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आदरणीय शरद पवार एक प्रगल्भ नेतृत्व

मुंबई/दी11–  आदरणीय शरद पवार साहब का जन्म दिन. क्या लिखना ऐसा सवाल आंखों के सामने था. क्योंकि ऐसा एक भी क्षेत्र नहीं, जिसमें साहब ने कार्य नहीं किए. आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, औद्योगिक, कृषि व तकनीकी ज्ञान इन सभी क्षेत्रों में मा. साहब ने काम किए. फिर विचार किया कि इस समय थोड़ा उनके विचारों का अवलोकन किया जाये. क्योंकि उनका वैचारिक स्तर भी ऊंचा होकर सर्वसमावेशक है. इनमें से कुछ पहलूओं को आपके सामने रखने का प्रयास करता हूं यानि फिलहाल का सामाजिक वातावरण.
पवार साहब यानि प्रत्येक बात की ओर व्यापक दृष्टिकोण से देखने वाले. उनके विचारों के अनुसार आर्थिक एवं सामाजिक बदल का ही सुसूत्रीकरण रखना महत्वपूर्ण है. ज्ञान का संपादन व आर्थिक विकास की प्रक्रिया लगातार गतिमान होना आवश्यक है. औद्योगिक प्रगति हो या खेती संपन्न हो तभी जीवन सुखी, ऐसा विचार युवा पाढ़ी को करना चाहिए. राजनीति यदि सही में विकासाभिमुख हुई तो सभी बदलाव अपने आप होंगे.लगातार सिर्फ झूठे आश्वासन देने की बजाय यदि काम करने की स्पर्धा देश की सभी पार्टियों ने की, तभी चित्र बदलेगा. सामाजिक न्याय पर आज जाति पाति के विचारों को प्रधानता दी जाती है. कई नेता इस भावना को खाद पानी डालने के लिए, जातिपाति के नाम पर झंडे तैयार कर संगठन शक्ति बढ़ाने का प्रयास करते हैं और स्वयं की रोटी सेंकने के लिए जातीय संगठना का इस्तेमाल करते हैं. इसी तरह धार्मिकता में भी हुआ है. धार्मिक भावना जलाकर एक दूसरे की जान लेने का प्रयास भी किया गया है. वोट बैंक हमारा धर्म है कि हम इस मोह में पड़ गए हैं. वहीं आजकल नेताओं की एक दूसरे पर की टिप्पणी भाषा यह संवेदनहीन, स्तर छोड़ने वाली लगती है. इसका युवा पीढ़ी पर क्या असर हो रहा है, इस बारे में कोई विचार ही नहीं करता. युवक तुम्हारा कौन सा आदर्श लेंगे, इस बारे में विचार करने की क्षमता खत्म होते दिखाई दे रही है. ज्येष्ठों की उम्र का भी विचार नहीं करते.
यह सब देखते हुए याद आती है आदरणीय श्री शरदराव पवार साहब की. वे भी हाड़ मांस के बने हैं. उन्हें भी दिल है. विरोधियों ने टिप्पणी करते समय मर्यादा छोड़ी. टिनपाट नेता भी इसमें सहभागी हो प्रसिद्धी लेने लगे. लेकिन इतने आत्मविश्वास, संयमी ऐसे नेता ने विरोधियों को कृति से, काम से उत्तर दिया और सभी की बोलती बंद की. शब्दों की मर्यादा कभी भी नहीं लांघी या किसी निजी बात पर नहीं बोले एवं निजी टिप्पणी नहीं की.
ऐसे अस्सल, कसे हुए नेतृत्व यानि आदरणीय श्री पवार साहब और नता कैसा होना चाहिए, इसका यह उदाहरण. उनके मुताबिक सर्वसामान्य व्यक्ति जब जाति पाति, धार्मिकता का विचार न करते हुए एक साथ आयेगा, तभी संपूर्ण महाराष्ट्र मजबूती से सामने जाएगा.
