समाज में ऐसे संत अनमोल रत्न होते है जो स्वयं के लिए नहीं संसार के लिए जीते है. लाखों भक्तों के आंसू पोछकर उनका सहारा बने. भटकते लोगों को सन्मार्ग दिखाया, असहायों के सहायक बने, उनकी वाणी में इतनी शक्ति है. लाखों लोगों ने अपना जीवन बदल दिया है. आज की युवा पीढी की अपने माता-पिता का कहना नहीं मानती, वही (युथ) युवा पीढी परम पू. महाराज श्री के एक वचन पर पूरा जीवन न्यौछावर करती है.
महाराज श्री का जन्म 8 मार्च 1971 में को हुआ. उनके माता श्री व पिताश्री जी ने बताया कि बचपन से ही न्रम व मधुर स्वभाव के थे. बहुत ज्यादा मेहनती और किसी भी प्रकार का वाद-विवाद से दूर रहते कोई किसी चीज पर अगर जिद करता तो हक की चीज भी छोड जाते.
1008 सतगुरु स्वामी शिवभजन जी महाराज जी की दया दृष्टि 1988 में उनके ऊपर पडी और कहा आपको कुछ खास सेवा करनी है और आज उनके व्दारा चलाई सब परंपराए चला रहे हैं. पू. महाराज श्री का कहना है कि सतगुरु स्वामी शिवभजन जी महाराज हमारे लिए भगवान हैं. उनके मुख से जो वचन निकला पत्थर की लकीर हैं.
परम पू. संत श्री डॉ. संतोष महाराज जी के सिद्धांत
1. सौ संत संसार को देंगे.
2. हॉनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी.
3. विशाल हृदय वाला व्यापार, व्यवहार, आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है.
4. अवसर सबको मिलते हैं, उसमें से लाभ कोई-कोई लेता है.
5. डू गुड बी गुड.
6. बुराई का प्रचार तेजी से हो रहा, हम अच्छाई का प्रचार करने वाला बने.
7. अपना भविष्य सुरक्षित करना है तो अपने बच्चों को संतों से जोडो.
– साधवी पिंकी