जरुर, दाल में कुछ काला है
बिहार चुनाव से पूर्व मुंबई में सुशांतसिंग आत्महत्या मामला गूंजा. सीबीआय व्दारा मामला हाथ में लेने के बाद इस मामले में एनसीबी ने मामला हाथ में लिया. मुंबई पुलिस ने मामले को ठिक से नहीं संभाला. उन्होंने योग्य रुप से जांच नहीं की, ऐसा आरोप उस समय राज्य के बडे विरोधी नेताओं ने लगाया. अभिनेत्री कंगना से लेकर तो बिहार के पुलिस महासंचालक ने भी इस मामले में हाथा धो लिए. उस समय भी मैने ‘कंगनाचा बोलविता धनी कोण’ यह लेख लिखा था. आज उस मामले का क्या हुआ? सुशांतसिंग की हत्या या आत्महत्या? इस विषयों का खुलासा नहीं हुआ. न्यायालय में सुशांतसिंग मामले का केस कहां है, इसका कुछ पता नहीं है.
अब उत्तर प्रदेश के चुनाव होने वाले हैं. अनेकों बार प्रयास करने के बाद भी महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी सरकार नहीं गिर सकी. जिसके कारण अनेक लोग चिंताग्रस्त हैं. अब आर्यन खान मामला शुरु किया गया है. आर्यन खान कौन है? वह एक बडी सेलिब्रिटी का पुत्र है क्या? यह मेरे लिखने का उद्देश्य नहीं है. आज के युवा नशीले, क्रिकेट सट्टा इस प्रकार के अवैध शौक में जकडे हुए होंगे, ऐसे में इस युवा पीढी को इससे परावृत्त करके युवा पीढी को बचाना आवश्यक है, किंतु जिस पध्दति से आर्यन खान ड्रग्ज मामला घटा, उसे देखकर ही ऐसा लगता है ‘जरुर, दाल में कुछ काला है.’
गोवा जानेवाले क्रूज में यदि ड्रग्ज थे, तो आरोपियों की वैद्यकीय जांच क्यों नहीं की गई. यहां से लेकर तो एनसीबी ने गोसावी जैसे अपराधी को गवाह के रुप में क्यों साथ लिया, इसके सहित अनेक प्रश्न भी नागरिकों के समक्ष हैं. इस मामले में अब एनसीबी प्रमुख वानखडे को लपेटा जा रहा है. इसलिए इस मामले में लगता है काफी कुछ काला-पिला है.
देशभर में अनेक स्थानों पर ड्रग्ज पकडे गए हैं. अन्य भी अनेक अपराध अनेक राज्यों में होते रहते हैं, किंतु उन मामलों का ना तो माध्यम डंका बजाते हैं, ना ही उन राज्यों की सरकार अथवा विरोधी दल भी कुछ करते दिखाई नहीं देते. महाराष्ट्र में मात्र प्रत्येक मामले की अतिशयोक्ति की जाती है. ऐसे क्यों? तो जरुर, दाल में कुछ काला है.
– अनंत गुढे,
पूर्व सांसद तथा संपर्क प्रमुख, शिवसेना