बचाव का कवच टीकाकरण
सरकार की ओर से राज्य में लॉकडाउन में अनेक शिथिलताए मिली है. जिसके अंतर्गत लगभग सभी व्यापारी प्रतिष्ठान आरंभ करने की अनुमति दी गई है. एक निर्धारित समय के बीच प्रतिष्ठान संचालको को अपना कारोबार करने की अनुमति मिली है. निश्चित रूप से इससे जहां व्यापार क्षेत्र को आधार मिलेगा. वहीं पर अर्थचक्र को भी गतिशील होने में सहायता मिलेगी. कोरोना की पहली लहर के बाद एक बार सब कुछ सामान्य होने लगा था. वहीं पर दूसरी लहर का कहर बरपा व पूरे राज्य को लॉकडाउन तथा कडे निर्बंधों की पीडा सहनी पडी. इससे अनेक लोगों के रोजगार चले गये तो अनेक लोगों पर भुखमरी की नौबत भी आ गई थी. अब अनेक निर्बंध शिथिल हुए है तथा लॉकडाउन की त्रासदी भी काफी हद तक कम हो गई है. इसके चलते लोगों ने अपने व्यापार पर ध्यान देना आरंभ कर दिया है. हालाकि लॉकडाउन के कारण अनेक लोगों को भारी नुकसान का सामना करना पडा है.लेकिन राज्य के अब निर्बंध शिथिल हो गये है. जिससे लोगों को राहत मिल रही है. सरकार की ओर से लॉकडाउन के प्रतिबंध हटाने पर लोग मानो खुली हवा मेें श्वास ले रहे है. लेकिन यह स्थिति कब तक कायम रहेगी इस पर भी ध्यान देना जरूरी है. यदि अनलॉक प्रक्रिया के दौरान लोगों द्वारा योग्य संयम नहीं बरता जाता है तो बीमारी को पनपने का अवसर मिलेगा. जिसके बाद फिर से प्रतिबधों की जंजीरे और भी गहरी हो जायेगी. इसलिए सभी को चाहिए कि अभी से ही सभी लोग कोरोना संक्रमण रोकने संबंधी सरकारी गाइड लाईन का पालन करे. खासकर त्रिसूत्री कार्य जारी रखे. इससे बीमारी को रोक के साथ साथ आनेवाले समय में लोगों को बचाव का अवसर मिलेगा.
कोरोना रोकने के लिए कारगर उपाय के रूप में टीकाकरण बहुत जरूरी है. लेकिन पाया जा रहा है कि टीकाकरण के बारे में लोगों में अभी भी भ्रम है तथा सरकार की ओर से भी लोगों का यह भ्रम दूर करने के लिए प्रयास आरंभ कर दिए गये है. अब सरकार व प्रशासन को चाहिए कि जिन लोगों का टीकाकरण के दौरान पहले चरण का टीका हो चुका है उन्हें दूसरे चरण का टीका देने के लिए कार्य करे. अनेक बार पाया जा रहा है कि टीकाकरण केन्द्र पर लंबी कतारे लग जाती है. टीके की संख्या कम रहने के कारण यह स्थिति निर्माण हो रही है. खासकर कोविशील्ड का टीका अधिकांश स्थानों पर उपलब्ध है. पर को-वैक्सीन का टीका अनेक स्थानों पर पर्याप्त मात्रा में नहीं आ रहा है. इसलिए सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि कोविशील्ड का दूसरा टीका उपलब्ध है या कोवैक्सीन के दूसरे टीके में कितना अंतर रखा जा सकता है. इसकी जानकारी देना जरूरी है तथा यह टीका किस तरह लाभ पहुुंचायेगा इस बारे में भी मार्गदर्शन होना चाहिए. यदि टीकाकरण का अभियान को गतिशील करना है तो इसमें जनसामान्य की सहभागिता भी लेनी होगी. प्रशासन की ओर से लोगों को टीके के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है. टीका केन्द्रों पर सारी व्यवस्थाएं की जा रही है. यहा तक की बुजुर्ग एवं दिव्यांगों को टीकाकरण के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. उनके लिए रिक्षा चालको को भी राजी कर लिया गया है जो बुजुर्गो को स्वास्थ्य केन्द्र जाकर उन्हें टीका दिलाना और बाद में उन्हें घर पहुंचाने तक का कार्य किया जा रहा है. इसलिए नागरिको को भी सजग होकर टीकाकरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना जरूरी है. यदि टीकाकरण सभी लोगों का हुआ है तो इसका असर बीमारी रोकने के लिए किया जा सकता है. टीकाकरण के इस दौर में यदि सरकारी अस्पतालों में टीके दे पाना संभव न हो तो निजी अस्पतालों में इसकी व्यवस्था की जाए. पहले डोज के दौरान अनेक निजी अस्पतालों में व्यवस्था थी. लेकिन इस बार सरकार स्वयं उन मरीजों की चिंता कर रही है. लेकिन इसके साथ यह भी जरूरी है कि जगह-जगह फलक लगाकर सरकार जो लोग टीका लेने से घबरा रहे है. उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए उन्हें आशावादी समाचार देना जरूरी है.
कुल मिलाकर कडे निर्बंधों में शिथिलता भले ही मिल रही है. लेकिन बीमारी का खतरा अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है. इसी के साथ दूसरी अन्य बीमारियां भी अपना असर दिखा रही है. इसलिए नागरिको को सजग रहना होगा. जो लोग टीकाकरण के दोनों डोज ले चुके है. उन्हें छोडकर जिनके एक डोज बाकी है उनके लिए स्वतंत्र व्यवस्था की जानी चाहिए. उन्हें टीके कम न पडे इस बारे में पूरा ध्यान रखा जाना आवश्यक है. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका भी जताई जा रही है. यदि हर कोई टीकाकरण केन्द्र पर जाकर टीके के दोनों डोज लेते है तो उन्हें संक्रमण का खतरा नही रहता. अभी तीसरी लहर के बारे में अनेक मत व्यक्त किए जा रहे है. यदि लोगों का टीकाकरण पूर्ण है तो तीसरी लहर को भी मात दी जा सकती है. अभिप्राय यह लॉकडाउन के निर्बंध शिथिल होने के साथ यदि टीकाकरण अभियान को गतिशील किया जाए तो तीसरी लहर से बचा जा सकता है.