वैसे देखे जाये तो मेरा और प्रवीणभाऊ का परिचय काफी समय से है, उस वक्त मैं के. एल. कॉलेज में बीकॉम फायनल में था और प्रवीण भाऊ फर्स्ट ईयर में थे. उस वक्त युवा विद्यार्थी कॉलेज में पढ़ाई कम और गॅदरिंग इलेक्शन मैं ज्यादा इंटरेस्ट लेते थे. उस वक्त ज्यादातर युवा, पढाई की जगह बाकी बातों में ज्यादा इंटरेस्ट लेते थे. पढ़ाई करने वाले कुछ खास युवा विद्यार्थी हुआ करते थे. जिनसे हम जैसे युवा विद्यार्थी अलग ही रहते थे पर प्रवीण भाऊ इन दोनों बातों से अलग थे. पढ़ाई, राजकारण या गॅदरिंग इन बातों से प्रवीण भाऊ का ध्यान बिजनेस की ओर ज्यादा था. क्योंकि जब भी उनसे चर्चा करते, तो वह हमेशा ही विजनेस के बारे में बात करते, बिजनेस कैसे बढ़ेगा? बिजनेस में कमाई कैसे होगी? इस तरह की चर्चा किया करते थे. उनका शुरू से ही ध्यान प्रॉपर्टी बिजनेस में था. लेकिन कुछ समय बाद प्रवीण भाऊ पोटे यह नाम प्रॉपर्टी बिजनेस में ब्रैंड एंबेसेडर बनेगा किसी ने नहीं सोचा था. क्योंकि पढ़ाई की जगह उनकी रुचि हमेशा बिजनेस में थी और देखते-देखते ही प्रवीण भाऊ ने पढ़ाई छोड़कर बिजनेस में प्रवेश किया और अपना वजूद बनाया. प्रॉपर्टी और बिल्डर क्षेत्र में उन्होंने काम करते-करते बहुत पैसे कमाये. मिले हुए पैसे का सदुपयोग होना चाहिए इसलिये उन्होंने सामाजिक, धार्मिक कार्य में भाग लिया. उन्होंने किसी भी तरह की शासकीय मदद न लेते हुए खुद के पैसे से सामाजिक कार्य शुरू किये, जो कि समाज में माईल बने.
शुरू में उन्होंने गुजरात में 42 दिन भूकंप पीड़ित लोगों को दाल, खिचड़ी खिलाने का काम शुरू किया. उस वक्त विदर्भ में अपनी लड़की का विवाह न करने के कारण किसान आत्महत्या के काफी मामले सामने आये, ऐस वक्त प्रवीण भाऊ ने 2005 एवं 2006 में 3100 तथा 2100 किसानों के बच्चों का सामूहिक विवाह आयोजित किया तथा हर जोड़ी को 10 हजार का सानुग्रह अनुदान दिया और तभी से सरकार द्वारा सामूहिक विवाह में 10 हजार रुपये अनुदान देने का चलन शुरू हुआ, जिसकी शुरूआत प्रवीण भाऊ ने की थी. इसके अलावा प्रवीण भाऊ ने 1991 से शिक्षा के क्षेत्र में गरीब व गरजू विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप देना शुरू किया. स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी मदद करना शुरू किया. संत अच्युत महाराज हार्ट हॉस्पिटल को हॉस्पिटल बनाने के लिए 18 लाख रुपये तथा बांधकाम साहित्य दिया. शंकर नगर के कैन्सर हॉस्पिटल को 5 लाख की राशि दी. सिर्फ गांव या राज्य तक ही अपनी मदद सीमित न रखते हुए उन्होंने बिहार में अतिवृष्टि पीड़ितों के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव को महामहिम राष्ट्रपति के हस्ते 5 लाख रुपये का धनादेश दिया. महाराष्ट्र में किल्लारी में जो भूकंप आया तो वहां के भूकंप पीड़ितों को घर बनाने के लिए एक ट्रक टीन तथा मोवाड़ में आधा ट्रक टीन दिये, साथ ही मुंबई, दादर तथा वीटी को लग के संत गाडगे बाबा धर्मशाला है वहां कैंसर पेशंट को तकलीफ ना हो इसलिये उस धर्मशाला का मूतनीकरण किया. टाटा कैंसर हॉस्पिटल के बाजू में एमएस ट्रस्ट गुजराती तथा मारवाड़ी लोगों के साथ मिलकर एक ट्रस्ट शुरू किया. वहां 1000 लोगों के रहने तथा खाने की व्यवस्था का काम चालू है.
