पोषाहार का संकट
कोरोना संक्रमण के कारण उत्पन्न स्थितियों के चलते रोजाना सैकड़ो गरीब लोग पैसों के अभाव में पोषाहार से वंचित दिखाई दे रहे है. वर्तमान स्थिति में दूध, दही व अन्य खाद्य पदार्थ की दरे भी बढ गई है. ऐसे में अनेक परिवार पोषाहार से वंचित नजर आ रहे है. विशेषकर जब कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना सरकार द्वारा जताई जा रही है. कोरोना संक्रमण रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण यदि कोई प्रतिबंधात्मक उपाय है तो वह पोषाहार ही है. शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर यह बीमारी तीव्रता से आक्रमण करती है. इसलिए सर्वोच्च प्राथमिकता पोषाहार को ही दी जानी चाहिए. लेकिन पाया जा रहा है कि पोषाहार से अनेक लोग वंचित है. विश्वभर में करीब तीन अरब लोग पोषाहार से वंचित है. उनके पास पोषाहार एवं अन्य खाद्य पदार्थ के लिए पैसे नहीं है. विश्व अन्न दर की आंकडेवारी के अनुसार २०१७ तक विश्व में ४० फीसदी जनसंख्या, खाद्यान्न दरों की कमी रहने के कारण हलके दर्जे का आहार अनेक लोगों को लेना पड़ा. खासकर आहार से बीमारी एनीमियां एवं मधुमेह से बचाव किया जा सकता है. लेकिन पोषाहार की उपलब्धता न होने के कारण अनेक लोग बीमारियों से घिर आते है.
कुछ वर्षो पूर्व तक केवल आदिवासी क्षेत्र में पोषाहार का अभाव पाया जाता था.
जिसके कारण अनेक आदिवासी इलाके आज भी कुपोषणग्रस्त होने का कलंक झेल रहे है. अब यह दौर शहरी क्षेत्र में भी आने लगा है. क्योकि कोरोना संक्रमण के कारण अनेक लोग रोजगार से वंचित है. जिसके कारण उन्हें सामान्य आहार भी मिलना कठिन हो गया है. पोषाहार की बात एक स्वप्न बनकर रह गई है. जिससे शहरी क्षेत्रों में पोषाहार के अभाव में अनेक लोगों को कठिनाईयों का सामना करना पड रहा है. बेशक कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए अनेक प्रयास किए जाए. आवश्यकता के अनुरूप व्यवस्था की जाए. अस्पतालों में कोई कमी न रहे इसका भी ध्यान देना होगा. रोजगार के अभाव में अनेक परिवारों को दो समय का भोजन भी नसीब नहीं हो पाया. कहने को शिवसेना की ओर से शिवभोजन की थाली जरूरतमंदों को दी जा रही है. लेकिन इसका प्रमाण सीमित क्षेत्र तक ही रहता है. खासकर अनेक मध्यमवर्गीय परिवारों की हालत दयनीय होती जा रही है.
सरकार को चाहिए कि तीसरी लहर से पूर्व लोगों को पोषाहार के प्रति जागृत किया जाना जरूरी है. जागरूकता सभी क्षेत्रों मेें की जानी चाहिए. जिस तरह रोजाना हाथ धोना, मास्क लगाना व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भी नहीं हो हो पा रहा है. जिससे बीमारी का खतरा हर जगह मंडरा रहा हैे इसकेे लिए जरूरी है कि प्रशासन लोगों को इस बात के प्रति सजग रहना चाहिए. एशिया में यह स्थिति अधिक जटिल होती जा रही है. इसमें कब सुधार होगा, कहा नहीं जा सकता. क्योंकि संक्रमण का दौर अभी भी जारी है. जिसके चलते बीमारी कब तक अपना अस्तित्व कायम रखेगी, कहा नहीं जा सकता. जब तक सबकुछ पूर्ववत नहीं होता लोगों के समक्ष बीमारी को लेकर अनेक आशंकाए रह सकती हैे.
सरकार को चाहिए कि वह कोरोना संक्रमण के संभावित खतरो को देखते हुए जो करोडों रूपये की लागत खर्च करने का कार्य किया जा रहा है. ऐसे में कुछ प्रावधान पोषाहार के लिए भी किए जाने चाहिए. सरकार की ओर से राशन की दुकानों में अनाज दिया जा रहा है. लेकिन दिया जानेवाला अनाज का दर्जा अत्यंत हलका है. इससे पोषक तत्व किसी को मिलेगा यह संभावना शून्य है. बीमारी की लहरे गिनना यह कार्य न तो सरकार का है न ही जनता का. इन लहरों को समाप्त कैसे किया जा सकता है. इस ओर ध्यान देना जरूरी है.
यदि शरीर में पोषक तत्व पूर्ण रहे तो निश्चित रूप से बीमारी से दो-दो हाथ किए जा सकते है. लोगों को इस बात के प्रति आगाह करना जरूरी है. कुल मिलाकर एक ओर पोषाहार की किल्लत हर किसी को परेशान कर सकती है. यदि पोषाहार न रहा तो कुपोषण की स्थिति निर्माण हो सकती है. जिसके कारण बीमारी तीव्रता से आक्रमण कर सकती है. आम तौर पर पाया जाता है कि बीमारी का सर्वाधिक असर उन लोगों पर हुआ जो ५० से अधिक आयु के थे. इसलिए प्रशासन का दायित्व है कि वह तीसरी लहर का भय दिखाने की बजाय इस लहर से कैसे निपटा जा सकता, इस ओर पूरा ध्यान दिया जाए. लोगों को इस बात के प्रति सजग किया जाए कि जब तक उनकी इम्युनिटी मजबूत है बीमारी से वे सहजतापूर्वक निपट सकते है. जरूरी है कि पोषाहार के प्रति सबको जागृत किया जाए व सरकार की ओर से पोषाहार उपलब्ध भी कराया जाना चाहिए. इससे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढेगी तथा वे बीमारी के संक्रमण से बच सकेंगे. पोषाहार हर किसी को उपलब्ध हो इस तरह की योजना बनाना सरकार को जरूरी है.