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अनाथों को अपना विधायक मिला

श्रीकांत भारतीय की दावेदारी से आम भाजपाई खुश

इस समय विधान परिषद चुनाव में भाजपा द्वारा मूलत: अमरावती से वास्ता रखनेवाले श्रीकांत भारतीय को प्रत्याशी बनाये जाने की समूचे राज्य में जबर्दस्त चर्चा हो रही है. साथ ही भाजपा के इस फैसले का राज्य में हर स्तर पर स्वागत भी किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि, श्रीकांत भारतीय ने दो वर्ष पूर्व तर्पण फाउंडेशन की स्थापना की और विगत एक वर्ष के भीतर 500 से अधिक अनाथ बच्चों के भोजन, कपडे, निवास व शिक्षा की सुविधा उपलब्ध करायी. ऐसे में उन्हें अनाथों का पिता ही कहा जाता है. साथ ही भाजपा द्वारा श्रीकांत भारतीय को विधान परिषद हेतु अपना प्रत्याशी बनाये जाते ही माना जा रहा है कि, अब राज्य के सभी अनाथों को अपना एक विधायक भी मिलने जा रहा है.
ज्ञात रहे कि, प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री रहते समय अनाथो को सरकारी नौकरी में एक प्रतिशत आरक्षण देने का क्रांतिकारी निर्णय लिया था और अब फडणवीस द्वारा श्रीकांत भारतीय के रूप में अनाथों को उनके अधिकार का विधायक दिये जाने की भावना तर्पण परिवार के सदस्यों द्वारा व्यक्त की गई है.
भाजपा द्वारा विधायक परिषद के लिए गत रोज ही अपने पांच प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की गई. जिसमें तीसरे स्थान पर रहनेवाला नाम सर्वाधिक चर्चा में रहा और यह नाम श्रीकांत भारतीय का है, जिनकी विधान परिषद चुनाव के लिहाज से कहीं कोई चर्चा नहीं थी और बेहद अनपेक्षित ढंग से उनके नाम की घोषणा होते ही भाजपा के सभी समर्पित कार्यकर्ताओं को सुखद आश्चर्य होना स्वाभाविक था.
बता दें कि, वर्ष 1985 से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का पूर्णकालिक काम करनेवाले श्रीकांत भारतीय ने विदर्भ क्षेत्र में अभाविप सहित भाजयुमो व भाजपा को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने के लिए काफी बडा योगदान दिया. साथ ही आसाम के बोडो उल्फा आंदोलन का अध्ययन करते हुए उस पर शास्त्रशुध्द तरीके से काम करनेवाले स्वयंसेवक के तौर पर उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई. आगे चलकर उन्होंने खुद को भाजपा के संगठनात्मक कामों के लिए समर्पित कर दिया. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में श्रीकांत भारतीय की पार्टी निष्ठा, कल्पकता, कार्यक्षमता और जबर्दस्त मेहनत के साथ कार्य करने की तैयारी को पार्टी ने बडी गंभीरता से लिया. जिसके बाद राज्य में भाजपा की सत्ता आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने श्रीकांत भारतीय को मुख्यमंत्री कार्यालय में ओएसडी के तौर बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी. उस समय महाराष्ट्र की सामान्य जनता को मंत्रालय की छठवीं मंजील पर श्रीकांत भारतीय के रूप में अपना अधिकारपूर्ण व्यक्ति मिला. वहीं गत वर्ष भाजपा ने श्रीकांत भारतीय पर प्रदेश संगठन मंत्री के पद की बडी जिम्मेदारी सौंपी और उनके नेतृत्व में पंढरपुर उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत मील का पत्थर साबित हुई. ऐसे में उनके संगठन कौशल्य व नेतृत्व क्षमता को देखते हुए भाजपा ने अब उन्हें विधान परिषद में भेजने का निर्णय लिया.

* अनाथों के लिए पितृतुल्य है श्रीकांत भारतीय
श्रीकांत भारतीय द्वारा दो वर्ष पहले तर्पण फाउंडेशन की स्थापना किये जाने से पहले ही विगत पांच वर्षों से उनकी पत्नी श्रेया भारतीय द्वारा स्वनाथ फाउंडेशन के जरिये अनाथ बच्चों के पुनर्वसन हेतु राष्ट्रीय स्तर पर काफी बडा काम किया जा रहा है. पश्चात दो वर्ष पूर्व श्रीकांत भारतीय द्वारा तर्पण फाउंडेशन की स्थापना किये जाने पर महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में बाल सुधारगृह से बाहर निकलनेवाले 18 वर्ष से अधिक आयुवाले अनाथ युवक-युवतियों को काफी बडा आधार मिला और विगत एक वर्ष के दौरान 500 से अधिक अनाथों को तर्पण फाउंडेशन के जरिये काफी बडी सहायता मिली. तर्पण फाउंडेशन के इन कार्यों की जानकारी मिलने पर राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने भी श्रीकांत भारतीय की बडी प्रशंसा की. वहीं अब केवल महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देशभर में करीब 6 हजार अनाथ बच्चों हेतु पुनर्वसन की महत्वाकांक्षी योजना तर्पण के जरिये चलाई जानेवाली है. इस तरह के ईश्वरीय कार्य करनेवाले श्रीकांत भारतीय को विधान परिषद के जरिये भाजपा द्वारा राजाश्रय दिये जाने के चलते देशभर के अनाथ बच्चों के जीवन में अब उम्मीद की किरण पहुंचेगी.

* फडणवीस व चंद्रकांत पाटील के प्रति जताया जा रहा आभार
विधान परिषद हेतु चुने जाने के लिए सभी राजनीतिक दलों द्वारा कौन से मानक तय किये जाते है और प्रत्याशियोें की कौनसी पात्रता होनी चाहिए, यह सभी को पता है, लेकिन ऐसे मानकों व पात्रता को दरकिनार करते हुए श्रीकांत भारतीय का विधान परिषद हेतु चयन किये जाने के चलते एक अलग ही संदेश निकला है. जिससे पार्टी के आम व समर्पित कार्यकर्ताओं में हर्ष की लहर है. इस चयन के लिए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील का अभिनंदन किया जा रहा है. जिन्होंने जातिय समीकरणों और राजनीतिक वोटों का विचार किये बिना सामाजिक कार्य करनेवाले हमेशा पार्टी के प्रति एकनिष्ठ रहनेवाले एवं ओजस्वी वक्ता श्रीकांत भारतीय को विधान परिषद में भेजने का निर्णय लिया. जिससे पार्टी के लिए पूरी निष्ठा के साथ काम करनेवाले सभी कार्यकर्ताओं का आत्मबल निश्चित रूप से बढेगा.

 

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