डॉ. निकम के कार्यकाल में इर्विन तथा डफरीन हॉस्पिटल को 40 टीवी, 20 वॉटर कूलर, 100 एसी, बेड (कॉट) मॅट्स डेझर्ट कूलर दिये. हिंदू स्मशान संस्था को 45 लाख की गैस दाहिनी प्रदान की. कोरोना काल में 70 लाख रुपए देकर शासकीय अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट बनाया, जो आज भी सुचारू रूप से चालू है, कोरोना काल में 40 टन अनाज (4 ट्रक) नगरसेवक के माध्यम से गोरगरीब जनता में वितरित किया. अजय सामदेकर व राजेश पड्डा की सहायता से अनेक कोरोना कॅम्प में राम रोटी के माध्यम से गोरगरीब जनता के भोजन की व्यवस्था की.
मराठी में एक कहावत है ‘पोटात एक आणि ओठात एक’ ऐसा उन्होंने कभी नहीं किया. उनका साफ-साफ कहने वाला तथा रोकटोक बोलने वाला स्वभाव यह बहुत लोगों को पसंद नहीं था, पर प्रवीण भाऊ ने कभी उसका विचार नहीं किया. कुछ समय पश्चात प्रवीण भाऊ भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी हुये. बाद में मंत्री बनने पर उन्होंने अपनी कार्यशैली व स्वभाव में किंचित भी बदलाव नहीं किया. उनकी काम करने की शैली जैसे पहले थी वैसे ही बाद में भी रही. उनके स्पष्ट बात करने का फटका कुछ अधिकारियों को भी लगा. किसी भी प्रकार के कमिशन के कायल न रहने वाले प्रवीण भाऊ काम करते हुए कोई अधिकारी अगर गलत होता है, तो उसे फटकारने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते. इस वजह से कोई भी अधिकारी उनके सामने जाते वक्त दस बार सोचते और अगर उनको जाना भी होता, तो पूरा होमवर्क करके ही जाते.
प्रवीण भाऊ का अनुभव रहने वाले नजदीकी लोग कहते हैं कि, प्रवीण भाऊ का स्वभाव कभी तोला तो कभी मासा है. प्रवीण भाऊ के स्वभाव का एक अच्छा पैलू और देखने को मिला, अमरावती में कठोर भूमिका लेनेवाले प्रवीण भाऊ मुंबई या कहीं और मिलने के बाद बहुत आत्मीयता से बर्ताव करते हैं, इस वजन से प्रवीण भाऊ का स्वभाव समझ से परे है. अब प्रवीण भाऊ की ओर भारतीय जनता पार्टी ने शहर जिला अध्यक्ष की नई जिम्मेदारी सौंपी है. शुरू-शुरू में प्रवीण भाऊ इस जिम्मेदारी से अस्वस्थ थे, पर जब जिम्मेदारी का बोझ आया तो उन्होंने वह जिम्मेदारी अपने स्वभाव के मुताबिक पूरी करने की ठान ली. पार्टी विकास तथा तरक्की के लिये विविध कार्यक्रम करते रहते हैं. कार्यकर्ताओं ने दिये सुझाव तथा कार्यक्रम का वह स्वागत करते हैं. इस वजह से कार्यकर्ता अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है. उपमुख्यमंत्री व मार्गदर्शक नेता देवेंद्र फडणवीस तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों को मजबूत करने के लिए वह दिन-रात प्रयासरत हैं. आज प्रवीण भाऊ का जन्मदिन है. उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में मां जगदंबा उन्हें उनके कार्य में यशस्वी करे तथा वे सदैव स्वस्थ व निरोगी रहें, इस शुभकामना के साथ मैं उन्हें जन्मदिन की बधाई देता हूं.
– प्रा. डॉ. रविकांत कोल्हे,
इंडिपेंडेंट डायरेक्टर गेल,
इंडिया लिमिटेड.