अति प्रदूषण कोरोना को पोषक
हाल ही में सर्वेक्षण मेें पाया गया है कि जिन महानगरों मेंं अति प्रदूषण है. वहां पर कोरोना का खतरा अधिक है. जिन जगहों पर अति प्रदूषण है वहां पर यह बीमारी आसानी से अपनी जड़े जमा सकती है. इसलिए बीमारी की समाप्ति तभी संभव है जब पर्यावरण की स्थिति अनुकूल रहे. यह सब करने के लिए नियंत्रण प्रयास की आवश्यकता है. खासकर पर्यावरण यह केवल राष्ट्रीय संकट ही नहीं है. बल्कि पूरा विश्व इस संकट से जूझ रहा है. ऐसे में यदि पर्यावरण का असंतुलन रहता है तो बीमारी को भी आए दिन न्यौता मिलता रहेगा. जिससे बीमारी का संक्रमण हरदम कायम रहेगा. वर्तमान में इस बीमारी ने देश की सारी रचनात्मकता समाप्त कर दी है. लॉकडाउन के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड रहा है.इस बात को हर कोई अहसास कर रहा है. जैसा कि सर्वेक्षण में पाया गया है कि जिन स्थानों वर प्रदूषण अधिक है वहां कोरोना का संक्रमण ज्यादा प्रमाण में है. यह सच भी है कि कोरोना का संबंध श्वास से जुड़ा है श्वसन तंत्र यदि प्रभावित होता है तो यह बीमारी अपना प्रकोप तीव्र कर देती है. ऐसे में शहरों में ऑक्सीजन पार्को का निर्माण जरूरी है. ताकि लोगों के सामने ऑक्सीजन का संकट को दूर किया जा सके. विगत एक वर्ष से कोरोना संक्रमण के भय के कारण लोगों ने अपनी नियमित दिनचर्या की आदत प्रभावित हुई है. सरकार की ओर से इस दिशा में कदम उठाया जाना चाहिए.
देश में अनेक शहर प्रदूषण से प्रभावित है. राजधानी दिल्ली में तो गत वर्ष से ही प्रदूषण के संकट से जूझ रही है. कोरोना का सर्वाधिक प्रभाव राजधानी दिल्ली में हुआ है. इसके अंतर्गत कोराना संक्रमण से पूरा होने के पूर्व ही अनेक लोगों को श्वास में दिक्कत हो रही थी. जैसे ही कोरोना विषाणुओं का संक्रमण आरंभ हुआ. उन्हे प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में तीव्र संक्रमण का अवसर मिला. विषाणुओं का संक्रमण आरंभ होते समय ही इस बात का ध्यान रखना जरूरी था कि परिसर का पर्यावरण संतुलन सुरक्षित रखकर प्रदूषण को दूर भगाया जाए. दुर्भाग्य है कि पर्यावरण संतुलन के प्रति अनेक लोग आज भी उदासीन है. क्योंकि पर्यावरण के प्रति कोई भी अपना योगदान नहीं दे रहा है. यह बात भी सच है कि बीमारियों का प्रभाव रोकने के लिए परिसर की स्वच्छता आवश्यक है. जिस तरह बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन अति आवश्यक मानी जा रही है. उसी तरह लोगों पर बीमारी का संक्रमण न हो इसलिए सभी क्षेत्रों में जंतुनाशक छिडकाव किया जाना चाहिए. कोरोना के संक्रमण को लेकर यह छिडकाव आवश्यक है. आरंभ में जब कोरोना का संक्रमण आरंभ हुआ था तब सभी बसे व अन्य वाहनों पर भी जंतुनाशक छिडकाव किया जा रहा था. लेकिन इस वर्ष कोरोना के संग डेल्टा प्लस जैसी विषाणु का संक्रमण घेरने की कोशिश कर रहा है. इसलिए छिडकाव अति आवश्यक हो गया है. बरसात के दिनों ें जलजन्य और विषाणुजन्य बीमारियां भी अपना असर दिखाती है.जिसके कारण जरूरी है कि दोनों बीमारियों पर निगरानी रखी जाए. इसके लिए आवश्यक प्रोटोकाल का नागरिको की ओर से ध्यान रखा जाना चाहिए. विशेषकर युवाओं को भी चाहिए कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहे. नागरिको को अपना बचाव करना अति आवश्यक है. वही पर प्रशासन को भी स्थिति की गंभीरता समझना चाहिए.
आज शहर में अनेक स्थानों पर गदंगी का आलम है. इसी तरह मच्छरों की संख्या में भी भारी बढावा हो रहा है. यदि विषाणुओं के कारण किसी परिवार के सदस्यों को सर्दी, खांसी, जुकाम आदि का संक्रमण होता है तो उसे दूर करने के लिए जरूरी है कि जीवाणुओं को नष्ट करना चाहिए.
जिस तरह कोरोना प्रोटोकाल के अंतर्गत हाथ का धोना आवश्यक है उसी तरह शहर की सभी बस्तियों में भी योग्य प्रमाण में छिडकाव होना चाहिए. उसके लिए प्रशासन को पहल करना आवश्यक है. बेशक भीड आदि के कारण संक्रमण बढा है और इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि प्रशासन की ओर से योग्य सावधानी नहीं बरती गई. केवल समय की पाबंदियों पर ध्यान दिया गया. बीमारी जिन कारणो से पनप सकती है उन्हें दूर करने का प्रयास करना आवश्यक है. बहरहाल यह बात तो स्पष्ट हो गई है कि जहां पर प्रदूषण अधिक है वहां पर कोरोना संक्रमण का खतरा कायम है. इसलिए हर किसी को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि पर्यावरण की रक्षा कैसे हो व प्रदूषण से कैसे बचा जा सके.
कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण के साथ साथ संक्रमण का तीसरा दौर एवं डेल्टा प्लस का खतरा देखते हुए लोगों को कोरोना प्रोटोकाल जिसमें मास्क, हाथ धोना तथा वैक्सीन पर ध्यान देना चाहिए. वहीं पर प्रशासन को भी चाहिए कि वह सफाई एवं छिडकाव के प्रति ठोस कदम उठाए. ताकि लोगों को नष्ट करनेवाली बीमारी से बचाया जा सके.