लेख

क्रांतिकारी लोकनायक विधायक बच्चू कडू

किसी भी प्रकार की राजनीतिक पार्श्वभूमि न रहते,प्रतिकूल व सामान्य किसान परिवार में जन्मे,भारी आत्मविश्वास और कायकर्ताओं का साथ होने के कारण और देश में एक क्रांतिकारी विधायक ओमप्रकाश बाबाराव कडू उर्फ बच्चू कडू प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष व अचलपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र (जि. अमरावती) से चौथी बार चुनकर आये लोकप्रिय अपक्ष विधायक हैं. युवकों के अभिनव आंदोलन के कारण बच्चू कडू महाराष्ट्र में परिचित हैं. 2019 में स्थापित की गई महाविकास आघाड़ी सरकार में बच्चू भाऊ ने शिवसेना के कोटे से जलसंपदा व लाभक्षेत्र विकास, शालेय शिक्षा, महिला व बालविकास,अन्य पिछड़ा वर्ग, सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ा प्रवर्ग, विमुक्त जाति, भटक्या जमाति तथा विशेष पिछड़ा प्रवर्ग कल्याण कामगार खाते के राज्यमंत्री पद की शपथ 30 दिसबंर 2019 को ली. बच्चूभाऊ कडू व्दारा महाराष्ट्र की राजनीति में प्रवेश करते ही बहुजन समाज के किसान, खेत मजदूर, कामगार,मजदूर, दलित,कारागीर सरिखे जाति समूहों को राजनीतिक पहचान करवाई और जाति समूहों को राजकीय सहभाग की आकांक्षा व अवकाश भी उपलब्ध करवाया. भाऊ ने नये से राजनीति की फिर से शुरुआत की. उन्होंने ग्रामीण व शहरी भागों के लोगों को कौन सा प्रश्न सता रहा है,इसका विचार कर उन प्र्र्रश्नों को हल करने में सफलता पायी है.
बच्चू भाऊ पर छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर बाजीप्रभु देशपांडे, क्रांंतिकारी भगतसिंग, संत गाडगेबाबा, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज, शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे और किसान संगठना के आंदोलन का काफी प्रभाव है. इस कारण ही समाज के लि ये त्याग और समर्पण की भावना उनमें आयी है. इसके साथ ही उनके व्यक्तित्व में कमाल की ग्रामीण शहाणपण, बचपन से ही ग्रामीण समाज की गरीबी का अनुभव, किसान, मजदूरों के जीवन की समस्याओं का सुक्ष्म निरीक्षण और चिंतन तथा मनन के कारण उनकी वैचारिक बैठक पक्की व बड़ी वैचारिक खोली पायी है. उन के वर्‍हाडी वक्तृत्व, बोलने, भाषण शैली व उच्चार की पध्दति ने ग्रामीण लोगों मन जीत लिया है. इस कारण जनसामान्यों में उनके प्रति काफी आकर्षण निर्माण हुआ है. उन्होंने बहुजन समाज के लोगों में नेता और जनता इस बाबत का न्यूनगंड दूर किया है यह बड़ा काम उन्हें जाने-अनजाने में किया है. इसलिए ही सर्वसामान्यों का नेता, अपना भिडू बच्चू कडू आदि सरीखी विरुदावली बच्चूभाऊ को कार्यकर्ताओं ने लगायी है.
