लेख

गायों की सेवा के लिए सतत प्रयत्नशील सुदर्शनभाऊ गांग

‘जब तक गाय तडपती रहेगी, दुनिया तडपती रहेगी. गाय के बचने पर ही विश्व बच सकता है. विश्व में जितने मनुष्य हैं, उतनी गायों की जरूरत है, अन्यथा जितनी गायें होंगी उतने ही मनुष्य रह जायेंगे. जब गाय खुशहाल होगी, विश्व में कोई महामारी नहीं होगी’. मां कनकेश्वरी देवी के इन वचनों के अनुसार सुदर्शनभाऊ गांग गायों की सेवा के लिए सदैव प्रयासरत हैं. नांदुरा के गोकुलम गौशाला को सुदर्शनभाऊ गांग ने गौसेवा के लिए अपना केंद्र बिंदु बना लिया है. वे अपने अग्रज-अनुज, पुरजन-परिजन के साथ अक्सर गोकुलम पहुंच जाते हैं और वहां की गायों की सेवा सुश्रृषा देखकर न केवल अभिभूत होते हैं बल्कि सहयोग के लिए अपने हाथ खुले कर देते हैं. अपने परिवार में किसी का जन्मदिन हो या अन्य आनंद का अवसर वे गोकुलम की ओर निकल पडते हैं और गायों संग कुछ क्षण बिताकर वहां के वातावरण को भी खुशगवार बना देते हैं. दो वर्ष पूर्व मां कनकेश्वरी देवी जी को वे ही आग्रह पूर्वक गोकुलम ले गये थे. वहां गायों की सेवा सुश्रृषा देखकर मां बडी प्रसन्न हुई थी. उन्होंने वहीं पर घोषणा कर दी थी कि अमरावती में आयोजीत शिव महापुराण कथा के माध्यम से गोकुलम को सहयोग दिया जायेगा. करीबन 6 लाख रूपये शिव महापुराण कथा के माध्यम से गोकुलम को गायों की सेवा सुश्रृषा के लिए दिये गये. इसमें मां की गायों के प्रति उदारवृत्ति के साथ ही साथ सुदर्शनभाऊ गांग की संवेदनशिलता के भी दर्शन होते हैं. इसमें अपने नाम की सुदर्शनभाऊ को तनिक भी चाह नहीं. बस गायों की सेवा हो जाये यही वे चाहते हैं. इसके साथ ही साथ दीन-दुर्बल एवं दिव्यांगों की मदद के लिए उनका हाथ सदैव खुला रहता है.
अस्पताल में किसी का इलाज चल रहा है पर दवाईयोें के लिए पैसे नहीं है, विद्यार्थी होनहार है पर फीस नहीं भर पा रहा है, ऐसी स्थिति में सुदर्शनभाऊ मदद के लिए दौड पडते है. मां कनकेश्वरी देवी जन कल्याण ट्रस्ट के माध्यम से सुदर्शनभाऊ भरपूर मदद कार्य करते रहते हैं. अध्यात्मिक जगत में सुदर्शनभाऊ की भूमिका बेहतरीन है. छोटे-बडे सबको साथ लेकर अपने आनंद को द्विगुणित करने का हुनर उन्हीं से सीखा जा सकता है. अभिनंदन बैंक के संचालक पद का गौरव उन्होंने बढा दिया है. गोविंद कासट मित्र मंडली में उनकी उपस्थिति सोहनी है. पानी फाउंडेशन के माध्यम से उनका कार्य महाराष्ट्र में अकाल को सुकाल बनाने के लिए पर्याप्त है. वे शांत हैं, विनम्र हैं, संवेदनशील हैं. सबको साथ लेकर चलने में उनका विश्वास है. समाज में उनकी प्रतिष्ठा है. उनका संपूर्ण व्यक्तित्व औरों के लिए आदर्श और उत्प्रेरक है. हमें ऐसे कोहिनूरों को परखना होगा. इनका महिमा मंडन समय की मांग है. बिरले होते हैं ऐसे लोग. इतिहास बनाते हैं ऐसे लोग. 2 फरवरी जन्मदिन पर हार्दिक अभिनंदन.
– प्रा. बाबा राऊत

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