विध्रहर्ता श्री गणेश के विविधि रुपों को साकार करने वाले राज्य के महान चित्रकारों में से एक है चित्रकार चक्रधर हिवसे वे एक स्वतंत्र चित्रशैली के कलाकार है. एक कला प्रदर्शन में मेरी उनकी मुलाखात हुई थी. जिसमें मुझे चित्रों के विषय में जानने का अवसर प्राप्त हुआ. उनके द्वारा बनाए गए चित्र आज भी मेरी आंखों के सामने है. उन्होंने हाल ही में श्री गणेश के विविध रुपों वाले चित्र अपनी पेन से कैनवास पर उतारे जो कि देखते ही बनते है. उनके द्वारा बनाए गए चित्र अनेक वृत्त पत्र, मासिक, दीवाली अंक के माध्यम से प्रसिद्ध हुए है.
राज्य ही नहीं अन्य राज्यों में भी उनके द्वारा बनाए गए चित्रों को पंसद किया जा रहा है. चक्रधर हिवसे का कला का प्रवास व्यापक है. मुंबई, पुणे, हैदराबाद, नसिक, बैगलोर, दिल्ली, नागपुर जैसे महानगरों में उन्होंने अपनी कला प्रदर्शित की है. उन्होंने भव्य दिव्य कलाकृति का साकार भी किया है. चित्रकारी के साथ-साथ उनमें और भी गुण है अष्टपहलू के धनी चित्रकार चक्रधर हिवसे उत्कृष्ट गायक व वादक भी है. वायलीन वादन और संगीत क्षेत्र में भी उनका बडा योगदान है. उनके संतों के अभंग, ग.दी. माडगुलकर की गीत रामायण, गजल भी प्रसिद्ध है. अनेक छोटे-बडे शहरों में उनके डेढ सौ के लगभग कार्यक्रम हो चुके है. कला के साथ उन्होंने अंजगांव सुर्जी की सीताबाई संघई एज्यूकेशन सोसायटी द्वारा संचालित सीताबाई संघई विद्यालय में वे पिछले २० वर्षो से विद्यादान का कार्य कर रहे है. ऐसे महान तपस्वी कलाकार चित्रकार को शतशत नमन.
-प्रा.दिपाली हरिशचंद्र अकर्ते पुणे
मो. ८५५४०४८८८३