लेख

नवचैतन्य के प्रतीक पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य

‘करते रहो देखा जाएगा...’

मानव जाति के कल्याण हेतु सदैव कार्यमग्न रहने वाले संवेदनशील तथा दिल से चिरतरुण रहने वाले पितृतुल्य व्यक्तित्व यानि अमरावती के विश्व प्रसिध्द श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के प्रधान सचिव आदरणीय पद्मश्री प्रभाकरराव अंबादासपंत वैद्य. जिनके चरणों पर सिर रखकर आशीर्वाद लेने की इच्छा होती है व जिनके आशीर्वाद से जीने की इच्छा प्रबल होती है. ऐसे प्रचंड ऊर्जा के स्त्रोत वाले वैद्य साहब आज उम्र के 90 वें वर्ष में पदार्पण कर रहे हैं, फिर भी इस उम्र में समस्त मानव जाति के संरक्षण के लिये सीना तानकर कोरोना सरीखे महासंकट का सामना करते दिखाई देते हैं.
‘ आगे बढ़ो सबसे आगे बढ़ो ’ यह संस्था के ब्रिद वाक्य के अनुसार संकटकाल में भी मानव सेवा के लिये सबसे आगे रहने वाले श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के माध्यम से वैद्य साहब ने कोरोना के विरोध में बड़ी यंत्रणा ही मानव जाति के कल्याण के लिये निर्माण की है.
किसी भी परिस्थिति में मनुष्य को अपनी जान गंवानी न पड़े, इसके लिये स्वयंस्फूर्ति से अपनी संस्था के विदर्भ आयुर्वेदिक महाविद्यालय में कोविड वार्ड सज्ज रखने के साथ ही संस्था के ध्यानचंद स्टेडीयम में सुपरस्पेशालिटी अस्पताल की धरती पर 100 बेड वाला सभी सुविधा युक्त सुसज्ज वार्ड मानव जाति की सेवा के लिये तैयार रखा गया है. इस माध्यम से अमरावती वासियों को भरपूर आधार ही दिया है. वहीं शहर से कोरोना के समुल उच्चाटन होने की दृष्टि से सर्वपक्षीय लोकप्रतिनिधि की समय-समय पर बैठक बुलाकर स्थानीय नगरसेवकों के माध्यम से वार्ड-वार्ड में कोरोना पर नियंत्रण पाने की दृष्टि से उचित लेखाजोखा तैयार कर उसका योग्य तरीके से अमल कर उस पर अंकुश लगाने का प्रयास वैद्य साहब के मार्गदर्शन व्दारा लगातार किया जा रहा है. ऐसा कहा जाता है कि संकटकाल में मनुष्य को मनुष्य को परख होती है. उसकी पहचान होती है क्योंकि जो इस कठिन परिस्थिति से गुजरा हो, उसे ही इस मानवता के आधार की कीमत समझती है. इसलिए अन्यों के साथ मुझे भी वैद्य साहब के रुप में ईश्वरतुल्य मनुष्य की प्रचीती आयी.
उसी तरह शहर के कोरोना योध्दा के रुप में अपना कर्तव्य पूरा करने वाले डॉक्टर्स, पुलिस, सफाई कामगारों को वैद्य साहब के आधार के कारण बल प्राप्त हुआ है. करते रहो देखा जाएगा इस वैद्य साहब के मंत्र के कारण अनेक कोरोना योध्दाओं में नवचैतन्य निर्माण हुआ है. इसलिए ही इस उम्र में वैद्य साहब युवाओं की तरह कार्य करते दिखाई देते हैं.
आज तक विगत 9 दशक मनुष्य के इस देव स्वरुप मानव ने अनेकों को आश्रय दिया है. वहीं वे अनाथों के नाथ तो आदिवासियों के मां-बाप बने हैं. किसान अभियान के माध्यम से किसानों का आभारस्तंभ बनकर आत्महत्याग्रस्त किसान परिवार का पालकत्व उन्होंने स्वीकारा है. वहीं सज्जनों के रक्षण और दुर्जनों के काल के रुप में वैद्य साहब ने लगातार अपनी प्रभावी भूमिका निभाई है.
इसलिए समाज के शोषित पीड़ितों को समाज के मुख्य प्रवाह में लाने के लिये वैद्य साहब ने उनके लिये शिक्षा का माहेरघर निर्माण किया है. उन्होंने शारीरिक शिक्षण से अभियांत्रिकी व वैद्यकीय शिक्षा तक का जाल निर्माण कर दीनदुर्बलों, मतिमंदों के लिये, विकलांगों के लिए इस शिक्षा का शिवधनुष्य उठाया है.
वैसे देखा जाये तो वैद्य साहब यानि समाजसेवा के, मानवता के चलता-बोलता एक विद्यापीठ ही है. सही में पद्मश्री प्रभाकरराव अंबादासपंत वैद्य सरीखा लोग समाज में दुर्मिल होते हैं. वे समाज का अमूल्य धन के रुप में ऐसे मानव के देव मानव का कार्य अपने शब्दों मेें गिना नहीं जा सकता. इसकारण इतना ही हम यहां कह सकते हैं कि,
जे का रंजले गांजले, त्यांसी म्हणे जो आपुले॥
तोची साधु ओळखावा, देव तेथेची जाणावा॥
आज ऐसे देव तुल्य मानव का यानि पद्मश्री प्रभाकरराव अंबादासपंत वैद्य के जन्मदिन निमित्त उन्हें समस्त अमरावतीवासियों की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं. उन्हें दीर्घ आयु प्राप्त हो! यहीं ईश्वर से प्रार्थना है!
– डॉ. मंगेश सुरेशराव निर्मल
शेगांव, जि. बुलढाणा. मो. 9850313395

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