लेख

समाज का समग्र विकास ही हमारा मुख्य लक्ष्य

माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति आज से करीब पांच हजार वर्ष पहले स्वयं देवाधिदेव श्री महेश भगवान द्वारा की गई थी और माहेश्वरी समाज द्वारा विगत पांच हजार वर्षों से अपनी परंपराओं का पालन किया जा रहा है. करीब 100 से अधिक वर्ष पहले माहेश्वरी समाज में माहेश्वरी पंचायत की स्थापना हुई और हमारे पुर्वर्जों ने जिस उद्देश्य व संकल्पना के साथ माहेश्वरी पंचायत का गठन करने के साथ ही इसका जतन किया, उन्हीं उद्देशों पर माहेश्वरी पंचायत द्वारा आज भी कार्य किया जा रहा है. यहीं हमारे संगठन और समाज की सफलता की सबसे मजबूत नीव भी है. अमूमन ऐसा होता है कि, जिन उद्देशों को लेकर संगठनों की स्थापना होती है, बदलते वक्त के साथ और लगातार बदलते नेतृत्व की वजह से संगठन अपने मूल उद्देशों से भटक जाता है. परंतू माहेश्वरी पंचायत के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ और आगे भी नहीं होगा. क्योंकि माहेश्वरी पंचायत अब माहेश्वरी समाज के लिए महज एक संगठन या संस्था नहीं है, बल्कि एक ऐसी पंचायत है, जिसके द्वारा समाज हित में लिये गये हर फैसले व निर्णय को माहेश्वरी समाजबंधुओं द्वारा पत्थर की लकीर समझकर स्वीकार किया जाता है और पंचायत के फैसले का सभी समाजबंधुओं द्वारा पूरी तरह से सम्मान किया जाता है.
यूूं तो माहेश्वरी पंचायत की स्थापना 100 वर्ष से भी अधिक समय पहले हुई थी और उस दौर में बेहद सीमित परिवारवाले इस समाज को संगठित रखने की दृष्टि से उस दौर के गणमान्यों ने माहेश्वरी पंचायत की स्थापना की थी. लेकिन इसे सरकारी व प्रशासनिक स्तर पर प्रत्यक्ष मान्यता वर्ष 1962 में मिली. जब राज्य सरकार के सोसायटी एक्ट के तहत तत्कालीन माहेश्वरी समाज बंधुओं ने इसे अधिकृत रूप से पंजीकृत कराया और तब से माहेश्वरी पंचायत के एक स्वतंत्र संगठन के तौर पर अधिकृत मान्यता प्राप्त हुई और उस समय के अध्यक्ष ने माहेश्वरी पंचायत के लिए एक नियमावली तैयार की थी. जिसके अनुसार माहेश्वरी समाज को जो व्यक्ति विवाहित है अथवा जिसकी उम्र 30 साल या उससे अधिक है, केवल वहीं व्यक्ति माहेश्वरी पंचायत का आजीवन सदस्य बन सकता है. इस समय अमरावती शहर में माहेश्वरी समाज के 2 हजार 500 परिवार है. जिनके 2200 सदस्य माहेश्वरी पंचायत में आजीवन सदस्य के तौर पर पंजीकृत है. इसके अलावा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, सहसचिव, मंदिर सहसचिव तथा 10 सदस्यों की कार्यकारिणी तय की गई है. जिसमें समाजबंधुओं का चयन पारदर्शक पध्दति से होनेवाले चुनाव के माध्यम से किया जाता है. इसकी एक नीतिगत प्रक्रिया होती है. उल्लेखनीय है कि, वर्ष 1962 में केवल 75 समाजबंधुओं के साथ इस संस्था को पंजीकृत किया गया था और उस समय माहेश्वरी पंचायत की नीव धनराज लेन स्थित 122 वर्ष पुराने राधाकृष्ण मंदिर में रखी गई थी. यह पुरानी अमरावती, जो उस समय एक गांव की तरह था, में स्थित मंदिर था. जहां पर सभी माहेश्वरी समाजबंधु अपनी सेवा देने हेतु आते थे. इसी मंदिर में समाज को धीरे-धीरे एकत्रित करते हुए एक छत के नीचे लाने का मानस लेकर उस दौर के माहेश्वरी समाजबंधुओं ने माहेश्वरी पंचायत स्थापित करने का निर्णय लिया, ताकि सभी समाजबंधू एक-दूसरे को सुख-दुख की घडी में साथ दे सके.
माहेश्वरी पंचायत ने समाजोपयोगी, धर्मोपयोगी व शिक्षोपयोगी कार्यों की शैली को समय की जरूरत के अनुसार तय किया जाता था. आज के दौर में शिक्षा व स्वास्थ्य इन मुलभुत सुविधाओं के लिए धन व सेवा की आवश्यकता होती है. उस दौर में शायद जरूरतें कुछ और थी. ऐसे में अलग-अलग दौर की जरूरतों के हिसाब से माहेश्वरी पंचायत का काम चलता रहा. परंतू दौर चाहे जो भी रहा हो, माहेश्वरी समाज ने अपने संस्कारों और परंपराओं की कभी अनदेखी नहीं की. साथ ही हम अपने वंशोत्पत्ति दिवस को भी हमेशा याद रखते है. जिसे हर दौर में बडे ही उत्साह, उमंग व धूमधाम के साथ मनाया जाता है.
माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति पांच हजार साल पहले हुई थी और तब से ही माहेश्वरी समाज की परंपराएं चली आ रही है. जिसका पालन करना सभी माहेश्वरी समाजबंधुओं का प्रथम कर्तव्य बनता है. यहीं वजह है कि, माहेश्वरी पंचायत ने वंशोत्पत्ति दिवस को उत्सव का रूप देकर महेश नवमी की शुरूआत की. पहले इसका स्वरूप थोडा अलग था और बदलते समय के साथ अब महेश नवमी का पर्व मनाये जाने का स्वरूप बदला है. यहीं वजह है कि, अब इस उत्सव को सामाजिक स्वरूप देने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि समाज को एक मंच पर लाने का कार्य किया जा सके. करीब तीस वर्ष पहले इसी सोच के साथ माहेश्वरी समाज के वरिष्ठ सत्यनारायणजी राठी ने महेश नवमी के उपलक्ष्य में शोभायात्रा के आयोजन की परंपरा शुरू की. जिसका आज तक पालन किया जा रहा है. अपनी परंपराओं व संस्कृति का पालन करते हुए सादगीपूर्ण तरीके से आयोजीत की जानेवाली इस शोभायात्रा में समाज के सभी आयुवर्गों की महिलाओं व पुरूषों का समावेश करते हुए उनका सम्मान किया जाता है. साथ ही समाजबंधुओं के लिए हेल्थ चेकअप् कैम्प, मनोरंजन व सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, ताकि समाज के सभी वर्गों को इससे जोडा सके. इसके साथ ही उस दौर से चले आ रहे पर्यावरणपूरक कार्यक्रमों का आज भी पालन किया जा रहा है. जिसके तहत शोभायात्रावाले दिन यात्रा के दौरान पीछे जो भी कचरा छूट जाता है, उसकी सफाई भी समाज द्वारा की जाती है. इसके लिए शोभायात्रा में एक स्वतंत्र वाहन लगाया जाता है.
बदलते वक्त के साथ अब माहेश्वरी समाज की जरूरतें भी बदल गई है तथा पहले के दौर में व आज के दौर में काफी फर्क भी आ गया है. जिसे ध्यान में रखते हुए माहेश्वरी समाज द्वारा मौजूदा दौर की जरूरतों के मद्देनजर काम किये जा रहे है. इसके तहत माहेश्वरी समाज की विधवा और परित्यक्ता महिलाओं को सालाना 12 हजार रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. साथ ही सीनियर केजी से लेकर उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए समाज के जिन बच्चों को आर्थिक सहायता की जरूरत होती है, ऐसे 100 बच्चों के लिए शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा समाज के जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य व इलाज हेतु भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. खास बात यह है कि, व्यापार-व्यवसाय सहित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करनेवाला माहेश्वरी समाज अपनी दानविरता के लिए भी जाना जाता है और समाज की ओर से चलाये जानेवाले हर एक उपक्रम में दानदाताओं का विशेष सहयोग मिलता है. ऐसे ही सहयोग के चलते माहेश्वरी पंचायत ने सामूहिक विवाह समारोह को प्रोत्साहित करना शुरू किया. साथ ही खर्चिली शादियों पर लगाम लगाने हेतु निजी स्तर पर आयोजीत होनेवाले विवाह समारोहों में खान-पान हेतु अधिकतम 15 व्यंजनों की प्रथा लागू की. इसके साथ ही परिचय सम्मेलन, दीपावली में फराल वितरण तथा जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता के साथ ही जीवनोपयोगी साहित्य का वितरण आदि उपक्रम भी माहेश्वरी समाज द्वारा चलाये जाते है.
यदि जातिनिहाय जनगणना के हिसाब से देखा जाये, तो माहेश्वरी समाज देश में अल्पसंख्यक समाज है, जो समूचे देश में अलग-अलग स्थानों पर बिखरा हुआ भी है. लेकिन यदि हम स्थानीय स्तर पर बंदमुठ्ठी की तरह रहे और अलग-अलग शहरों में रहनेवाले समाजबंधुओं के साथ माहेश्वरी पंचायत जैसे संगठन के जरिये जुडे रहे, तो अल्पसंख्यक रहने के बावजूद हमारी शक्ति काफी अधिक बढ जाती है. माहेश्वरी समाज का महेश नवमी पर्व हमारी इसी सामाजिक एकता का प्रतिक है. जिसके जरिये हम समाज के प्रत्येक वर्ग को एकसाथ जोडे रखने का प्रयास करते है. महेश नवमी का आयोजन यद्यपि माहेश्वरी पंचायत द्वारा किया जाता है, लेकिन इसमें माहेश्वरी समाज हेतु कार्य करनेवाले सभी संगठनों का भी सम-समान योगदान रहता है.
जहां एक ओर माहेश्वरी समाज अब तक आपसी सद्भाव व समभाव के दम पर आगे बढता आया है, वहीं इन दिनों इस बात को लेकर थोडा दुख भी जरूरत होता है कि, पुरानी पीढी की तुलना में नई पीढी में समाज के प्रति दायित्व निभाने का भाव थोडा कम दिखाई देता है. आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के जिन बच्चों को समाज से आर्थिक सहयोग मिलता है, यदि वे आगे चलकर शिक्षित होकर आर्थिक रूप से संपन्न हो जाते है, तो उन्होंने समाज द्वारा दिये गये सहयोग को याद रखते हुए समाज के अन्य जरूरतमंदों की सहायता हेतु तैयारी दर्शानी चाहिए, ताकि माहेश्वरी पंचायत द्वारा और भी अधिक संख्या में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को सहायता उपलब्ध कराते हुए उनका जीवन संवारा जा सके. यदि समाज से आर्थिक सहायता प्राप्त करने के बाद अपने जीवन में सफल हुआ जो भी व्यक्ति समाज के पास आर्थिक सहायता वापिस लौटाने हेतु आता है, तब सही अर्थों में समाज के समग्र विकास हेतु किये जा रहे माहेश्वरी पंचायत के प्रयासों को सफल कहा जा सकेगा.
– प्रा. जगदीश कलंत्री
सरपंच, माहेश्वरी पंचायत

