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१२ वर्षों से शिक्षकोें की समस्याएं सुलझाने में जुटे है शेखर भोयर

हमेशा कहा जाता है कि, शिक्षकों का कोई वाली नहीं, क्योकि सरकार, संस्थाध्यक्ष व मुख्याध्यापकों द्वारा शिक्षकों पर हमेशा ही अन्याय किया जाता है और उन्हें नाहक तकलीफें दी जाती है. सभी संस्थाध्यक्ष व मुख्याध्यापक ऐसे ही होते है, ऐसा भी नहीं है, लेकिन ऐसे मामले अधिकांश स्थानों पर घटित होते है. ऐसे समय कोई अपने पिछे हो और किसी का अपने को आधार हो, ऐसा सभी शिक्षकों को महसूस होता है. ऐसा आधार अब अन्यायग्रस्त शिक्षकों को शेखर भोयर के रूप में मिल गया है. शेखर भोयर नामक यह व्यक्ति विगत १२ वर्षों से शिक्षकों की समस्याओं को हल करने हेतु पूरी ईमानदारी के साथ काम कर रहा है और अपने पैरों में चक्री लगाकर शिक्षकों पर होनेवाले अन्याय को दूर करने के लिए अमरावती से मुंबई व पुणे के बीच लगातार चक्कर काट रहा है. अपने घर पर तुलसीपत्र रखकर शेखर भोयर विगत १२ वर्षों से केवल और केवल शिक्षकों के लिए काम कर रहे है. जिस तरह सहकार क्षेत्र में बैंकों की भलायी के लिए बेहद प्रामाणिक काम करनेवाले स्व. प्रा. संजय वानखडे सभी को परिचित है और उन्हें अपने आप में प्रामाणिकता का उदाहरण कहा जा सकता है.

ठीक उसी तरह शिक्षा क्षेत्र की समस्याओें को हल करने हेतु शेखर भोयर भी अपने आप में एक प्रामाणिक उदाहरण कहा जा सकता है. शेखर भोयर के पास शिक्षा क्षेत्र का इतना गहन अध्ययन है कि, वे इस मसले पर अन्य सभी प्रत्याशियों के साथ डिबेट करने के लिए भी तैयार है और उन्होंने इसे लेकर एक पत्रकार परिषद के जरिये चुनौती भी दी है. लेकिन उनकी इस चुनौती को स्वीकार करने की बजाय अन्य प्रत्याशियों द्वारा उनकी शैक्षणिक योग्यता को लेकर व्यक्तिगत स्तर पर छिटाकशी करनी शुरू की गई है और उनके कामोें की अनदेखी करते हुए उनकी शैक्षणिक योग्यता पर उंगली उठाने के साथ ही कहा जा रहा है कि, वे शिक्षक नहीं है, लेकिन ऐसे आरोप लगानेवाले लोग भूल गये कि, किसी समय कम पढे-लिखे स्व. वसंतदादा पाटिल महाराष्ट्र के सबसे सफल मुख्यमंत्री रहे, और केंद्रीय मंत्री रहनेवाली स्मृति ईरानी भी कम पढी-लिखी है. ऐसे और कई उदाहरण भी दिये जा सकते है.

जहां तक शेखर भोयर के शिक्षक नहीं रहने का मसला है, तो इससे पहले पेशे से शिक्षक रहनेवाले शिक्षक विधायकों ने कौन से दीये लगा दिये, यह अलग से बताने की जरूरत नहीं है. उच्च शिक्षित व शिक्षक रहनेवाले विधायकों ने विधान परिषद में प्रश्न न प्रस्तुत करते हुए अब तक शिक्षकों पर लगातार अन्याय ही किया है. ऐसे में अब अमरावती संभाग के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में युवा, अध्ययनशील व संघर्ष करनेवाला प्रत्याशी ही शिक्षक विधायक निर्वाचित होना चाहिए. ऐसी भावना संभाग के सभी शिक्षकों में देखी जा रही है और सभी शिक्षक शेखर भोयर के रूप में इन कसौटियों पर अपने शिक्षक विधायक को देख रहे है. ऐसे में संभाग के सभी शिक्षकों ने खुद को प्राप्त अवसर का सार्थक उपयोग करते हुए शेखर भोयर के पक्ष में अपनी पहली पसंद का मतदान करना चाहिए और उन्हें प्रचंड बहुमत से विजयी करते हुए संभाग का शिक्षक विधायक चुनना चाहिए.
– अतुल ठाकरे अमरावती. मो. नं. ७७९८६५०७६६

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