सच्चे दोस्त की पहचान…
जीवन को बेहतर और सुखद बनाने के लिए हमें कई प्रकार की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और हर प्रकार की परिस्थितियों में एक व्यक्ति जो आपके साथ खडा रहता है, वहीं सच्चा मित्र कहलाता है.
जीवन में हर किसी व्यक्ति के कई सारे मित्र होते है. मित्रता एक प्रकार का ऐसा रिश्ता है, जिसमें दोनों व्यक्ति बिना किसी स्वार्थ के एक-दूसरे की मदद करते है. एक सच्चे मित्र के साथ हर प्रकार की बात साझा की जा सकती है. मित्र वह व्यक्ति होता है, जो बिना किसी स्वार्थ के जरुरत पड़ने पर हमेशा सहायता करने के लिए तत्पर हो. मित्रता उन्हीं लोगों के बीच लंबे समय तक रहती है, जो लोग बिना किसी स्वार्थ के एक दूसरे की सहायता करते हैं. साथ ही किसी भी परिस्थिति में उचित सलाह देने वाला एक सच्चा मित्र होता है. यह मित्रता एक प्रकार की सच्ची मित्रता कहलाती है. इस दुनिया में हजारों प्रकार के मित्र आपको मिल जाएंगे, लेकिन सच्चे मित्र को ढूंढना काफी मुश्किल है.
संस्कृत में एक वाक्य है “संगती संघ: दोषा:” मतलब मित्र की संगती का मनुष्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है. इस कारण हमें सोच समझ कर, अच्छे संस्कार वाले व्यक्ति से ही मित्रता करनी चाहिए. अच्छे मित्र की संगती में मनुष्य अच्छा बनता है और बुरे की संगती में बुरा बनता है. सच्चे और अच्छे मित्र मुश्किल से मिलते है. सुदामा और कृष्ण की मित्रता, सच्ची मित्रता का उदाहरण है. सच्चा मित्र दुख सुख का साथी होता है और सदैव हमें गलत काम करने से रोकता है.
मित्रों में आपस में पारस्परिक सहयोग की भावना होनी चाहिए. मित्रता हमेशा बनी रहे, इसके लिए हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए. जिस प्रकार पौधे को जीवित रखने के लिए, खाद और पानी की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मित्रता को बरकरार रखने के लिए सहयोग और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है. मित्रता में संदेह का स्थान नहीं होता है.
सच्चा मित्र कभी भी मतलबी नहीं होता. बहुत से दोस्त ऐसे होते है जो अपने मतलब के लिए दोस्त को नुकसान पहुंचाते है लेकिन एक सच्चा मित्र कभी भी अपने फायदे के लिए अपने मित्र को नुकसान नहीं पहुंचाता. सच्चा मित्र तो ऐसा होता है कि भले ही उसके साथ कुछ अच्छा ना हो लेकिन अपने दोस्त के साथ वह बहुत कुछ अच्छा करता है. यहीं एक सच्चे मित्र की पहचान होती है. एक सच्चा मित्र अपने साथ सिर्फ टाइमपास के लिए दोस्ती नहीं करता हैं. वह अपने दोस्त के लिए दोस्ती रखता है. बहुत से मित्र ऐसे होते है जो सिर्फ समय गुजारने के लिए यानि सिर्फ टाइमपास के लिए अपने दोस्तों से मित्रता रखते है और जब उनका टाइमपास करने के लिए कोई और व्यक्ति मिल जाता है तो वह उससे दोस्ती तोड़ देते हैं. इस तरह के दोस्त कभी भी सच्चे मित्र नहीं होते. एक सच्चा मित्र कभी भी अपने मित्र की पीठ पीछे बुराई नहीं करता, आज के जमाने में अक्सर देखा जाता है कि, बहुत से मित्र ऐसे होते है, जो अपने फायदे या सिर्फ मनोरंजन के लिए अपने मित्र की पीठ पीछे से बुराई करते है. ऐसे मित्र से तो दुश्मन ही अच्छे होेते हैं. एक सच्चा मित्र कभी भी अपने मित्र की पीठ पीछे बुराई नहीं करता. अगर उसके दोस्त में कोई बुराई होती है, तो वह बुराई अपने दोस्त को सामने बताता है और अपने दोस्त से उस कमी को दूर करने के लिए कहता है.
मित्रता एक प्रकार का पवित्र रिश्ता होता है. इस रिश्ते को कभी भी पैसों में नहीं तोला जा सकता है. मित्रता एक ऐसा अनुठा पवित्र बंधन है. जिसमें दोनों सुचारु रुप से चलने में सहायता करते हैं. इसीलिए हमारे जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है.
– हिमांशु अजय तराले,
मधुराषिश कालोनी अमरावती.