* माहेश्वरी पंचायत की कार्यकारिणी
सरपंच – प्रा. जगदीश कलंत्री
सचिव – नंदकिशोर राठी
पूर्वाध्यक्ष – केसरीमल झंवर
उपाध्यक्ष – सुरेश साबू
सहसचिव – संजय राठी
सहसचिव (मंदिर) – नितीन सारडा
प्रचार प्रमुख – विजयप्रकाश चांडक
कार्यकारिणी सदस्य – राधेश्याम भूतडा, डॉ. नंदकिशोर भूतडा, अशोक जाजू, बिहारीलाल बूब, घनश्यामदास नावंदर, प्रकाश पनपालिया, दामोदर बजाज, मधुसूदन करवा, विनोद जाजू

* माहेश्वरी पंचायत के अब तक रह चुके अध्यक्ष
वल्लभदास राठी (तिवसा जीनवाले)
घनश्यामदास करवा
नवलकिशोर राठी
सुंदरलाल काकाणी
यशवंतकुमार बलदवा
रामप्रसाद सोनी
जुगलकिशोर गट्टाणी
वल्लभदास सारडा
राजेंद्र सोमाणी
सुभाषबाबू राठी
विजयकुमार करवा
केसरीमल झंवर
प्रा. जगदीश कलंत्री

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