भीख के लिए नौनिहालों की बिक्री
एक ओर अनेक सामाजिक संगठन इस बात पर जोर देते है कि, बालकों को भीख न दी जाये. नौनिहालों को भीख मांगने के लिए मजबूर किये जाने की घटना हाल ही मेें सामने आयी है. हालांकि इस तरह की घटनाएं इसके पूर्व भी अलग-अलग स्थानों पर सामने आयी थी. जिसके चलते अनेक सामाजिक संगठनाओं ने इस बात पर जोर देना आरंभ कर दिया कि, नौनिहालों को भले ही भोजन दिया जाये, लेकिन नगद रुप में भीख न दी जाये, संगठना की यह दलील जायज भी है. क्योंकि जब तक नौनिहालों को भीख में नगद राशी दी जाती रहेगी. तब तक अनेक नौनिहाल यातना बर्दास्त कर भीख मांगने के लिए मजबूर रहेगे. नौनिहालों की मासूमियत का लाभ उठाकर अनेक गिरोह सक्रीय है, जो बालकों को भीख मांगने के लिए मजबूर करते है. ऐसे तत्वों पर तभी रोक लग सकती है, जब नौनिहालों को भीख देना बंद कर दिया जाये. यदि ऐसा किया जाता है, तो इसका व्यापक असर होगा. जो असामाजिक तत्व बालकों से भीख मंगवाकर ऐश करते है. उन पर रोक लगेगी.
हाल ही में बुलढाणा जिले के देउलगाव राजा के दो बालकों को एक महिला ने 1 लाख रुपए की नगद राशी देकर खरीद लिया. 6 तथा 2 वर्ष के इन बालकों को भीख मांगने के लिए मजबूर किया जा रहा था. इसके लिए दोनों बालकों पर व्यापक अत्याचार किये जा रहे थे. यह बात पडोस में रहने वाली एक महिला के ध्यान में आया. उसने एक समाजिक कार्यकर्ता के सहयोग से बालकों पर हो रहे अत्याचार की पुलिस को जानकारी दी. जानकारी के आधार पर पुलिस ने जांच आरंभ कर दी है. दोनों बालकों को उसके कथित माता-पिता ने भीख मांगने वाले गिरोह के सुपूर्द किया था. पुलिस ने छापा मारकर जब इन दो बालकों को बरामद किया. पूछताछ में दोनों बालकों ने बताया कि, उन्हें भीख मांगने के लिए उक्त महिला ने खरीदा है तथा उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इसके आधार पर पुलिस ने बालकों को प्रताडित करने वाली एक वृद्ध महिला सहित दोनों को गिरफ्तार किया है. उनसे यह तथ्य पता चला. जिसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई आरंभ की है.
देउलगांव राजा के दो बालकों को खोज पाने में पुलिस दल कामयाब रहा. लेकिन देश में अनेक ऐसे बालक है, जो भीख मांगने वाले गिरोह के शिकार हो गये है. लगातार यातना के कारण आज भी भीख मांगते हुए दिखाई देते है. ऐसे तत्व के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठा पाता. यही कारण है कि, इनकी मनमानी दिनोंदिन बढती जा रही है. शहर का कोई चौराह हो या कोई भी व्यापारी संकुल, अनेक नौनिहाल हाथ पसारे दिखाई देंगे. उन्हें भीख मांगने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. नौनिहाल होने के कारण लोगों में ऐसे तत्व के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं करता. इससे पूर्व उत्तर भारत के अनेक शहरों में नौनिहालों से भीख मांगवाने वाले बालकों का अपहरण करने वाले गिरोह का विगत दिनों पर्दाफाश हुआ था. निश्चित रुप से बालकों से भीख मंगवाने का रैकेट पूरे देश में सक्रिय है, ऐसे लोगों का पता लगाया जाना चाहिए.
हर शहरों में कोई नन्हा बालक यदि भीख मांगते हुए दिखाई देता है, तो सहज रुप में आम व्यक्ति का मन पसीज जाता है तथा व इन बाल भिखारियों को वे कुछ न कुछ राशी दे देते है. इसे भीख मांगने के लिए मजबूर करने वाले तत्व बिना किसी देरी के छीन लेते है. बालकों का इस्तेमाल उनकी मासूमियत दिखाकर भीख के रुप में नगद राशी दी जाती है. यह राशि लेकर बालकों को फिर से प्रताडित किया जाता है. बालकों की मासूमियत चेहरे पर झलकती रहे, इसलिए उन्हें बार-बार पीटकर रुलाया जाता है. जाहीर है नौनिहालों को रोता देख कोई भी द्रवित हो जाएगा. वह यथा योग्य दान भी दे देंगा. बालकों को भीख देना गलत नहीं है. लेकिन उन्हें नगद राशि न देकर खाद्य पदार्थ दिये जाए.
आम तौर पर भीख मांगने के लिए मजबूर करने वाले तत्व बालकों को घंटों भूखा रखते है. ऐसे में बालकों को यदि भोजन दिया जाए या खाद्य पदार्थ दिया जाए, तो उनके साथ न्याय होगा. इसी तरह पुलिस एवं अन्य प्रशासनिक विभागों को इस बारे में भी ध्यान रखना चाहिए कि, शहर में नये रुप से भीख मांगने के लिए किन बालकों का प्रयोग हो रहा है. आमतौर पर भीख में नगद राशि लेकर चले जाते है, लेकिन जब से इस तरह के तत्वों की जानकारी लोगों को मिलने लगी है, तो नागरिक ंसंगठनों में लोगों को यह आवाहन करना आरंभ कर दिया है कि, नौनिहालों को नगद रुप में भीख न दी जाए. सामाजिक संस्थाओं को चाहिए कि, वे स्वयं इस बात का पता करें कि, भीख मांगने वाले बालक कहीं से अपहृत तो नहीं किये गये है.
कुल मिलाकर औरंगाबाद की घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि, अनेक गिरोह नौनिहालों का बचपन छीन रहे है. उन्हेें भीख मांगने के लिए प्रताडित किया जाता है. कुछ स्थानों पर तो बालकों की मासूमियत अधिक दिखाई दे, इसलिए उनका अंग भंग भी किया जाता है. जरुरी है कि, इस तरह के तत्व पर रोक लगाई जाए. बीते दिनों एक सामाजिक संस्था ने सुझाव दिया था कि, भीख मांगने वालों के तथा कथित पालक एवं बालकों की डीएनए टेस्ट किया जाए, ताकि हकीकत पता चल सके. इस दिशा में सामान्य नागरिक को भी चाहिए कि, वे जहां भी इस तरह की संदिग्ध की स्थिति दिखाई देती है. वहां के बारे में पुलिस को सूचित करें, नौनिहालों का बचपन छिनना अत्यंत दुखद स्थिति है. इसलिए प्रशासन एवं नागरिकों को भी इस दिशा में चौकन्ना रहना होगा.