बढती भीड़ से संक्रमण का खतरा
कोरोना की संभावित तीसरी लहर का मुकाबला करते समय बढती भीड एक बड़ी चुनौती है. जिसके चलते धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक कार्यक्रम, आंदोलनों के कारण विविध स्थानों पर भीड़ जमा होने के कारण इसमें नियंत्रण के लिए केन्द्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक नीति बनाए. यह मांग राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने प्रधानमंत्री से की है. प्रधानमंत्री की ओर से सभी मुख्यमंत्रियों से ऑनलाईन बैठक आयोजित की गई.जिसमेंं यह बात मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने की है. निश्चित रूप से बढती भीड के कारण संक्रमण का खतरा बढ जाता है. लेकिन भीड क्यों जमा होती है. इस बारे में भी सरकार को समीक्षा करना आवश्यक है. आम तौर पर शहर में भीड सोमवार के दिन देखी जाती है. इसके पीछे मुख्य कारण यही है कि दो दिन विकेंड लॉकडाउन रहने से सोमवार को बाजार में सर्वाधिक चहल पहल रहती है. यदि विकेंड लॉकडाउन को कम किया जाए तो या हटा दिया जाए तो निश्चित रूप से बढती भीड़ को कम करने में सहायता मिल सकती है. इसके लिए प्रशासन को योग्य नीति अपनानी होगी. शहर की जनता के पास आज इतने पैसे नहीं है कि वे दो दिनों की खाद्य सामग्री अपने पास रख सके. क्योंकि अमरावती में रोजगार की समस्या आरंभ से ही है. उस पर कोरोना संक्रमण के कारण कई और लोगों के रोजगार खो गये है. ऐसे में बेरोजगारों की भीड बढती जा रही है. शहर में भी भीड को बढने से रोकने के लिए प्रशासन को भी पूरी तरह सक्रिय होना पडेगा. आम तौर पर सडको पर भीड बढती है. ऐसे में पुलिस प्रशासन यदि कुछ महत्वपूर्ण मार्गो पर अपना कडा बंदोबस्त रखे तो भीड को कम किया जा सकता है. जिन मार्गो पर भीड बढती है उन्हें वनवे किया जाए तो भीड का असर कम हो जायेगा तथा भीड को लेकर जो चिंताए समाप्त हो जायेगी. लेकिन पाया जा रहा है कि सड़कों पर ट्रॉफिक पुलिस दिखाई नहीं देते. इससे लोग मनमाने ढंग से अपने वाहनों को सडक पर भीड बढा देते है. यदि वनवे किया जाए तो एक ही सडक पर जानेवाले वाहन दिखाई देंगे या जबकि दूसरी साईड पर आनेवाले वाहन रहेंगे. इससे सड़क पर जो सकींर्णता बढ रही है वह कम हो जायेगी.
कुछ हद तक सरकार द्वारा व्यापार के लिए जो नीतियां अपनाई गई है. वह भी दोषपूर्ण दिखाई देती है. व्यापार के लिए जो समय दिया गया है वह भी अत्यंत सीमित है. सुबह ७ से शाम ४ बजे तक प्रतिष्ठान खुले रखने की अनुमति है. जबकि इतनी बड़ी आबादीवाले क्षेत्र के लिए यह समय सीमित हो गया है.परिणामस्वरूप खरीददारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पडती है. चूकि ४ बजे तक का समय अत्यंत सीमित है.इसे बढाकर शाम ७ बजे तक किया जाना चाहिए. साथ ही कोरोना नियमावली का पालन करने के भी निर्देश दिए जाए. विशेष यह कि कुछ परंपराए विशिष्ट लोगों से आरंभ होती है. यदि गलत दिशा में कार्य हुआ है तो उसका अनुसरण अन्य लोग भी करते है. बीते दिनों एक राजनीतिक पार्टी के कार्यालय के उद्घाटन अवसर पर हजारों कार्यकर्ताओं की भीड जमा हो गई थी. जिसके चलते आम नागरिक यह सोचने को मजबूर हो जाता है कि विशिष्ट जनों के लिए भीड का बंधन क्यों नहीं है. इसी तरह शहर में प्रमुख बाजार पेठ की दुकानें जो नियमित रूप से कर अदा करती है उनके लिए कडक नियमावली है. निर्धारित समय के बाद बाजार पेठ की दुकाने खुली रह गई तो सील करने की कार्रवाई होती है. जबकि शहर की अनेक बस्तियों में दुकानें देर रात तक खुली रहती है. ऐसे में नियमित रूप से कर अदा करनेवाला व्यवसायी यह सोचने को मजबूर है कि सारी नियमावली केवल उसके लिए ही क्यों? स्थानीय निकायोंं के पास अतिक्रमण हटाने व अवैध रूप से पार्किंग रोकने के अधिकार है. लेकिन स्थानीय निकायों की ओर से अतिक्रमण व अवैध पार्किंग को नजर अंदाज किया जाता है. जिसके कारण भीड अपने आप बढ रही है. प्रशासन यदि इन बातों पर ध्यान दे तो भीड को काफी हद तक कम किया जा सकता है. जरूरी है कि प्रशासन केवल लोगों पर भीड बढाने का दोष थोपकर अपने आपको पाकसाफ नहीं कह सकता है. इसके लिए पुलिस बल को सडको पर यातायात नियंत्रण के लिए तैनात रखना जरूरी है. जिन मार्गो पर अतिरिक्त भीड रहती है वहां वनवे आदि की व्यवस्था की जानी चाहिए. अतिक्रमण एवं अवैध पार्किंग के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए. जिससे रोजाना बाजार में उमड़ती भीड पर नियंत्रण किया जा सके. साथ ही सड़क किनार हाथ ठेले पर सब्जियां एवं अन्य वस्तुएं बेचने वाले विक्रेताओं पर भी दोपहर ४ बजे का बंधन लगाया जाए. इसके लिए पुलिस प्रशासन को उन बस्तियों में भी जाना होगा जो अपने प्रतिष्ठान निर्धारित समय के बाद भी धडल्ले से खोलकर बैठे रहते है.
कुल मिलाकर यह तो सच है कि जब तक भीडभाड में नियंत्रण नहीं होता है तब तक बीमारी का संक्रमण कायम है. इसलिए भीड रोकने के लिए प्रशासकीय स्तर पर भी कुछ कदम उठाए जाने चाहिए. चाहे राजनीतिक दल हो या कोई अन्य संगठन यदि वह भीड बढाने के लिए जिम्मेदार रहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. प्रतिष्ठान बंद होने के निर्धारित समय के बाद भी यदि कोई घूमता हुआ दिखाई देता है तो उससे पूछताछ भी की जानी चाहिए. आवश्यकता पडऩे पर उस पर कार्रवाई भी की जानी चाहिए. इसलिए भीड पर नियंत्रण के लिए नागरिको को योगदान देना जरूरी है. पर प्रशासन को भी सजगतापूर्वक कार्य करना होगा.