्क देता रहा है, वह समझ से परे रहे हैं. पहला तो यही कि अमेरिकी सरकार अपने दूतावासों में कर्मचारियों की कमी की बात कहती आई है. यह भी कि पिछले कुछ समय में वीजा के लिए आवेदन करने वालों की संख्या में अचानक तेजी आ गई. भारत को यह बात इसलिए भी ज्यादा अखरी कि चीन और पाकिस्तान के छात्रों को अमेरिका के लिए वीजा फटाफट मिलने की खबरें आईं. मालूम पड़ा कि चीन के छात्रों को तो दो दिन में, पाकिस्तान के छात्रों को एक दिन में और श्रीलंका के छात्रों को चार दिन में ही वीजा मिल रहा है.
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि भारत जैसा देश जो अमेरिका का करीबी है और कारोबारी रिश्तों से लेकर शिक्षा, रक्षा, आइटी जैसे तमाम क्षेत्रों में उसका सहयोगी है, तो फिर भारतीय छात्रों के साथ ऐसा भेदभाव क्यों. अब अमेरिकी विदेश विभाग ने वीजा संबंधी नियम प्रक्रिया आसान बनाने की बात कही है. चूंकि वीजा के लिए भी कई तरह की श्रेणियां होती हैं, इसलिए सबका ध्यान रखा जाना होगा. अभी राहत की बात इतनी है कि शैक्षणिक वीजा सहित कई तरह के वीजा के लिए व्यक्तिगत साक्षात्कार की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. फिलहाल जोर अस्थायी रोजगार के लिए अमेरिका जाने वालों को लेकर है. इसके अलावा एच-1बी वीजा वालों की संख्या भी काफी है. अभी चीन और मैक्सिको के लोगों को सबसे ज्यादा वीजा मिल रहा है. जो अमेरिका भारत से रिश्तों को लेकर तरह तरह के दावे करता रहता है, अगर वह भारतीय नागरिकों के प्रति इस तरह का भेदभाव करेगा तो जाहिर है, भारत को यह खलेगा.

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