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कोरोना पर राजनीति न हो

कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में त्राही-त्राही मची हुई है. अनेक संक्रमितों की आए दिन हो रही मृत्यु दिल दहलानेवाली है. ऐसे में कोरोना संक्रमण को लेकर राजनीतिक दल भी मैदान में आ गये है. जहां सरकारी स्तर पर कोरोना से बचाव के लिए पूरे प्रयास किए जाने की बात कही जा रही है. वहीं पर विपक्ष सत्ताधारी दल पर संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त संसाधन न होने की बात कह रहा है. बावजूद इसके रोजाना लाखों मरीज अस्पतालों में आ रहे है. ऐसे में यदि एक दूसरे को आरोप प्रत्यारोप किए जा रहे है. कुछ हद तक लोगों की नाराजी स्वाभाविक रहती ह््ै. क्योंकि अव्यवस्था के कारण कई लोगों को समय पर ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है. जिससे उनकी जान को खतरा बना रहता है. कई स्थानों पर तो जान जाने का मुख्य कारण योग्य उपचार नहीं उपलब्ध होना रहा है. अब सरकार ने उपचार में कमी न आए इसलिए पर्याप्त संख्या मेंऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है. लेकिन बीमारी पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आयी है. जिसके चलते प्रशासन यदि लॉकडाउन की समीक्षा करे तो हकीकत क्या है यह पता चल सकता है. लॉकडाउन के कारण अनेक परिवार बेरोजगारी भूखमरी के दौर से गुजर रहे है. इस बात को राज्यस्तर के नेतागण जानते है लेकिन उनकी ओर से कोई भी पहल नहीं की जा रही है. जिससे किसानों की बस्तियों में रहनेवाले लोगों को स्वास्थ्य के लिए कठिनाई हो रही है. इसलिए कोरोना संक्रमण के दौरान यदि कोई गाइड लाईन जारी होती है तो लोग उसका कडाई से पालन नहीं कर रहे है. इसलिए जरूरी है कि बीमारी से बचाव के लिए खुद लोगों को आगे आना होगा.
कोरोना को लेकर अनेक स्तर पर आरोप लगाने की बजाय जरूरतमंदों को सेवाभाव के जरिए सहायता करना अति आवश्यक है क्योंकि जिले में जो कोरोना पाया गया है और बचाव का कार्य शुरू किया जाना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्र में पहले कोरोना सीमित संख्या में था. अब इसका स्वरूप बदल गया है. एक साथ कई लोगों को संक्रमित कर रहा है. इस हालत में हर किसी को अपने स्वास्थ्य का बचाव भी करना चाहिए. कोरोना संकट के कारण कई घरों में अनेक लोगों की मृत्यु हो चुकी है. जिसमें अनेक स्थानों पर नौनिहालों के अनाथ होने की घटना सामने आयी है. इसलिए सभी को चाहिए कि वे इस संकटकाल में एक दूसरे की सहायता के लिए आगे आए. क्योंकि इस महामारी के संकट को निपटने के लिए यह प्रशासन की ओर से भले ही कदम उठाए जा रहे हो लेकिन जनसामान्य को भी विशेष सावधानी बरतनी होगी्. कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस का भी संक्रमण धीरे धीरे बढने लगा है. हालाकि अब इस बीमारी के बारेे में लोगों को विशेष जानकारी नहीं दी गई है. जरूरी है कि लोगों को इस बामारी के लक्षण व बचाव के उपाय भी सुझाना जरूरी है. इन सब कार्यो के लि7ए प्रशासन के साथ साथ सेवाभावी संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए. क्योंकि इस बीमारी में जो लोग घिर गये है. उन्हें योग्य सहायता मिलना आवश्यक है.
कोरोना के संंक्रमण के चलते जारी लॉकडाउन में अनेक वरिष्ठ नागरिक जो अकेले रहते है उन्हें आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध नहीं हो पायी है. शहर के एक परिवार ने हाल ही में पूर्व पार्षद मोबाइल द्बारा संपर्क कर उन्हें कहा कि अनेक आवश्यक दवाईयाेंं की जरूरत है. लेकिन उसे लानेवाला कोई नहीं है. यह जानकारी मिलते ही संबंधित पूर्व पार्षद ने उनके घर पहुंचकर उन्हें आवश्यक वस्तुएं लाकर दी. वर्तमान में कोरोना को लेकर अनेक स्तर पर वाद विवाद हो रहा है. लोग बीमारी के संकट के लिए कभी प्रशासन को तो कभी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे है. जबकि आज जरूरत सेवाभाव की है. इस बीमारी के काल में नागरिको को इस बात का ध्यान रखना होगा कि बीमारी के संक्रमण के कारण यदि किसी को सहायता की आवश्यकता हो तो उसे योग्य सहायता दी जानी चाहिए. नहीं कुछ तो प्रशासन ध्यान दे. संबंधित व्यक्ति की व्यथा को जानना जरूरी है. यदि ऐसा किया जाता है तो कोरोना काल के संकट में लोग एक दूसरे के सहायक बन सकते है जिससे बीमारी के कारण लोगों में जो निराशा का दौर है वह काफी हद तक कम किया जा सकता है. वर्तमान बीमारी के दौर में राजनीति की उतनी आवश्यकता नहीं है जितनी की सेवाभाव की है. इसलिए बेहतर यही रहेगा कि राजनीतिक दल आपसी मतभेद भूलकर हर सेवाभाव का ेप्राथमिकता दे. हाल ही में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं को आवाहन किया है कि वे जनसेवा को महत्व दें. अन्य राजनीतिक दलों को भी यही कार्य करना जरूरी है.

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