लेख

स्व. रामदासजी उर्फ नानासाहब धांडे को विनम्र श्रद्धांजलि

सुखी परिवार के जन्मे रामदासजी उर्फ नानासाहब धांडे का जन्म 9 नवंबर 1936 कोक हुआ. वे पंढरीनाथ धांडे के कनिष्ठ चिरंजीव थे. स्व. पंढरीनाथ धांडे उस समय के जमीनदार थे. महात्मा गांधी के आदर्श पर चलते उन्होंने मार्गक्रमण किया. नानासाहब की देश सेवा यह उनके खून में थी. बचपन से सामाजिक पहचान व ग्रामीण भागों के प्रश्नों पर उन्हें काम करना है, इसकी ओर लगन उनके पिता व बड़े भाई को अनेक बार दिखाई दी. दर्यापुर तहसील के वरुड में उन्होंने अपनी पढाई की. देश सेवा व मातृभूमि के प्रेम से समाजसेवा यह उनकी नस-नस में रही व ग्रामाीण भागों के प्रश्नों पर उन्होंने चिंतन किया व विकास किस तरह से होगा, इस पर अभ्यास किया. अगली पढ़ाई के लिए वे अमरावती आये व श्री शिवाजी महाविद्यालय अमरावती में शिक्षा ग्रहण की.
बड़े भाई श्री प्रल्हाद धांडे यह बालासाहब सांगलुदकर के प्रिय मित्र थे. बालासाहब जब बीमार हुए तब उन्होंने उनकी सेवा की. 1952 से उनका राजनीतिक सहभाग व रुचि बढ़ी. ग्रामीण भाग के युवकों की स्थिति व वहां का विकास करने के ध्येय से उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. राजनीतिक दृष्टि से वे समाज कार्य में सक्रिय रहे. किसी भी मदद हो उन्होंने उन्हें नहीं कहा नहीं. स्व. बालासाहब सांगलुदकर व स्व. कोकिलाताई गावंडे यह उनके राजकीय गुरु थे.
दरमियान के समय में श्री राम मेघे के साथ उनकी मित्रता हुई. मा. नानासाहब के साथ उनके 9 मित्र क्रमशः स्व. राम मेघे, स्व. प्रो. बाबुराव हिवसे, स्व. दिनकरराव देशमुख, स्व. सुरेन्द्र देशमुख, स्व. मुरलीधरराव देशमुख, स्व. पुंडलिकराव गोहाड, स्व. वसंतराव चौधरी, शशिकुमार देशमुख व शंकरराव काले ने एक साथ आकर विदर्भ के विशेषतः ग्रामीण भाग के युवकों के लिए उनकी पढ़ाई के लिए विदर्भ युथ वेलफेअर सोसाइटी की स्थापना की. 1965 में स्थापित की गई संस्थता के लिए आर्थिक व राजनीतिक बल देने का काम किया. आज विदर्भ युथ वेलफेअर सोसाइटी का वटवृक्ष संपूर्ण महाराष्ट्र में बड़े अभिमान से खड़ा होने के साथ ही एक गुणवंत दर्जे के शैक्षणिक दान देने का काम कर रहा है. इसमें अनेक स्कूल, महाविद्यालय, अभियांत्रिकी महाविद्यालय, दंत महाविद्यालय, फार्मसी महाविद्यालय, आश्रम शाला आदि का समावेश है. आज इस संस्था में 20,000 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
सर्वप्रथम उन्होंने येवदा सर्कल से कांग्रेस की उम्मीदवारी मांगी थी. लेकिन उस समय वे आरक्षित होने से उन्होंने बालासाहब शेलके की विनती पर सांगळुद जिला परिषद सर्कल से उम्मीदवारी ली व वे भारी वोटों से चुनकर आये. 05 वर्ष उन्होंने काफी विकास काम किए. ग्रामीण भागों में विकास काम किए. लोगों से प्रचंड जनसंपर्क निर्माण करते एख लोकप्रिय प्रतिनिधि के रुप में उनकी पहचान निर्माण हुई.
दूसरी बार 1977 में वे येवदा सर्कल से चुनकर आये. पश्चात उन्होंने जिला परिषद अध्यक्ष पद की कमान संभाली. उस समय की बात ही अलग थी और संपूर्ण वातावरण श्रीमती इंदिरा गांधी विरोधी था. इसी समय श्रीमती इंदिरा गांधी अमरावती को भेंट के लिए आयी, उस समय सभी उनके साथ सौख्य दिखाने में घबराते थे. मात्र नानासाहब ने श्रीमती इंदिरा गांधी को अपनी गाड़ी में बिठाकर संपूर्ण दौरा किया. इसके बाद उन्हें मध्यप्रदेश जाना था. तो नानासाहब ने श्रीमती इंदिरा गांधी को अपनी गाड़ी दी. उसी जिला परिषद अध्यक्ष पद के काल में उनकी प्रशासकीय वचक थी. उस समय वसंतदादा पाटील एवं शंकरराव चव्हाण यह क्रमशः मुख्यमंत्री थे. उनके साथ नानासाहब के मैत्रीपूर्वक संबंध थे. युवक कांग्रेस के मधुसूदन वैराले अध्यक्ष थे. उनके साथ उनके मैत्रीपूर्वक संबंध रहे थे.
* अत्यंत कर्तव्यदक्ष,अधिकारियों पर कटाक्ष,भ्रष्टाचार विरोधी, सर्व समावेशक,शिस्तप्रिय व प्रशासकीय पकड़
उनके अध्यक्ष पद के कार्यकाल में विधानसभा में उम्मीदवार चुनकर लाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था. संत गाड़गेबाबा व भाऊसाहब उपाख्य पंजाबराव देशमुख के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने कार्य किया. समय-समय पर उन्होंने पार्टी को बल देने का काम किया. उनके अनेक सहकारी उनके जाने से दुखी हुए हैं. उनके पुत्र डॉ. नितीन धांडे विदर्भ युथ वेलफेअर सोसाइटी, अमरावती के अध्यक्ष के रुप में कार्य अत्यंत कर्तव्यदक्षता से देख रहे हैं. उनके दामाद डॉ. गणेश पुंडकर अमरावती शहर के सुप्रसिद्ध अस्थिरोग तज्ञ हैं. कन्या उज्वल पुंडकर, वहीं उनके छोटे पुत्र प्रा. मिलिंद धांडे प्राध्यापक के रुप में अभियांत्रिकी महाविद्यालय में सेवारत हैं. नानासाहेब की पत्नी श्रीमती शालिनी धांडे ने उन्हें समर्थ रुप से साथ दिया. बहूएं डॉ. वैशाली नितीन धांडे व संध्या धांडे यह उच्च विद्याविभूषित होकर अलग-अलग क्षेत्र में उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है. उनके नाती डॉ. आर्यमन धांडे, डॉ. आदित्य गणेश पुंडकर, ऋृत्विक धांडे, नातन तेजस्विनी धांडे, श्वेतांबरी पुंडकर, राशी धांडे यह विविध क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही हैं.
ग्रामीण भागों में अपने शिस्तप्रिय कर्तृत्व की छाप छोड़ने वाले कर्तव्यदक्ष नानासाहब धांडे को विनम्र अभिवादन!

Related Articles

Back to top button