बच्चूभाऊ ने सार्वजनिक जीवन में प्रवेश करते समय प्रहार नाम की सामाजिक हलचल निर्माण की, यह हलचल एक ओर रचनात्मक और विकासात्मक कामों में भी दिखाई देती है तो दूसरी ओर यह हलचल राज्य संस्था के अन्याय, शोषणात्मक व दमनकारी बातों पर ध्यान केंद्रीत कर राज्य संस्था से संघर्ष करते संबंधितों को न्याय दिलवाने का प्रयास करते दिखाई देते हैं. जरुरतमंदों को न्याय दिलाने के लिये वे हमेशा ही तत्पर नजर आते हैं.बच्चू कडू के आंदोलनों की विशेषताएं काफी हटकर हैं. शोले आंदोलन, अन्नत्याग आंदोलन, अर्ध दफन आंदोलन,डेरा आंदोलन,ठिया आंदोलन,सांप छोड़ो आंदोलन, किसान आसूड यात्रा, मंत्रियों को उनके ही बंगले में कैद करने का आंदोलन, नागर आंदोलन, जंगल बुक आंदोलन,मंत्रियों के कान पकड़कर च्याउ म्याऊ आंदोलन,राज्य के मंत्रियों के मुखौटे पहनकर मुखौटा आंदोलन, सुतली बम धमाका आंदोलन, मंत्रियों को राखियां बांधकर रक्षाबंधन आंदोलन, लोडशेडिंग के विरोध में अधिकारियों को लाईट के पोल पर बांधने का आंदोलन,दिव्यांगों की मांग के लिये स्वयं हाथ-पैर बांधकर विधानसभा में आंदोलन किये. इन आंदोलनों से बच्चूभाऊ व प्रहार संगठन व्दारा संपूर्ण राज्य सहित देशवासियों का ध्यानाकर्षित किया गया.
भाऊ कहते हैं समाजहित के काम क रने की पहचान उनके जाति धर्म से नहीं तो उनके कामों से होनी चाहिए.
बच्चू भाऊ ने बचपन से ही यानि नये-नये रहते गांव का तमाशा बंद पड़ा तब से ही समाज सेवा का कार्य अविरत जारी है. अनेक दुर्धर बीमारियों पर शस्त्रक्रिया, स्वास्थ्य शिविर, नेत्र जांच शिविर, विकलांगों को साहित्य वितरण शिविर और महत्वपूर्ण रक्तदान यह सर्वश्रेष्ठ दान है ऐसा मानकर स्वयं रक्तदान में शतकवीर होकर अपना प्रत्येक जन्मदिन रक्तदान से मनाना चाहिए. व किसी भी आंदोलन की, कार्यक्रम की शुरुआत रक्तदान से होनी चाहिए और कोई भी त्यौहार हो तो दिव्यांग, वृध्द के साथ मनाने की भूमिका रखी है.
विदर्भ की प्रसिध्द यात्रा बहिरम में राज्यभर के तमाशा का फंड यहां आता था. यात्रा में नाच-गाने के नाम पर तंबू में वेश्या व्यवसाय का अड्डा बन गया था. जिसके विरोध में गाडगेबाबा के बाद किसी ने आवाज उठायी हो तो वह बच्चूभाऊ ने ही. और आज इसी बहिरम यात्रा में प्रहार बहिरम यात्रा महोत्सव मनाया जाता है. इस महोत्सव में शासकीय रथयात्रा सरीखे उपक्रमों से गरीबों के काम आधे घंटे में पूरे किये जाते हैं. बावजूद इसके स्वास्थ्य शिविर, कृषि मार्गदर्शन, पशुसंवर्धन, महिला बचत गट प्रशिक्षण, कीर्तन, व्याख्यान, प्रबोधन के साथ ही विधायक-सरपंच चषक, दहीहांडी, कबड्डी, खो-खो जैसे मैदानी खेल शुरु किये गये. बाल सम्मेलन, तमाशे की जगह सांस्कृतिक महोत्सव, ईश्वर को मटन की बजाय सीधे अंबाडी की भाजी व भाकर का नैवेद्या दिखाने की नयी प्रथा आदि सरीखे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. आमदाराची राहुटी आपल्या गावात इस उपक्रम से शासन की अनेक योजनाओं की उचित तरीके से अमल में लाने का प्रयास बच्चू भाऊ ने घंटों का काम मिनटों में कहते हुए कायम रखा है. श्रावणबाल, संजय गांधी निराधार योजना के माध्यम से विधवा व वृध्दों को 15 दिनों में 35 हजार लोगों को पेंशन दिलवाने का विक्रम उन्होंने किया है. अपंग-निराधारों