जनमानस की सेवा ही ईश्वर सेवा
आज अमरावती एसटी स्टैंड में गत पैंतीस वर्षों से अधिक समय तक दी जाने वाली एक अवलिया की निःशुल्क सेवा एवं सेवा भाव का अनुभव हुआ.श्रीमान गोपालदासजी राठी ओर उनके सहयोगियों के सहयोग से हो रहे कार्य को देखा तो में अचंभित रह गया… महान तपस्वी 1008 श्री संत सीतारामदास बाबा पानपोई के नाम से अत्यंत मशहूर ओर पवित्र जगह पर जाकर मन अत्यंत प्रसन्न हुआ. स्व. परम पूज्य बाबुजी श्री चुन्नीलालजी मंत्री द्वारा कुछ चुनिंदा लोगों साथ श्री गुरुदेव आशिर्वाद से शुरू की गई इस समाज सेवा की पहल को आज 35 साल हो गए हैं. इस पानपोई उपक्रम का डिजाइन बेहद खूबसूरत है और यह कार्य गुड़ी पड़वा से 3 जुलाई तक लगातार 100 दिनों तक यह चलता है.
पानपोई में लगभग सौ से अधिक मटके रांजण के रूप में रखे जाते हैं और उनमें चरण दर चरण पानी भरा जाता है. पानी को कपड़े की मदद से साफ करने के बाद, टैंक के माध्यम से चरण दर चरण ठंडा करने के बाद, पानी को अंततः वितरण टैंक में लाया जाता है और वहां से इसे हर राहगीर को गिलास के जरिए परोसा जाता है. खास बात यह है कि पानी को ठंडा करने के लिए किसी भी तरह से बर्फ का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
कोई भी आए और पानी पिए.. गिलास से पीने वाले का गिलास साफ करना और नए व्यक्ति को फिर से पानी पिलाकर तृप्त करने की दिनचर्या…
कुछ वरिष्ठ नागरिक, कुछ सामाजिक कार्यकर्ता और साथ ही समुदाय के कुछ व्यक्ति पूरे दिन मुफ्त जल वितरण सेवा प्रदान करते हैं.उनका समय बीतता है और सेवा भी हो जाती है.लोगों के चेहरे पर ठंडे पानी के पिने की खुशी अवर्णनीय है.अगर कोई बोतल में पानी मांगता तो वह तुरंत नरसाले से बोतल में पानी भर देता… अगर किसी के पास पानी के लिए बोतल नहीं होती तो यहां से नई बोतल मुफ्त में भर लेता है.
खास बात यह है कि जब भी किसी का जन्मदिन होता है तो लोग आते हैं, सेवा करते हैं और इस काम के लिए आर्थिक मदद भी करते हैं, कोई बाध्यता नहीं होती…हर दिन सीतारामजी बाबा की आरती होती है और फिर जो लोग प्रसाद देना चाहते हैं वे दान देते हैं.. कुछ बूंदी, शेव, खिचड़ी, बर्फी और भी बहुत कुछ प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.बस से उतरकर, बस में सफर कर रहे, सभी लोग, इस चिलचिलाती धूप में अपनी प्यास बुझा रहे हैं. अपना आशीर्वाद दें रहे है.
अत्यंत अनुशासित ढंग से चल रही यह गतिविधि निश्चित ही सराहनीय है. अब तो गर्मियां शुरू होते ही लोगों को इस स्टॉल का इंतजार रहता है.
आज मैंने भी इस सेवा भाव को देखा और उनके अनूठे कार्य के आगे नतमस्तक हुआ…
-संजयकुमार राठी,अमरावती