आज महाराष्ट्र में व्यक्ति-व्यक्ति में अंतर बढ़ाने का काम कुछ जातीयवादी शक्ति कर रही है. जब दंगे होते हैं, तब गरीबों का घर, टपरी, उपजीविका का साधन पहली बार जलते है. इसलिए दंगे हुए कि उसकी कीमत सर्वसामान्यों को गिननी पड़ती है. उनका तो जीवन भी उध्वस्त हो जाता है. इसलिए साहब कहते हैं कि हमें एक साथ रहने का विचार करना चाहिए. प्रत्येक नागरिक का कल्याण व स्वाभिमान इसमें ही देश का सार्वभौमत्व है. गांव का, परिसर का विकास कोई तो करेगा, यह भ्रामक कल्पना छोड़कर हम सभी को सामुदायिक रुप से यह प्रयास करना पड़ेगा. इसके लिए कृतिशील बनना पड़ेगा. और कृतिशीलता लानी हो तो इसके लिए लोगों के दिलों पर असर कर राष्ट्रीय व्यवहार को उचित बनाने का प्रयास करना चाहिए. इसके साथ ही महत्वपूर्ण प्रश्नों पर राष्ट्रीय स्तर पर निःपक्ष रुप से चर्चा होना आवश्यक है. फिर व आरक्षण नियोजन, समान नागरिक कानून, राष्ट्रीय वेतन नियोजन, प्रादेशिक स्वायत्तता या किसाों का प्रश्न क्यों न हो. इस बाबत बुद्धिजीवियों ने महत्वपूर्ण शैक्षणिक भूमिका निभानी चाहिए ऐसे मा. श्री शरदराव पवार साहब के स्पष्ट विचार थे.
आज दुर्भाग्य से राजनीति यानि एक-दूसरे की गलतियां निकालना, पैर खिंचना,उद्धट रुप से टिप्पणी करना,कुरघोडी करना, अपमानास्पद कटाक्ष. वयक्तिक, निजी बातों पर टिप्पणी करना और जीतना ऐसा समीकरण देश में बना है. लेकिन इस प्रवृत्ति के लोगों का प्रश्न हल नहीं होता. इसलिए मा. पवार साहब का यह कहना है कि उनकी कीमत लोकशाही को गिननी पड़ती है. ऐसे न हो, इसलिए लोगों के सामने सतत विकासाभिमुख लेखाजोखा प्रस्तुत करना चाहिए. राजनीति की तरफ देखने का दृष्टिकोण बदलना चाहिए. लोक प्रतिनिधियों ने हम किसलिए चुनकर आये इसका विचार करना चाहिए. राजनीतिक हलचलों में ध्येय प्राप्त करते समय देश का आर्थिक व सामाजिक बदल करने हेतु प्रयास करना चाहिए.
यह आदरणीय श्री पवार साहब के विचार सूत्रों से लिया गया एक छोटासा हिस्सा था. उम्र के 81 वर्ष में भी जिस उत्साह से दौरे, भेेंट, सामाजिक कामों की समीक्षा, राजनीतिक उठापटक, लोगों के प्रश्न सुनकर उस पर मार्ग निकालने, युवा पीढ़ी को, कार्यकर्ता को प्रेम से करीब करते हुए प्रोत्साहित करना, आदि बातों के कारण युवकों का वे आकर्षण माने जाते हैं. प्रयास वादों पर विश्वास रखने वाले व जिद से, आत्मविश्वास से संघर्ष का सामना करने वाले हमारे नेतृत्व जिन्होंने तीन पीढ़ियों को एक साथ बांधकर उनमें सुसूत्रता रखी, ऐसे इस संयमी,प्रगल्भ,वाचा शुद्धि वाले व्यक्तित्व को 81 वें वर्ष में पदार्पण करने निमित्त ढेरों शुभकामनाएं. ईश्वर उनकी तबियत उत्तम रखे, यहीं ईश्वर से प्रार्थना है.
– प्रा. डॉ. हेमंत मु. देशमुख, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, मुंंबई

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