मानवीय व्यापार रोकने के लिए कडे कदम जरूरी
राज्य में हो रहे अनैतिक मानवीय व्यापार पर पाबंदी के लिए सरकार की ओर से कडे कदम उठाए जायेंगे. इसके लिए सरकार सख्त से सख्त उपाय योजना बना रही है. यह जानकारी राज्य के महिला एवं बालविकास मंत्रालय की ओर से आयोजित समीक्षा बैठक में दी गई. स्पष्ट है कि अब मानवीय व्यापार चरम पर पहुंच गया है. आए दिन बालको का गुमशुदा होना, अनेक नाबालिगों का लापता होना सहित ऐसी अनेक वारदातें रोजाना कहीं न कहीं सुनाई पडती है. यदि किसी को अगवा किया गया है तो वह कहीं न कहीं मिलना चाहिए. लेकिन पाया जा रहा है कि एक बार गुमशुदा हुए बालक-बालिकाओं का पता नहीं चल पाता. नतीजतन वे कहा गायब हो गये. इसकी खोज अभी भी जारी है. हाल ही में वडाली परिसर में चार बालको के लापता होने की घटना हुई है. निश्चित रूप से इस तरह की घटनाएं तब तक होती रहेगी. जब तक अवैध रूप से होनेवाले मानवी व्यवसाय जारी रहेगा. इसलिए मानवीय व्यवसाय को रोकने के लिए पहल की जानी चाहिए.
पुलिस की ओर से गुमशुदा बालको को खोजने व उनके परिजनों तक पहुुंचाने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से ऑपरेशन मुस्कान जारी किया गया है. इस अभियान को कुछ हद तक सफलता भी मिली है.बच्चों को उनके अभिभावको तक पहुंचाने का कार्य भी किया गया है. जो निराश्रित बालक है उन्हें बालसुधारगृह में रखा गया है. जहां उनके भोजन, कपड़े, निवास के अलावा शिक्षा की व्यवस्था की गई है. १ मई से ३०जून के बीच बालको को तलाशने क मुहीम छेड़ी गई थी. ऑपरेशन मुस्कान के दल ने वर्ष २०१९ में ६३, वर्ष २०२० में ६७ तथा वर्ष २०२१ में ८ बालको को तलाशा.निश्चित रूप से बालको का अपहरण कर उनसे गलत कार्य करवानेवाले तत्व आज भी सक्रिय है. इसके लिए जरूरी है कि ऑपरेशन मुस्कान जैसे अभियान निरंतर जारी रखे जाए.
आमतौर पर लापता बालको को खोज निकालने के बाद बालको को उनके परिजनों तक पहुंचाने का कार्य किया जाता है. लेकिन जिन तत्वों के कारण बालको का अपहरण हुआ है या उन्हें बहला फुसलाकर गलत क्षेत्र में लाया जाता है. उन्हें गिरफ्तार किए जाने की जानकारी सामने नहीं आ पाती. इसलिए जरूरी है कि जो तत्व बालको को अगवा करते है. उनका भी पता लगाया जाना चाहिए. बालको से पूरी जानकारी हासिल कर उन्हें किस तरह परिजन से दूर लाया गया. इस बात की भी जानकारी हासिल करना जरूरी है ताकि पालको को ऐसी कथाओं के माध्यम से सजग किया जा सके. मानवीय व्यापार अब दिनों दिन बढने लगा है. इसमें अनेक नौनिहालों का बचपन छीन उठता है. अनेक बालक अपने परिजनों से दूर हो जाते है जबकि बालको को अगवा करनेवाले गिरोह के बारे में भी पूरी जानकारी हासिल करना जरूरी है.
कुल मिलाकर राज्य में बढते मानवीय व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए अथवा उसे पूरी तरह समाप्त करने के लिए जरूरी है कि ऐसे मामलों को प्राथमिकता से खोजा जाए. खासकर सड़क के चौराहों पर जो बालक भीख मांगते है. उनके बारे में पता करना जरूरी है. जो लोग अपने आपको को ऐसे बालको का पालक बताते है उनका डीएनए टेस्ट कर यह पता किया जाए कि जिन बालको को लाया गया है वे सचमुच घुमंतुओं के बालक है ? जरूरी है कि ऐसे मामलों के लिए सरकार स्वतंत्र दल निर्मित करे व हर शहर में चौराहों, मंदिरों आदि में भीख मांगते बालको का पता करे. उनकी सर्वांगीण जांच कर उन्हें अपने परिजनों के पास पहुंचाने का कार्य करे तथा जो लोग मानवीय व्यापार में लिप्त है उन्हें योग्य दंड दिया जाए. यदि ऐसा किया जाता है तो निश्चित रूप से मानवीय व्यापार पर रोक लगेगी. २१ वीं सदी में अनेक उपलब्धियां हासिल की जा रही है. लेकिन आज भी मानवीय व्यापार के माध्यम से गुलामी प्रथा जारी है. ऐसे चित्र बदलने के लिए अति आवश्यक है कि प्रशासन सड़क के चौराहों पर भीख मांगनेवाले बालको के बारे मेें पूरी जानकारी निकाले. यदि उन्हें कहीं से अगवा कर लाया गया है तो उनके परिजन तक पहुंचाने की व्यवस्था करे जिससे मानवीय व्यापार पर अंकुश लग सके.