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तृणमूल का आत्मविश्वास

बंगाल विधानसभा में शानदार जीत के बाद अब तृणमूल कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ गया है. पार्टी अगले वर्ष उत्तरप्रदेश में होनेवाले विधानसभा आम चुनाव में अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेगी. इसके लिए अभी से ही प्रयास आरंभ कर दिए गये है. आनेवाले समय में पार्टी देश के अन्य राज्यों में अपना विस्तार करना चाहती है. जिसके चलते यह माना जा रहा हैकि पार्टी स्वयं को केवल पश्चिम बंगाल तक सीमित न रख इसका विस्तार करने की दिशा में कार्य करेंगी. पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री सुश्री ममता बैनर्जी इससे पूर्व भी केन्द्र सरकार के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को एकत्रित करने का प्रयास भी कर चुकी है. २०१७ के आम चुनाव में ममता बैनर्जी की ओर से सभी राजनीतिक दलों को एकत्र लाने के लिए प्रयास किया था. हालाकि उस समय केन्द्रीय नेतृत्व नरेन्द्र मोदी के प्रति लोगों का झुकाव भरपूर था. प्रधानमंत्री के समर्थक प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई भी शब्द सुनने को तैयार नहीं थे. प्रधानमंत्री की ओर से किसान सम्मान निधि के रूप में प्रतिवर्ष ६ हजार रूपये भूधारक को देने की घोषणा की गई. इधर कांग्रेस की ओर से भी बेरोजगारों को ७२ हजार रूपये सालाना देने का ऐलान किया गया. लेकिन लोगों ने प्रधानमंत्री की घोषणा को प्रभावी समझा व उन्हें अपना पूरा समर्थन दिया. यही कारण है कि देश में भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्तारूढ हुई.
२०१७ के चुनाव के बाद आनेवाले वर्षो में हो रहे विभिन्न राज्यों के आम विधानसभा चुनाव में अब चित्र बदला हुआ है. इन दिनों कोरोना संक्रमण के कारण लोगों की पीडा बढ गई है. वे इसके लिए सरकार को ही जिम्मेदार मान रहे है. जब आरंभिक दौर में यह बीमारी आरंभ हुई थी तब लोगों को उम्मीद थी कि शीघ्र ही इसका वारा न्यारा हो जायेगा. लेकिन बीमारी अपना प्रकोप दिनों दिन बढा रही है. इतना ही नहीं इस बीमारी के दूसरे चरण में अनेक लोंगों की मृत्यु हो गई. जिसके कारण लोग ये जानते हुए भी कि बीमारी रोकने के लिए सरकार के प्रयास जारी है. फिर भी वे इसके लिए केन्द्र सरकार को ही जिम्मेदार मान रहे है. उत्तरप्रदेश के चुनाव में योगी आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री के कार्यो को आधार बनाया जायेगा. इसके चलते यह माना जा रहा है. इस आधार का अनेक स्थानों पर विरोध भी है. जिसके चलते अन्य राजनीतिक दल यहां पर चुनाव के मैदान में अपना जोर आजमा सकते है. जिसमें तृणमल कांगे्रस भी प्रयत्नशील है. इसका हश्र क्या होगा यह आनेवाला समय बतायेगा. लेकिन कहीं न कहीं सरकार के विरोध को देखते हुए चित्र बदलने की संभावना है.

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