ग्रामीण परिसर के जननेता डॉ. आबासाहब उर्फ गोपाल खेडकर
अमरावती/दि.14-ग्रामीण परिसर के जननेता थे डॉ. आबासाहब उर्फ गोपाल खेडकर उन्होंने जिला कॉउंसिल अध्यक्ष से विधायक, सांसद तथा महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद भी सुशोभित किया और वे महाराष्ट्र राज्य के पहले ग्रामीण विकास मंत्री भी बने. डॉ. आबासाहब का कार्य हिमालय के जितना विशाल था. उनका जन्म विदर्भ में अमरावती जिले की मोर्शी तहसील अंतर्गत आनेवाले छोटे से गांव खेड में 14 जनवरी 1900 में हुआ था. उन्होंने अपने आप को स्वतंत्रता आंदोलन में झौंक दिया. ग्रामीण परिसर में उनका अच्छा खासा संपर्क था. 1947 में विदर्भ कांग्रेस कमेटी ने उन्हें सर्व सहमती से उपाध्यक्ष पद के लिए चुना. उसके पश्चात ब्रिजलाल बियाणी व्दारा इस्तिफा देने के बाद उन्हें 1 जुलाई 1948 में विदर्भ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर चुन लिया गया. 1952 में अकोला, बुलढाणा मतदार संघ से वे बहुमतों से चुनकर आए. 1960 में महाराष्ट्र कांगे्रस कमेटी के पहले प्रदेश अध्यक्ष पद का मान उन्हें प्राप्त हुआ. एक व्यक्ति एक पद के तत्वानुसार 5 अगस्त 1960 को उन्होंने संसद पद से इस्तिफा दे दिया और महाराष्ट्र प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष पद पर कार्य किया और उनका कार्य अविस्मरणीय साबित हुआ. 5 अगस्त 1962 में जिला परिषद कानून मंजूर हुआ. यह उपक्रम सफल हो इसके लिए आबासाहब ने गांव-गांव जाकर जनजागृति की. उनके नेतृत्व में हजारों कार्यकर्ता तैयार हुए. स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने 1930 में दहीहांडा यहां नमक सत्याग्रह पथक का नेतृत्व किया जिसमें उन्हें 6 महीने की सजा हुई. 28 जनवरी 1931 को उन्हें बरी किया गया और वे 1 फरवरी 1931 में दर्यापुर में शेतकरी परिषद के अध्यक्ष बने. तब भी उन्हें हिरासत में लिया गया. 1941 में सत्याग्रह करते हुए उनके घर से गिरफ्तार किया गया. राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए उनके नेतृत्व में पंचायत समिति व जिला परिषद को शासकीय दर्जा दिया गया. उनके व्दारा किए गए कार्य आज भी स्मरणीय है. ऐसे महान जननेता को उनकी 122 वीं जयंती के उपलक्ष्य में विनम्र अभिवादन.