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सुंदरता और पूर्णता का “योग” महिला

सुंदर दिखना और अच्छी पर्सनालिटी रखना हर महिला का सपना होता है, लेकिन अनदेखी और छोटी-बड़ी बीमारियां भयानक रुप में समाने आ जाती है. तो आइए अपने अंदर के व्यक्तित्व को थोडा बेहतर बनाएं. अगर हम उस सुंदरता से मिले जो बाहरी और आंतरिक दोनो तरह से पूर्ण है, तो एक महिला का व्यक्तित्व और भी अच्छा लगेगा.
“स्त्रीषु प्रीति विशेषण प्रतिष्ठानितम । धर्मार्थो स्त्रीशु लक्ष्मीश्च लोक: प्रतिष्ठा ॥” (अध्याय 2) यदि आप एक महिला के जीवन को शैशवावस्था से मृत्यु तक देख्ने की कोशिश करते हैं, तो घटनाएं और प्राकृतिक परिवर्तन होते हैं जो पूरे जीवन को प्रभावित करते हैं, और शारीरिक विकास और मानसिक विकास में बाधा डालते हैं. मासिक धर्म, गभावस्था, प्रसव रजोनिवृत्ति यह परितर्वन लेता है. एक महिला का जीवन धीरे-धीरे स्थान इससे कभी-कभी मन की स्थिति भी बदल जाती है. ऐसे समय में योग हर महिला को पूर्ण स्वास्थ्य दे सकता है. क्योंकि आज की महिला अपनी नौकरी, व्यवसाय, घर परिवार के साथ-साथ अपनी आंतरिक और बाहरी सुंदरता को बनाए रखना चाहती है. उम्र के साथ हार्मोन के कारण होने वाले शारीरिक बदलाव आते हैं और इन बदलावों के साथ मानसिक तनाव भी आता है. महिला इस दोहरी बढत पर काबू पाकर सफल होना चाहती है. ऐसी महिला के पास प्राकृतिक रुप में लौटने के अलावा कोई चारा नहीं होता हैं, प्राकृतिक होना ही ताकत बन सकता है. शिव और शक्ति का योग, आत्मा परमात्मा का एकीकरण, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सद्भाव एक महिला की सर्वोच्च प्राथमिकता है. ऐसी स्थिति में भारतीय विज्ञान ने योग को सिद्ध दर्शन शास्त्र के रुप में दिया है. योग धैर्य और मन के संतुलन के साथ-साथ पूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाता है. तनाव नहीं बनता है यह मन, बुद्धि और भावनाओं के संतुलन को बनाए रखन में मदद करता है. सभी योग गतिविधियों को करना आवश्यक है जो किया जा सकता है.
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“विनपि भयेशजैराव्याधि: पथ्यदेव निवर्तये। न तु पथ विविहीनस्य भयेशजानाय सतैरपी”॥ (क्षेमकुतूहलम) बिना दवा के सभी रोग ठीक हो सकते हैं, यदि रोगी उचित आहार नहीं लेता है या उदासीनता नहीं छोडता है तो उसके रोग ठीक नहीं होंगे. हमारे व्दारा खाए जाने वाले भोजन से मन और शरीर प्रभावि होते हैं. हानिकारक आहार मस्तिष्क की सतर्कता को कम कर देता है. 1. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार लेना चाहिए. 2. भोजन हमेशा शांत और सुखद अवस्था में ही करना चाहिए. 3. आहार समय पर लेना चाहिए. 4. भोजन के रंग, रुप, स्वाद, स्पर्श और प्रस्तुति पर ध्यान दें. विहार : गृहकार्य के अतिरिक्त स्त्रियों को खेल-कूद, योग और मनोरंजन में भी समय देना चाहिए, नहीं तो व्यक्ति सुस्त और लगभग मृत हो जाता है. शरीर में अकडन आ जाती है. योग में इन बातोें पर विशेष ध्यान दिया जाता है. प्राणायाम नहीं अष्टांग योग है वर्णित. यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधी नीति: हर बार आपका मनोभाव मूड को अच्छा रखने का होता है. आपके विचार हमेशा शुद्ध होने चाहिए. कार्य अच्छा होना चाहिए. कभी-कभी सामाजिक कारण अवसाद का कारण बनते है और यह शरीर और मन दोनो को नुकसान पहुंचाते हैं. जो तनाव और दुख के कारण होता है. क्रोध, भय, ईर्ष्या, तनाव अवसाद सभी नकारात्मक भावनाएं हैं और तनाव मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मनोदैहिक बीमारियों का कारण बनता है. तनाव हार्मोनल परिवर्तन, स्मृती का एक प्रमुख कारण है. पतंजलि के अनुसार, मन को नियंत्रित करना आसान है इसके लिए आपको निरंतर योग का अभ्यास करना चाहिए इसलिए रोग की शुरुआत के बाद बीमारी का इलाज करने के बजाए अष्टांग योग का पालन करें और शारीरिक और मानसिक व्यक्तित्व में सुधार करें. आंतरिक सुंदरता ही है खुद की असली पहचान है…. हैप्पी वूमेंस डे के साथ योगिनी बनने का ये है निमंत्रण.
– प्रियंका सागर गोवारे,
प्रिययोग, विवेकानंद कॉलोनी, अमरावती
मो.- 9834994660

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