की होने वाली अव्यव्था भाऊ ने नजदीक से देखी है. इसलिए उन्होंने इन वंचितों के लिये अमरावती जिले के मासोद में अपंग अनाथ पुनर्वसन केंद्र स्थापित किया. इस बहुउद्देशीय पुनर्वसन केंद्र मेंं निर्वाचन क्षेत्र के अनाथ बच्चों की व किसान विधवा को सक्षम बनाने के साथ ही भूमिपुत्र फाऊंडेशन व्दारा आत्महत्याग्रस्त परिवारों की जिम्मेदारी तथा बच्चों के शिक्षा की जिम्मेदारी स्वीकारी है. अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में घरकुल के काम भी कराये हैं. राज्य के अन्य किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर घरकुल के काम नहीं हुए हैं. जितने कार्य भाऊ ने विधायक बनने के बाद अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में किये हैं. अचलपुर औ़र चांदूर बाजार तहसील के सभी प्रशासकीय कार्यालयों जैसे कृषि उपज बाजार मंडी, सरकारी अस्पताल, बस स्टॉप, दोनों शहर के मुख्य रास्तों, चौक चौराहों का सौंदर्यीकरण, अनेक गांवों में समाज मंदिर, व्यायाम शाला, ग्रंथालय, बौध्द विहार, प्रत्येक गांव में स्मशान भूमि, एंबूलेंस, गांव-गांव को जोड़ने वाले रास्ते, आध्यात्मिक, धार्मिक शैक्षणिक संस्था और तीर्थक्षेत्र को भरपूर निधि, जलशिवार योजना के माध्यम से अनेक कार्य, पीने के पानी की व्यवस्था, किसानों के खेत की फसलों की सिंचाई के लिये मध्यम व लघु प्रकल्प का पानी दिलवाना, अचलपुर तहसील में बंद पड़ी फिन ले मिल को शुरु करवाने, आश्रम स्कूल, स्कूलें व महाविद्यालय, घुमंतू माता-पिता अस्पताल, प्रहार दूध संकलन जैसे अनेक लघु उद्योग, जरुरतमंदों के लिये अन्नछत्र, एक गांव एक तिरंगा जैसे उपक्रम चलाये गये. हाल की घड़ी में बच्चू कडू राज्यमंत्री हैं. बावजूद इसके जनसेवा के कायों में वे लगातार तत्पर रहते हैं. विश्व और राज्य में कोरोना महामारी ने हाहाकार मचाया है. कोरोना के लॉकडाउन के समय स्थलांतरित और निराधार लोगों के लिये घरपहुंच भोजन और अन्नछत्र उपक्रम चलाकर गरीब व जरुरतमंदों को अनाज का वितरण किया. कोरोना पॉजीटीव मर ीजों को निर्वाचन क्षेत्र के चांदूर बाजार, अचलपुर, परतवाड़ा में प्रहार संगठना के माध्यम से सभी सुविधायुक्त कोविड अस्पताल का निर्माण किया. कोरोना के कारण युवकों को रोजगार व स्वयं रोजगार दिलवाने के लिये स्थानीय स्वराज्य संस्था के माध्यम से उद्योग पूरे गांव में यह अभिनव संकल्पना बेलोरा और कुरल पूर्णा से प्रत्यक्ष में शुरु की गई है और यह संकल्पना पूरे निर्वाचन क्षेत्र में ले जाने का संकल्प किया है.
ऐसे अनेक उपक्रमों के कारण ही भाऊ सही मायने में किसानों के, आदिवासियों,दलितों, महिलाओं, विकलांगों, गरीबों, वंचित, शोषित, पीड़ित, अल्पसंख्याकों के तारणहार माने जाते हैं.
बच्चू भाऊ की राजनीति हमेशा ही किसान मजदूर, असंगठितों, वंचित और उपेक्षितों को संगठित करने की रही है. इस क्रांतिकारी लोकनायक विधायक बच्चू भाऊ को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
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– प्रा. डॉ. भारत कल्याणकर, समाजशास्त्र विभाग प्रमुख
छत्रपति शिवाजी कला महाविद्यालय, आसेगांवपूर्णा. मो. नं. 9422546747

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