लेख

जन्मदिन पर विशेष

जुनूनी व्यक्तित्व के परिचायक डॉ. राधेश्याम चांडक

अमरावती में सर्ङ्घपरिचित व्यक्तित्व के रुप में जानेमाने समाजशील डॉ. राधेश्याम चांडक का 75 वर्ष आयु पूर्ण होने पर आज 30 मई को स्थानीय संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भङ्घन में अमृत महोत्सव समारोह का आयोजन किया गया. राधेश्याम विगत 40 वर्षों से परिचित हैं. किंतु हर दिन 18 घंटे कार्यरत रहने वाले राधेश्याम आज भी इतने ही ऊर्जावान है कि वे सचमुच 75 वर्ष के हो गए हैं, यह वस्तुस्थिति होकर भी विश्वास नहीं होता. डॉ. चांडक शिक्षा प्राप्त करने में अत्यंत मेधावी सिद्ध हुए हैं. चिकित्सा क्षेत्र में चिकित्सक उपाधि प्राप्त राधेश्याम बीई, एलएलबी, डीबीएम, रेकी तज्ञ, सफल पत्रकार, इंशुरंस वैल्यूअर, कृषि तज्ञ आदि अनेक विषयों में पारंगत है. साथ-साथ जय मंगल कार्यालय के संचालक, प्रख्यात महेश अर्बन सोसाइटी के अध्यक्ष के रुप में कार्यरत हैं. धार्मिक मूल्यों में आस्था होने से ब्रह्मलीन संत नरसिंगदासजी की इच्छानुसार प्रख्यात विजय संकटमोचन हनुमान मंदिर में द्वारिकाधाम भी राधेश्यामजी ने निर्मित किया. अपने निजी धर्म का निर्वहन करते हुए डॉ. चांडक ने सर्वधर्म समभाव के रुप में लोणटेक गांव में सूर्यप्रकाश से स्वास्थ्य चिकित्सा हेतु भव्य सूर्यधाम स्थापित किया, उनका मानना है कि सूर्यदेव हिंदूओं का सूरज, मुस्लिमों का आफताब और ईसाइयों का सन है. और बिना किसी पक्षपात के सभी को प्रकाश, उष्मा, वर्षा, विटामिन डी और स्वच्छता देता है. अर्थात सभी धर्मों के समन्वय का द्योतक भगवान और ऊर्जा केंद्र है. संपूर्ण विदर्भ में एकमेव अद्वितीय सूर्यधाम के प्रेरक डॉ. राधेश्याम चांडक द्वारा निर्मित सूर्यधाम विधर्भ का विशेष श्रद्धास्थल बन चुका है. अनेकानेक कार्यों के उत्प्रेरक राधेश्याम चांडक मूलतः समाजसेवी होने से उन्होंने अमरावती जिला विकास मंच नामक सामाजिक संस्था निर्माण कर कई भ्रष्टाचारी अधिकारियों को दंड-सजा दिलवाई. जिनमें सिविल सर्जन, कार्यकारी अभियंता और सूचना उपसंचालक जैसे प्रथम श्रेणी के अधिकारी भी दंडित हुए. आयुष्यमान भव संस्था उज्जैन केतालियों के तज्ञ अरुण ऋषि स्वर्गीय के निरोगी जीवन कार्यशाला के आयोजन संपूर्ण विदर्भ तथा विदेश में बैकॉक में आयोजित कर डॉ. चांडक ने नव इतिहास निर्माण किया. बहुआयामी व्यक्तित्व के डॉ. चांडक संत तुलसीदास के श्रीरामचरित मानस के ज्ञाता और अभ्यासक एवं ओशो साहित्य के विलक्षण स्नेही हैं. ओशो साहित्य की उनकी लाइब्रेरी अनुठी है. ओशो सत्संगती और ध्यान शिविर भी उन्होंने संचालित किए हैं. डॉ. राधेश्याम चांडक सभी की खुशियों में सहभागी होते हैं. लेकिन स्वयं के लिए किसी और को तो छोड़ो अपने परिवार को भी कष्ट नहीं देते. एस स्मरण आता है कि एक बार वे यात्रा पर जा रहा हूं, कह कर घर से गए और पूजा जाकर ऑपरेशन करवा के स्वस्थ होने के बाद घर लौटे और कहा बताकर जाता तो सभी चिंतित होते डॉ. चांडक इतने क्रियाशील व्यक्ति हैं कि वे कल का कार्य आज और अभी कर डालते हैं. आज से 25 वर्ष पूर्व 9 वर्षीय बाल रामकथाकार सुश्री मंगलेश्वरी देवी का 9 दिवसीय प्रवचन राधेश्यामजी ने आयोजित करवाया था. जिसे अमरावती वासी आज भी याद करते हैं. डॉ. चांडक की सुशील पत्नी सौ. प्रमिलादेवी एवं सुविद्य पुत्री शीतल राठी और दो सुपुत्र नागपुर निवासी संदीप एवं एड. प्रदीप एवं नाती-पोेते से भरापूरा परिवार हैं. 75 वर्षीय डॉ. चांडक विगत 40-50 वर्षों से युवाओं की तरह सक्रिय हैं. यह देखकर निश्चित ही लगता है मानो सूर्ज जैसे नित्य सक्रिय राधेश्यामजी की 100 वां जन्मदिन भी हम 30 मई 2047 को निश्चित ही मनाएंगे.
शुभाकांक्षी
– दयालनाथ मिश्रा, मो. नं. 9970059909

Related Articles

Back to top button