इन दिनों चिकित्सा क्षेत्र में बडी तेजी से बदलाव हो रहा है और अनेकों बीमारियों पर मात करने का चमत्कार भी वैद्यकीय क्षेत्र ने किया है. आज बीमारी चाहे कितनीही गंभीर क्योंकि न हो, नये-नये संशोधनों, नई व अत्याधूनिक शल्यक्रियाएं व चिकित्सा पध्दति के चलते बीमारियों के ठीक होने का प्रमाण बढ गया है और आज की आधुनिक चिकित्सा पध्दति के चलते मनुष्य की औसत आयु लगातार बढती जा रही है. इसमें भी अब और एक नई चीज जुड गयी है. जिसे अंग प्रत्यारोपण के नाम से जाना जाता है. कई लोगों को जन्मजात व्याधियों अथवा अचानक घटित हादसों के चलते कुछ महत्वपूर्ण व सुदृढ अवयवों की जरूरत होती है, ताकि वे सामान्य एवं निरोगी जीवन जी सके, और ऐसा करना अंग प्रत्यारोपण के जरिये ही संभव हो पाता है. कई बार अच्छेखासे लोग हादसों का शिकार हो जाते है. किसी की हृदयाघात के चलते मौत हो जाती है, वहीं कई लोग ब्रेन डेथ का शिकार होते है. ऐसे समय उनके शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को जरूरतमंदों के लिए दान कर देने से बडा कोई पुण्य नहीं है. वैसे भी मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार पश्चात उनके शरीर के सभी भीतरी महत्वपूर्ण अंग नष्ट ही हो जाते है. ऐसे में यदि उनके अंगों का दान करने की वजह से यदि किसी व्यक्ति की जिंदगी बचायी जा सकती है, तो इससे बेहतर कोई दूसरा काम नहीं है.
विगत चार वर्षों से अमरावती शहर में मरणोपरांत अंगदान की मुहिम जबर्दस्त जोर पकड चुकी है और इस काम में रेडियन्ट हॉस्पिटल अपनी ओर से बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. अमरावती जिले में अंगदान की सबसे पहली प्रक्रिया रेडियन्ट हॉस्पिटल के माध्यम से ही की गई और अमरावती में पहली बार ग्रीन कॉरिडोअर साकार करते हुए यहां से मृत्यु के द्वार पर खडे एक मरीज के महत्वपूर्ण अंगों को नागपुर व मुंबई भेजकर कुछ अन्य मरीजों की जिंदगीयां बचायी गयी. तब से लेकर अब तक रेडियन्ट अस्पताल द्वारा विभिन्न मार्गदर्शन शिविरों के जरिये लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक किया गया.
ज्ञात रहे कि, हमारे देश में हमेशा से ही दान की अपरंपार महिमा रही है और वेदों व पुराणों में भी दान की महिमा का बखान किया गया है. इसमें भी यदि हम अपने दान के जरिये किसी को जीवनदान दे सके तो फिर इससे बडा कोई पुण्य कर्म ही नहीं है. जहां तक अंगदान का सवाल है तो इसके मुख्य रूप से तीन प्रकार है, जिसमें जीवित रहते समय रक्त तथा त्वचा, लीवर व बोनमैरो का कुछ भाग एवं दो किडनियों में से एक किडनी को दान किया जा सकता है. वहीं नैसर्गिक मृत्युवाले मामलों में नेत्रदान व त्वचादान को संपन्न कराया जा सकता है. इसके अलावा ब्रेनडेड घोषित किये गये किसी मरीज के नेत्र, त्वचा, अस्थि, बोनमैरो, रक्त वाहिनी, हृदय, फुफ्फुस, लीवर, स्वादुपिंड व मुत्रपिंड यानी किडनी को दान किया जा सकता है.